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पक्की स्याही से सुपर कंप्यूटर तकः सीएसआईआर ने की राष्ट्र के विकास में भागीदारी

Location: नई दिल्ली                                                 👤Posted By: वेब डेस्क                                                                         Views: 17802

नई दिल्ली: वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) अमिट स्याही के उत्पादन जो 1952 में हुए पहले आम चुनाव से अभी तक करोड़ों लोगों के नाखूनों पर लगाई गई, से 80 के दशक में पहला सुपर कंप्यूटर बनाने तक लगभग सात दशक लंबा सफर तय कर चुका है। ज्ञान और तकनीक आधारित मार्ग से समावेशी विकास में सीएसआईआर ने तकनीक आधारित समाधान पेश किए, जिससे समाज के वंचित और कमजोर तबकों को फायदा हुआ।



सीएसआईआर तकनीक में भागीदार के तौर पर भारतीय उद्योग के साथ नजदीक से जुड़ी रही है। चाहे यह स्वराज ट्रैक्टर हो या छोटे किसानों के लिए एक मिनी ट्रैक्टर 'कृषि शक्ति' हो, या एक मलेरियारोधी दवा हो, सभी जगह सीएसआईआर की छाप नजर आती है। सीएसआईआर ने प्रसंस्करण तकनीक पेश कर दवा और स्वास्थ्य क्षेत्र के परिदृश्य बदलकर रख दिया, जिससे एक तरफ जेनरिक दवा का विकास आसान हुआ और वहीं मानव जीनोम के बारे जानकारियां सामने आईं। सीएसआईआर ने प्राचीन आयुर्वेद में बताए गए 6 पौधों से बनाए गए प्राकृतिक तत्वों के संयोजन से बीजीआर-34 नाम का मधुमेह रोधी हर्बल फॉर्म्यूलेशन पेश किया। गहन परीक्षण के बाद आयुष मंत्रालय ने बीजीआर-34 को स्वीकृति दे दी।



सीएसआईआर ने एक व्यापक जीवनदायी प्रोटीन कार्डियोवस्कुलर दवा स्ट्रेप्टोकिनाज प्रौद्योगिकी का एक पोर्टफोलियो विकसित किया। सीएसआईआर द्वारा विकसित प्राकृतिक और पुनः संयोजित स्ट्रेप्टोकिनाज पहले से बाजार में है। इसने अब नई पीढ़ी की क्लॉट-बस्टर्स के संयोजन वाली क्लीनकली फायदेमंद थ्रॉम्बोलिटिक मॉलिक्यूल्स विकसित किया है, जिसे लक्ष्य (फाइब्रिन/क्लॉट) तय होने के साथ कम खुराक में दिया जा सकता है।



अधिक मात्रा का दूषित दूध सामने आने के साथ सीएसआईआर ने एक प्रणाली क्षीर-स्कैनर विकसित की, जिससे दूध में यूरिया, नमक, डिटर्जेंट, तरल साबुन, बोरिक एसिड के मिश्रण का पता लगाया जा सकता है। लगभग 40 ऐसे सिस्टम पहले ही इंस्टाल किए जा चुके हैं।

उच्च तकनीक क्षेत्र में सीएसआईआर ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ ही हल्के लड़ाकू विमान तेजस के विकास में भी खासा योगदान किया। सीएसआईआर ने दिल्ली के व्यस्त आईजीआई हवाई अड्डे पर दृष्टि प्रणालियों की स्थापना की, जिससे सुरक्षित उतरने और उड़ान भरने के लिए पायलट को जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के सहयोग से सीएसआईआर संयुक्त रूप से लगभग 70 दृष्टि प्रणालियां बनाएगा, जिन्हें देश के पांच बड़े हवाई अड्डों पर पहले ही लगाया जा चुका है।



कुछ मामलों में इसने चमड़ा क्षेत्र सहित उद्योग की अगुआई की, जबकि कुछ में इसने नागरिक विमानन क्षेत्र जैसे कई नए उद्योग तैयार किए हैं। सीएसआर ने कई मामलों में रोजगार पैदा करने में मदद मिली, जैसे मेंथॉल मिंट की सफलता की कहानी सामने आई, जहां सीएसआईआर के प्रयासों से भारत मेंथॉल मिंट के उत्पादन में वैश्विक लीडर के तौर पर सामने आया है। सीएसआईआर के प्रयासों से मिंट की कई प्रजातियां पैदा हुई हैं। तकनीक के क्षेत्र में सीएसआईआर के प्रयासों से ही 1990 के दशक में नौकरियां बचाना संभव हुई, जब चमड़ा उद्योग मुश्किलों से गुजर रहा था और अदालतों ने ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली 700 टेनरियों को बंद करने के आदेश दे दिए थे। सीएसआईआर तब आगे आया और 270 बंद टेनरियों को दुबारा खोलना संभव हुआ। इससे दो लाख नौकरियां बचाने में कामयाब मिली।



सीएसआईआर हमेशा ही जरूरत के वक्त सामने आया। उसने हरित क्रांति में भी मदद की और भारतीय कृषि रसायन उद्योग की स्थापना की। 1980 के दशक में भारत कंप्यूटर शक्ति के लिए जूझ रहा था, क्योंकि भारत को सुपर कंप्यूटर नहीं बेचा गया था। सीएसआईआर आगे आया और उसके प्रयासों से 1986 में पहला पैरलल कंप्यूटर बनाया गया। 1990 के दशक तक भारत की ट्रिलियन डॉलर इंडस्ट्री सुरक्षित क्षेत्र मानी जाती थी। हालांकि सीएसआईआर ने सफलता से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण क्षेत्र को पलट दिया, जो काफी सस्ती, सुरक्षित, दीर्घकालिक तकनीक थी, जिसे भारत से बाहर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हस्तांतरित किया गया।



सीएसआईआर ने इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा जीती, जब स्वदेश में विकसित वैक्स डी-आयलिंग तकनीक पर आधारित एक औद्योगिक संयंत्र पूर्वोत्तर में नुमालीगढ़ रिफाइनरी लि. (एनआरएल) स्थापित किया गया। इस संयंत्र को हाल में प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को समर्पित किया।



आज सीएसआईआर उद्योग और अन्य पक्षों को एसएंडटी आधारित सेवाएं भी देता है, मानकों के प्रमुख मानदंडों, जैव संसाधनों और परंपरागत ज्ञान के संरक्षक के तौर पर काम कर रहा है तथा बौद्धिक संपदा के निर्माण और देश के एसएंडटी मानव संसाधन की रक्षा व निर्माण में राष्ट्र की अगुआई कर रहा है।



1942 में स्थापित सीएसआईआर एक स्वायत्त संस्था है, जिसके प्रमुख प्रधानमंत्री हैं। आज सीएसआईआर 38 विशेष (स्टेट-ऑफ-द-आर्ट) संस्थानों के साथ दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक और औद्योगिक शोध संस्थानों में शुमार है। शिमागो इंस्टीट्यूशंस की ताजा रैंकिंग के मुताबिक सीएसआईआर अकेला ऐसा सरकारी संगठन है, जिसने दुनिया के शीर्ष 100 संस्थानों में जगह बनाई है। दुनिया के सरकारी संस्थानों में इसे 12वीं रैंकिंग दी गई है।







(यह लेख सीएसआईआर (विज्ञान के प्रसार की यूनिट), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नई दिल्ली से मिला है )

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