Bhopal: 12 सितंबर 2017। प्रदेश के विन्ध्य क्षेत्र के चार जिलों रीवा, सीधी, शहडोल और सतना में किसानों को नहरों के द्वारा सिंचाई सुविधा देने के लिये 14 मई 1978 से शहडोल जिले के देवलोंद में बाणसागर डेम परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ तथा डेम का काम 25 सितम्ब्र 2006 को पूर्ण हुआ। परन्तु इस परियोजना की डूब की जद में आये कुल 81 गांवों को खाली कराकर इनमें रहने वाले ग्रामीणों को इन चारों जिलों में अन्यत्र पुनर्वासित कर दिया गया और इन्हें आदर्श ग्राम घोषित किया गया परन्तु आज भी इन्हें वैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है।
सतना जिले की अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक एवं वर्तमान में मप्र विधानसभा के उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार सिंह ने इन आदर्श गांवों को वैधानिक दर्जा दिलाये जाने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने राज्य सरकार से कहा है कि इन सभी आदर्श गांवों को राजस्व गांव घोषित किया जाये जिससे इन्हें भी अन्य राजस्व गांवों की तरह वैधानिक दर्जा मिले और तदानुसार सरकारी सुविधायें प्राप्त हो सकें।
उल्लेखनीय है कि बाणसागर परियोजना में खाली हुये कुल 81 ग्रामों में से सतना जिले के 50, शहडोल जिले के 22, कटनी जिले के 6 तथा उमरिया जिले के 3 गांव शामिल हैं। पुनर्वासित गांवों को संबंधित ग्राम पंचायतों अथवा नगर परिषदों को हस्तांतरित तो कर दिया जाता है लेकिन वे राजस्व ग्राम घोषित नहीं हो पाते हैं।
सरदार सरोवर प्रोजेक्ट में भी यही स्थिति :
इधर सरदार सरोवर परियोजना के तहत डूब प्रभावित हजारों गांवों को खाली कराकर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने उन्हें अन्यत्र रिक्त भूमि पर पुनर्वासित तो कर दिया गया परन्तु वे भी अब तक राजस्व ग्राम घोषित नहीं किये गये हैं।
विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह का कहना है कि उनके अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र में करीब आधा दर्जन आदर्श ग्राम हैं जोकि बाणसागर परियोजना के तहत पुनर्वासित हैं। परन्तु इन्हें अभी तक राजस्व ग्राम घोषित नहीं किया गया है जिससे आदर्श होने के बाद भी ये गांव वैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं हैं। उन्होंने राज्य सरकार को लिखा है कि इन्हें राजस्व ग्राम घोषित किया जाये।
इधर एनवीडीए के एक अधिकारी ने बताया कि सरदार सरोवर परियोजना में विस्थापित गांवों को पुनर्वासित स्थल पर बसाया गया है तथा हमारा काम इतना ही होता है तथा उन्हें राजस्व ग्राम घोषित करने का दायित्व राजस्व विभाग का है।
- डा.नवीन जोशी
बाणसागर परियोजना के पुनर्वासित गांव कहलाते आदर्श हैं पर उन्हें वैधानिक दर्जा नहीं...
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Bhopal
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