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मर्जर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर के बाद नवाब परिवार ने बेच दी सरकारी जमीन

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 18285

Bhopal: 3 जून 2017, क्रिएशन एण्ड प्रोजेक्शन डॉटकॉम के संचालक अमिताभ अग्निहोत्री ने मर्जर एग्रीमेंट व उनकी जमीनों को लेकर राजस्व विभाग की तत्कालीन सचिव माला श्रीवास्तव ने जो रिपोर्ट तैयार की थी, उसके आधार पर हाईकोर्ट जबलपुर ने 2004 में निर्णय दिया था कि 14 ग्रामों की लगभग 2800 एकड़ भूमि नवाब की मर्जर नहीं बल्कि शासकीय भूमि है। 13 साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने भूमियों को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है, जबकि इसे टेकओव्हर किया जाना चाहिए था। इससे यह साफ हो गया है कि 30 अप्रैल 1949 को मर्जर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर होने के बाद भी नवाब परिवार ने सरकारी जमीनों को गलत ढंग से बेंचा। इसकी जांच होना चाहिए। यदि नवाब परिवार दोषी है तो उन पर कार्रवाई होना चाहिए।



देशी एकता व अखण्डता का मामला है भोपाल मर्जर एग्रीमेंट

यह बात क्रिएशन एण्ड प्रोजेक्शन डॉटकॉम के संचालक अमिताभ अग्निहोत्री ने शनिवार को पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भोपाल मर्जर एग्रीमेंट देशी की एकता अखण्डता का मामला है, लेकिन अब यही एग्रीमेंट विवाद का कारण बन गया है। एग्रीमेंट में सरकारी हुई भूमियों में से 2800 एकड़ सरकारी भूमि की हेराफेरी कर 50 हजार करोड़ रुपए में नवाब परिवार ने बेंच दिया है। इससे साबित है कि यह सबसे बड़ा भूमि घोटाला है। इसमें नवाब परिवार ही नहीं बल्कि नेता, अधिकारी, भू-माफि या व दलालों का सिंडीकेट भी शामिल हैं। इसी मुददे को लेकर वर्ष 2015 में हाईकोर्ट में क्रिएशन एण्ड प्रोजेक्शन डॉटकॉम की ओर से एक याचिका प्रस्तुत की गई। 20 पेशियां बीत जाने के बाद भी शासन और नवाब परिवार की ओर से कोई भी जवाब अब तक पेश नहीं हो रहा है, जवाब देने के लिए समय ही बढ़वाया जा रहा है।



मर्जर की सत्यापित प्रति पर संदेह

मर्जर कॉपी संदिग्ध है। मर्जर की सत्यापित प्रति में हमीदुल्ला खान एवं केंद्र शासन के वीपी मेनन के हस्ताक्षर नहीं दिख रहे है। यही नहीं, मूल कॉपी भी देखने को नहीं मिल रही है। लेकिन सर्टिफाईड कॉपी में यह दावा किया है कि मूल प्रति देखकर सर्टिफाईड किया है। जिसको सैफ अली खान ने पिटीशन में प्रस्तुत किया है। इस सर्टिफाईड कॉपी की मूल प्रति देखने के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी।



नवाब के नाम चढ़ गई हजारों एकड़ सरकारी जमीन

मर्जर एग्रीमेंट 30 अप्रैल 1949 में हस्ताक्षर होने से पहले भारत शासन के सचिव वीपी मेनन ने मर्जर मामले में नवाब की निजी सम्पत्तियों का नक्श हस्ताक्षर कर प्रस्तुत किया था जो अब रिकार्ड से गायब है। इसी प्रकार मर्जर एग्रीमेंट की सर्टिफाइड फोटोकापी में नवाब की प्रापर्टियों में मात्र कैसर-ए-सुल्तानी, उसके सर्वेंट क्वार्टर, किचिन, प्ले ग्राउण्ड, स्टोर, आउट हाउस, गेस्ट क्वार्टर सहित अन्य चल व अचल संपत्ति दर्शाई गई है। इसके बाद भी सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से नवाब परिवार के नाम पर हजारों एकड़ सरकारी भूमि चढ़ गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मर्जर का मूल विवाद केवल 14 गांवों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें 400 गांव शामिल हैं। जिनकी सीमाएं पूर्व में सिलवानी, पश्चिम में आष्टा, इछावर, उत्तर में बैरसिया, दोराहा तथा दक्षिण में उदयपुरा शाहगंज तक है। यहां की भूमियों की भी जांच होनी चाहिए।



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