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उमा प्रहलाद की एक साथ मौजूदगी से सियासत गरमाई, दोनों का साथ होना हलचल मचा गया

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: Admin                                                                         Views: 2052

Bhopal: 26 दिसंबर 2017। किसी दौर में एक दूसरे से बात करना तो दूर, चेहरा तक न देखने की बात करने वाले बीजेपी के दो नेताओं का मिलन प्रदेश में सियासी हलचल मचाए हुए है। भाजपा की फायरब्रांड नेत्री उमा भारती और पार्टी के ही प्रभावी नेता प्रहलाद पटेल अब फिर से साथ दिखने लगे हैं। हालांकि दोनो के साथ होने पर प्रहलाद पटेल ने चुप्पी साध ली।



- भले ही ये मंच लोधी समाज का परिचय सम्मेलन कार्यक्रम के लिए हो। लेकेिन भोपाल में दोनो नेताओं का एक साथ होना। बीजेपी के गलियारों में हलचल मचाए हुए हैं। पहले जबलपुर में उमा औऱ प्रहलाद पटेल एक मंच पर दिखे। उसके बाद अब भोपाल में उमा भारती औऱ प्रहलाद पटेल फिर एक मंच साझा किया। भले ही दोनो इस मुलाकात को लेकर कुछ न कहें। लेकिन इस मुलाकात ने बीजेपी में सियासी हलचल जरुर मचा दी है।



प्रहलाद पटेल ने उमा भारती की खातिर ही बीजेपी छोड़ दी थी, लेकिन बाद में हालात इतने बदल गए कि उमा और प्रहलाद के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं। राजनीति में चर्चित बड़ी बहन और छोटे भाई की ये जोड़ी चार साल बाद फिर से एक है। इसका सीधा मतलब निकाला जा सकता है कि बीजेपी की सियासत में अब बहुत कुछ बदलने वाला है। जानकारो की माने तो इस जोड़ी का एक साथ रहना अपने आप में राजनीतिक मायने दर्शाता है।



- प्रहलाद पटेल किसी दौर में उमा भारती के इतने कट्टर समर्थक थे कि उन्हें अपना नेता कहते हुए बीजेपी को छोड़ दिया था. उमा भी अपने राजनीतिक सहयोगियों में सबसे ज्यादा भरोसा प्रहलाद पर करती थीं और किसी भी अहम विषय को प्रहलाद की राय के बगैर मंजूरी नहीं मिलती थी, लेकिन जैसे ही उमा भारती ने सीएम पद की शपथ ली, प्रहलाद उनसे महज इसलिए दूर हो गए ताकि सरकार चलाने में हस्तक्षेप का आरोप न लगे...हालांकि इस दरम्यान भी दोनों के बीच रिश्त कायम रहे. इसके बाद 2004 में जब उमा भारती ने सीएम के पद से इस्तीफा देकर रामरोटी यात्रा निकाली तो प्रहलाद एक बार फिर उमा के साथ खड़े थे. 2005 में भारतीय जनशक्ति की स्थापना तक दोनों साथ रहे, लेकिन इसके बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए। तल्खी इतनी ज्यादा थी कि दस सालों तक दोनों के बीच एक बार भी बात नहीं हुई। आखिरकार रूठे भाई को मनाने के लिए उमा ने पहल की और वे पिछले दिनों जबलपुर प्रवास के दौरान प्रहलाद पटेल के घर जा पहुंचीं। आधे घंटे की बात-चीत में तमाम गिले-शिकवे दूर हो गए और दोनों एक साथ लोधी समाज के सम्मेलन में एक मंच पर दिखाई दिए।





डॉ. नवीन जोशी

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