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अब मेडिकल कालेजों में प्रवेश हेतु प्रतिभूति नहीं देनी होगी

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 17093

Bhopal: 2 मई 2017, राज्य सरकार ने प्रदेश के सरकारी एवं निजी दोनों मेडिकेल कालेजों में स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश के समय दिये जाने वाले ग्रामीण सेवा एवं सीट लिविंग बांड हेतु भरे जाने वाले शपथ-पत्र में प्रतिभूति देने संबंधी प्रावधान खत्म कर दिया है। इसके अलावा काउन्सिलिंग के अंतिम दिन शाम पांच बजे तक सीट छोडऩे पर दी गई फीस में से अधिकतम 10 हजार रुपये ही काटने का नया प्रावधान कर दिया है।



उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने सत्र वर्ष 2017-18 हेतु निजी एवं सरकारी मेडिकल कालेजों में स्नातकोत्तर डिग्री/डिप्लोमा कोर्स जिनमें दंत चिकित्सा भी शामिल है, नियम जारी किये थे। इनमें सरकारी मेडिकल कालेजों में प्रवेश के समय तीन बांड भरने का प्रावधान किया गया था जिनमें पहला गैर सेवारत अभ्यर्थियों, दूसरा सेवारत अभ्यर्थियों द्वारा अध्ययन के बाद ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने तथा तीसरा दोनों वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा सीट लिविंग बांड भरने का प्रावधान था। इन बांडों के अंत में ग्रामीण सेवा या सीट छोडऩे पर निर्धारित राशि की बैंक गारंटी देने की प्रतिभूति देने का भी प्रावधान था। इस प्रावधान को अब हटा दिया गया है यानी बांड भरते समय बैंक गारंटी देने संबंधी प्रतिभूति नहीं देनी होगी।



इधर निजी मेडिकल कालेजों में सिर्फ गैर सेवारत एवं सेवारत अभ्यर्थियों द्वारा ग्रामीण सेवा बांड भरने का प्रावधान था। इनमें भी ग्रामीण सेवा न करने पर बैंक गारंटी देने संबंधी प्रतिभूति देने का प्रावधान था जिसे अब हटा दिया गया है।



सिर्फ दस हजार रुपये कटेंगे :

राज्य सरकार ने पहले नियमों में प्रावधान किया था कि स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश लेने पर मिली सीट काउन्सिलिंग के अंतिम दिन शाम 5 बजे तक इस सीट को अभ्यर्थी द्वारा छोड़े जाने पर उसके द्वारा जमा की गई फीस में से दस प्रतिशत के बराबर राशि काट कर शेष राशि लौटाई जायेगी। लेकिन अब नया प्रावधान कर दिया है कि काटी जाने वाली दस प्रतिशत 10 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होगी।



चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिभूति देने का प्रावधान इसलिये खत्म किया गया है क्योंकि जहां अभ्यर्थियों को भारी भरकम फीस जमा करना होती थी वहीं लगभग उतनी ही राशि बैंक गारंटी के लिये जमा करना पड़ती थी। इससे उन पर काफी वित्तीय बोझ आ जाता था। इसी प्रकार, सीट छोडऩे पर जमा शुल्क का दस प्रतिशत काटने और सिर्फ दस हजार रुपये की राशि काटने का प्रावधान इसलिये किया गया है क्योंंकि इससे अभ्यर्थियों की ज्यादा राशि न कटे।





- डॉ नवीन जोशी







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