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पेंशन स्कीम के अभिलेख अब 40 साल तक रखे जायेंगे

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: PDD                                                                         Views: 17691

Bhopal: 12, अप्रैल 2017, प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में 1 जनवरी 2005 से नवनियुक्त शासकीय सेवकों के लिये लागू राष्ट्रीय पेंशन योजना योजना से संबंधित वेतन देयक एवं शासकीय अंशदान देयक की कार्यालय प्रति चालीस वर्ष तक रखी जा सकेगी तथा इसके बाद इसे नष्ट किया जा सकेगा।



राज्य के वित्त विभाग ने इस संबंध में सभी विभागों, राजस्व मंडल ग्वालियर, सभी संभागायुक्तों, समस्त विभागाध्यक्षों तथा सभी जिला कलेक्टरों को परिपत्र भेज कर राष्ट्रीय पेंशन योजना संबंधी अभिलेखों के विनष्टीकरण की समय-सीमा का निर्धारण कर दिया है। वित्त विभाग ने पाया था कि उक्त अभिलेखों के विनष्टीकरण की समय-सीमा के निर्धारण नहीं होने से विभिन्न स्तरों पर अभिलेखों के रखरखाव में कठिनाई हो रही थी। इसीलिये अब बारह साल बाद यह समय-सीमा निर्धारित कर दी गई है।



नई समय-सीमा के अनुसार, अब परमानेंन्ट रिटायरमेंट एकाउन्ट नंबर यानी प्रान आवंटन हेतु फार्म-एस-वन अनुसार सेवापुस्तिका में प्रविष्टि करना तथा कोषालय में सत्यापन उपरांत सुरक्षित रखने का कार्य कार्यालय प्रमुख द्वारा संबंधित शासकीय सेवक की सेवानिवृत्ति/मृत्यु के दस वर्ष तक (सेवा स्वत्व संबंधी विवाद होने पर निराकरण होने तक) संधारित किये जायेंगे। प्रान में विवरण परिवर्तन हेतु फार्म-एस-2 अभिलेख कोषालय अधिकारी द्वारा 3 वर्ष तक संधारित किये जायेंगे।



इसी प्रकार, अब प्रान कार्ड एवं अधिलेख में फार्म-एस-7-फोटो/हस्ताक्षर परिवर्तन अभिलेख कार्यालय प्रमुख द्वारा सेवा अभिलेख की तरह दस वर्ष तक संधारित किये जायेंगे। सेंन्ट्रल रिकार्ड एजेन्सी यानी सीआरए को प्रेषित निकासी प्रकरण अभिलेख कोषालय अधिकारी द्वारा 3 वर्ष तक संधारित किये जायेंगे। पेंशन पत्राचार अथ्भलेख संबंधित कार्यालय प्रमुख द्वारा एक साल तक संधारित किये जायेंगे।



परिपत्र में कहा गया है कि आहरण एवं संवितरण कार्यालय एवं कोषालय स्तर में संधारित राष्ट्रीय पेंशन स्कीम संबंधित अभिलेखों को उपर्युक्त समयावधि तक सुरक्षित रखा जाये तथा इसके पश्चात विनष्टीकरण की कार्यवाही की जाये। इस संबंध में वित्त विभाग मप्र कोष संहिता एवं मप्र वित्त संहिता के सुसंगत प्रावधानों में संशोधन की कार्यवाही पृथक से करेगा।





- डा.नवीन जोशी

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