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मंडी समितियों और जल उपभोक्ता संथाओं के किये नये प्रावधान

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 2204

Bhopal: 20 मार्च 2019। राज्य सरकार ने एक साथ तीन अध्यादेश जारी किये। अध्यादेश तब जारी किये जाते हैं जब विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा होता है। इन अध्यादेशों की वेलिडिटी छह माह तक रहती है तथा छह माह के अंदर इन्हें विधेयक के रुप में विधानसभा सत्र में पारित करना होता है। ये तीनों अध्यादेश राज्य की कृषि उपज मंडी समितियों, जल उपभोक्ता संथाओं तथा ओबीसी वर्ग को अधिक आरक्षण देने के संबंध में जारी किये गये हैं। लोकसभा चुनावों के बाद जुलाई माह में होने वाले विधानसभा सत्र में इनके विधेयक प्रस्तुत किये जायेंगे।

पहला अध्यादेश मप्र कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम 1972 में संशोधन के संबंध में है। इसमें नया प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार गठित कृषि उपज मंडी समिति को विघटित करने के लिये सक्षम होगी तथा उसके स्थान पर एक निर्वाचित मण्डी समिति के गठन किये जाने तक एक भारसाधक अधिकारी नियुक्त कर सकेगी। ज्ञातव्य है कि राज्य की कृषि उपज मंडियों के चुनाव पिछले छह साल से नहीं हुये हैं तथा इन सभी समितियों में भारसाधक अधिकारी नियुक्त हैं। पिछले चुनाव के बाद बारह नई कृषि उपज मंडी समितियां बनी थीं तथा उनमें मनोनयन किया गया था। बाद में इन्हें भी भंग कर इनमें भारसाधक अधिकारी नियुक्त कर दिये गये थे। चूंकि इन बारह समितियों को भंग करने के अधिकार का स्पष्ट प्रावधान अधिनियम में नहीं था इसलिये कई मनोनीत सदस्य कोर्ट से स्थगन आदेश ले आये थे। इसी कारण से अध्यादेश लाकर राज्य सरकार ने इन समितियों को भी भंग कर भारसाधक अधिकारी नियुक्त करने का स्पष्ट अधिकार ले लिया है। राज्य कृषि मंडी बोर्ड के अपर संचालक केदार सिंह ने बताया कि यह अध्यादेश अधिनियम की तकनीकी खामियों को दूर करने के लिये जारी किया गया है।



इधर राज्य के जल संसाधन विभाग के अंतर्गत प्रचलित मप्र सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी अधिनियम 1999 में भी अध्यादेश के जरिये संशोधन किया गया है। इस अधिनियम के तहत नहरों से शुल्क देकर पानी लेने के लिये बनी जल उपभोक्ता संथाओं के संबंध में प्रावधान है। इन संथाओं के भी चुनाव होते हैं। संशोधन में कहा गया है कि जल उपभोक्ता संथाओं के सदस्यों की पदावधि के समाप्त होने पर, यदि प्रबंध समिति पुनगर्ठित नहीं होती है, तो राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा सदस्यों की पदावधि का केवल एक बार छह माह के लिये विस्तार कर सकेगी। जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता राजीव सुकलीकर ने बताया कि अभी लोकसभा के चुनाव होने हैं इसलिये करीब सत्रह सौ संथाओं के चुनाव नहीं कराये जा रहे हैं तथा इनके कार्यकाल में विस्तार किया गया है और लोकसभा चुनावों के बाद इनके चुनाव कराये जायेंगे।



इसी प्रकार, राज्य सरकार ने मप्र लोक सेवा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण अधिनियम 1994 में अध्यादेश के जरिये संशोधन किया है। संशोधन के अनुसार, अब अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण 14 प्रतिशत के स्थान पर 27 प्रतिशत मिलेगा।





- डॉ. नवीन जोशी

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