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तालिबान के साथ रूस -ईरान रिश्तों पर भारत ने दोनों देशों को दी सलाह

Location: New Delhi                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 19191

New Delhi: वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के सफाए लिए राष्ट्राध्यक्ष सुर में सुर मिलाते हैं, हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। भारत सभी अंतरराष्ट्रीय फोरम पर कहता रहा है कि आतंकवाद और आतंकी संगठनों में किसी तरह का विभेद नहीं होना चाहिए। लेकिन तालिबान को लेकर रूस और ईरान के रुख में बदलाव होता नजर आ रहा है। रूस का मानना है कि तालिबान संगठन राष्ट्रीय स्तर पर एक सैन्य राजनीतिक आंदोलन कर रहा है। वहीं ईरान का मानना है कि अफगानिस्तान से आइएस के प्रभाव को रोकने के लिए तालिबान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। रूस और चीन के इस रुख पर भारत ने दोनों देशों को सलाह भरी चेतावनी दी है।



भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि जहां तक तालिबान की बात है, उस संगठन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खींची गई लक्ष्मण रेखा का सम्मान करना होगा। इसके अलावा आतंकवाद और तालिबान से संपर्क तोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि तालिबान को प्रजातांत्रिक मूल्यों का सम्मान करना होगा जिसे उसने पिछले 15 सालों में सीखा है। जानकारों का कहना है कि भारत ने असाधारण तौर पर इस तरह की बात कही है। भारत एक तरफ अपने पुराने दोस्त रूस के साथ दोस्तान रिश्ते को बरकरार रखना चाहता है। लेकिन वो ये नहीं चाहता कि भारत के लिए खतरनाक तालिबान के बारे में रूस अपने विचारों में बदलाव करे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढा़ना चाहते हैं। लेकिन जिस तरह के हाल में कुछ घटनाएं हुई हैं वो परेशान करने वाली हैं।



अफगानिस्तान की ऊपरी सदन में बोलते हुए रूस के राजदूत अलेक्जेंडर मैंटिस्की ने कहा कि रूस और तालिबान के कुछ मामलों में साझा हित हैं। लेकिन आइएस के बढ़ते प्रभाव को रोकने की जरूरत है। ठीक वैसे ही ईरान को लगता है कि अफगानिस्तान से आइएस के प्रभाव को खत्न करने के लिए तालिबान के उदारवादी चेहरों से मिलकर काम करने की जरूरत है।



ईरान के इस रवैये पर अफगानिस्तान ऐतराज जता चुका है। अफगानिस्तान विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में ईरानी अधिकारियों और तालिबान के कुछ नेताओं के बीच बैठक हुई थी। दोनों के बीच बैठक से न केवल निराशा मिल रही है, बल्कि आतंकवाद को समग्र तौर पर खत्म करने में मुश्किल सामने आएगी।

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