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खजाना भर रही मदिरा की बिक्री, मध्यप्रदेश में शराबखोरी 5 साल में दोगुनी

Location: भोपाल                                                 👤Posted By: वेब डेस्क                                                                         Views: 18184

भोपाल: अंग्रेजी शराब का निर्यात बढ़ा, सरकार चाहती है और अधिक आय

गुजरात और बिहार जैसे राज्य जहाँ शराब बन्दी के लिये दिन रात एक कर रहे हैं वहीं मध्यप्रदेश में शराब ने खजाना लबालब कर दिया है मगर सरकार खुश नहीं है और अधिक आय चाहती है। पाँच साल में उत्पादन, खपत और आय तीनों बढ़ी हैं मगर 8 हजार करोड़ रूपये की एकमुश्त आय से भी सरकार का मन नहीं भरा।



सरकारी खजाने में सर्वाधिक कमाई देने में खनिज, पेट्रोल और शराब प्रमुख है। प्रदेश में पॉच साल में शराब की खपत 26 फीसदी बढ़ी है, सरकार को आय दोगनी हो गई तथा देश में बनी विदेशी शराब और बीयर का आयात घटा है और निर्यात बढ़ा है। सवा लाख करोड के कर्ज में डूबी सरकार आठ हजार करोड़ रूपये की एकमुश्त आय को खोने का हौसला दिखाने स्थिति में नहीं है। राज्य सरकार ने कोई नई शराब दुकान नहीं खोलने की नीति और उस पर अमल जारी रखा है, लेकिन न केवल शराब का उत्पादन, खपत और उससे होने वाली आय लगातार बढ़ रही है बल्कि उप दुकान, अहाता, बार और आकस्मिक लाइसेंस की संख्या भी बढ रही है। वर्ष 2011-12 में शराब से होने वाली आय 4317 करोड़ थी जो 2012-13 में 5083 तथा 2015-16 में 7926 करोड़ तक जा पहुँची है। अनुमानित लक्ष्य वर्ष 2016-17 का 8366 रखा गया है। इसी तरह पाँच साल में अहाते 142 से बढ़कर 172, बार 52 से बढ़कर 73 आकस्मिक लायसेंस 718 से बढ़कर 2243 हो गए हैं। निर्यात में भी 2011-12 में 233.97 बल्क लीटर विदेशी शराब वर्ष 2015-16 में 410.75 बल्क लीटर हो गई।



पॉच साल में देशी शराब की खपत में 27 फीसदी की वृद्धि हुई है। विदेशी शराब की खतप 26 फीसदी बढ़ी हैं। बीयर का आयात तीन साल में करीब दोगुना होने के बाद बीते साल से शुन्य हो गया है। बीयर के निर्यात में भी कमी आई है। जबकि देश में बनी विदेशी शराब के आयात में मामूली वृद्धि लेकिन निर्यात में भारी वृद्धि हुई है। राज्य सरकार को शराब के कारोबार से होने वाली आय पांच साल में चार हजार करोड़ से बढकर आठ हजार करोड़ को पार कर चुकी है। यानी दो गुना इजाफा। सूत्रो के मुताबिक शराब से होने वाली आय में पांच साल में दो गुने से ज्यादा के इजाफे से सरकार खुश नहीं है, आबकारी महकमे के आला प्रशासनिक अफसरो से राज्य शासन के अधिकारी नाखुश बताये जाते है । साफ है कि सरकार शराब बंदी को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की नसीहत को फिलहाल सुनने की स्थिति में नहीं है। गौरतलब है कि राज्यसरकार ने बीते डेढ़ साल में पंद्रह हजार करोड़ रूपए से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है। पेट्रोल पर लगातार टैक्स बढ़ा रही है। ऐसे में एक मुश्त ऐसे आठ हजार करोड रूपए की आय सरकार गवांना गवारा नहीं कर सकती, जिससे उसे आने वाले साल में 10 हजार करोड रूपए वसूल होने की उम्मीद हो। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश में शराब की बिक्री से खजाना भर गया है मगर सरकार का मन नहीं भरा।





( डॉ. नवीन आनंद जोशी )

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