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समुद्र की लहरों और मंदिरों के शिखरों को उकेरा सिल्क पर छह दिवसीय सिल्क इंडिया प्रदर्शनी शुरु

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 18129

Bhopal: 6 सितम्बर 2017। बुनाई कला को जीवित रखने के लिए पिछले कई सालो से काम कर रही संस्था 'हस्तशिल्पी' द्वारा आयोजित छह दिवसीय सिल्क एक्जीबिशन सिल्क इंडिया का शुभारंभ हुआ। इस प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए देश भर से 200 से अधिक बुनकर आए हैं। प्रदर्शनी में ढाका के बुनकर भी है जो ढाका सिल्क से बुनी गई साड़ियां लाए हैं।



उपरोक्त जानकारी हस्तशिल्पी के प्रबंध संचालक टी अभिनंद ने दी। उन्होंने बताया कि मैसूर की ये संस्था देश भर के दूरस्थ अचंलो के उन बुनकरों को अपनी कला के प्रदर्शन के लिए मंच उपलब्ध करा रही है जो कई दशको से सिल्क कला को जीवित रखे हुए हैं। इसी प्रयास के तहत संस्था द्वारा कम्युनिटी हॉल रविशंकर नगर के पास बिटन मार्केट में दिनांक 6 से 11 सितम्बर तक सिल्क इंडिया प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में सिल्क साड़ियों के अनेक बुनकर, हैंडलूम क्लस्टर और सिल्क सहकारी समितियां 100 से अधिक स्टॉलों पर अपने उत्पादों को प्रदर्षित कर रही है। सिल्क प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न प्रांतो के साथ ही पाकिस्तान और बांग्लादेश से आया ढाका सिल्क भी प्रदर्शित किया जा रहा है।



प्रदर्शनी में बुनकरों ने सिल्क साडियों पर जहां गांवो के देहाती जीवन को बुना है तो वहीं मंदिरों के शिखरों, पहाडों, समुद्र की लहरों, ग्रामीण जनजीवन आदि को भी धागे से बुना है। कुछ साड़ियों में बुनकरों ने मिथक कथाओं के पात्रों को जगह दी है। रामायण, महाभारत के किस्से भी बुनकरों का पसंदीदा विषय रहे है। संस्कृत के श्लोक, पुराने शहरों की झलक को कुशल चितेरों की भांति प्रस्तुत किया है। प्रदर्शनी में जंगल में कुलांच भरते हिरण, डांडिया करती महिलाएं और मदमस्त ग्रामीणों की पेटिंग भी आकर्षित करती है। पंजाब से आए बुनकर सुनील सेैनी सिल्क पर फुलकारी के काम की साडियां और सूट लाए हैं। कश्मीर से आए अहमद अपने साथ कानी वर्क, आरी वर्क, पैपरमैसी और जामावर वर्क के सूट, दुपट्टे और पश्मीना शॉल लाए हैं। पैपरमेसी वर्क जीरो साईज की निडील से होता है। और काफी बारीक काम है।



टी अभिनंद ने बताया कि कलाप्रेमी दोपहर 10.30 बजे से रात 8.30 बजे तक देश भर के कोने कोने से आए बुनकरो की बुनाई कला को देखने के लिए आमंत्रित हैं।





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