Bhopal: 30 जून 2018। नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर हमारी जीवनशैली की वजह से होने वाली घातक बीमारी है जो 15 से 20 वर्ष तक बिना लक्षण दिये लिवर की सूजन के रूप में पनपती है और विकराल होने पर इसके रोगी को लिवर सिरोसिस, नैश हैपाटाइटिस, कैंसर, लिवर ट्रांसप्लांट तथा कभी-कभी तो मृत्यु तक ले जाती है। हाई कैलोरी वाले पैकेज्ड फूड, शुगरयुक्त कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, धूम्रपान, मोटापा, डायबिटीज व एक्सरसाइज की कमी रोग के प्रमुख कारण हैं। चूंकि यह बीमारी 2 वर्ष की उम्र से भी शुरू हो सकती है इसलिए 20 वर्ष की उम्र के बाद वर्ष में कम से कम एक बार इसकी जांच अवश्य करानी चाहिए।
उक्त बात आज आयोजित एक पत्रकार वार्ता में शहर के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक चतुर्वेदी ने दी। उन्होंने कि भारत में लगभग 25 प्रतिशत लोग इसकी अलग-अलग अवस्थाओं में हैं। अब तक हुए अध्ययनों से पता चला है कि आधुनिक जीवनशैली के खानपान व कसरत की कमी की वजह से लिवर में जहां एक ओर फैट जमा होने लगता है तो दूसरी ओर लिवर इन्सुलिन प्रतिरोधी बन जाता है। इससे लिवर में जलन होने लगती है व इस जलन की वजह से कुछ हार्मोन निकलते हैं जो लिवर को और अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। आंक़ड़ों के मुताबिक 10 प्रतिशत नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर के रोगियों को लिवर कैंसर हो जाता है।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि हाथ-पांव में दर्द, नींद ठीक से न आना, भूख न लगना व थकान रहना आदि इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इसकी जांच ब्लड टेस्ट, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन व एमआरआई तथा फायब्रोस्कैन के जरिये इस बीमारी का पता लगाया जाता है। यह रोग कुछ अन्य रोगों का भी संकेत देता है जिसमें कोरोनरी आर्टरी डिसीज, डायबेटिक मेलाइटस, मेटाबॉलिक सिन्ड्रोम, बायस्लिपेडेमिया व हायपरटेंशन शामिल हैं।
इस रोग से बचाव के बारे में चर्चा करते हुए डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि रोजाना 30 मिनिट की कसरत, मोटापा घटाना, हैल्दी भोजन करना, विटामिन ई व डी लेना, शराब से दूर रहना आदि इससे बचने के कुछ उपाय हैं। शुरूआती अवस्था में पेट की चर्बी को हटाने के लिए की जाने वाली बेरियाट्रिक सर्जरी से भी इसमें आराम मिलता है। इस रोग की धीमी शुरूआत जीवन के आरंभिक वर्षों में हो जाती है इसलिए बच्चों को हाई कार्बोहाइड्रेटयुक्त सामग्री व पैकेज्ड फूड व हाई शुगर कोल्ड ड्रिंक से बचायें। वहीं बड़े लोग भी इन पदार्थों के साथ साथ अल्कोहल से बचें।
जीवनशैली से जनित नई घातक बीमारी है नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर : डॉ. दीपक चतुर्वेदी
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Bhopal
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