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यूं ही नहीं लिया गया नोटबंदी का फैसला, सर्वोच्च गोपनीय अध्ययन थी बड़ी वजह

Location: नई दिल्ली                                                 👤Posted By: Digital Desk                                                                         Views: 17930

नई दिल्ली: 15 नवम्बर 2016, सरकार की तरफ से ‌‌1000 और 500 के पुराने नोटों का चलन बंद करने का फैसला लिए जाने की अहम वजह देशभर में नकली नोटों के जाल को लेकर इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टिट्यूट (ISI) सहित कई सिक्यॉरिटी एजेंसियों की तरफ से हुई सर्वोच्च गोपनीय अध्ययन है।



यह अध्ययन फरवरी और मार्च में पीएम नरेंद्र मोदी के सामने पेश की गई थी।



इस पर मोदी ने अपनी टीम को इस दिशा काम करने के लिए कहा था। ब्लैक मनी और जाली नोट के खिलाफ एक ही बार में ऐक्शन लेने का फैसला टॉप लेवल पर लिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल 400 करोड़ रुपये के जाली नोट यानी फेक इंडियन करंसी नोट (एफआईसीएल) चल रही थी। स्टडी में यह भी बताया गया था कि यह पिछले चार साल में 2011-12 से 2014-15 के बीच एक ही स्तर पर रहा है।



रिपोर्ट के हिसाब से सिस्टम में 500 रुपये के मुकाबले 1000 के जाली नोट कम पाए गए थे। स्टडी में यह भी पता चला था कि सिस्टम में 100 के जाली नोट 1000 वाले जितने ही हैं लेकिन सरकार ने 100 के करंसी नोट को खत्म नहीं करने का फैसला किया।



स्टडी नैशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी और आईएसआई दोनों ने मिलकर की है। इसमें कहीं यह सुझाव नहीं दिया गया था करंसी को डी-मॉनेटाइज कर दिया जाए। इसमें फाइनैंशल इंस्टिट्यूशंस की तरफ से जाली नोटों की पहचान में सुधार लाने के लिए पांच ऐक्शन पॉइंट्स की पहचान की गई थी। स्टडी में दिए गए सुझावों को लागू किए जाने से अगले तीन से पांच वर्षों में जाली नोटों की संख्या आधी रह जाएगी।



सरकारी सूत्रों ने बताया कि स्टडी नैशनल सिक्यॉरिटी अडवाइज़र अजित डोवल को सौंपी गई और उस पर अगले कुछ हफ्ते तक गहन चर्चा के बाद यह महसूस किया गया कि बड़े कदम उठाने की जरूरत नहीं है। 1000 और 500 के करंसी नोट डीमॉनेटाइज करने पर आरबीआई के जोर दिए जाने से चर्चा व्यापक हो गई।



दूसरे देशों के मुकाबले भारत की तुलना करें तो ब्रिटेन, कनाडा, मेक्सिको जैसे देशों के मुकाबले यहां नकली करंसी की संख्या ज्यादा है। यहां हर 10 लाख रुपये के नोट पर 250 रुपये के नकली नोट होने का अनुमान है। अनुमान यह भी है कि हर साल इंडियन इकॉनमी में 70 करोड़ रुपये के जाली नोट घुसाने की कोशिश की जा रही है जिसमें से एक तिहाई ही पकड़ में आ पाते हैं।



स्टडी में यह भी पाया गया है कि 80 पर्सेंट जाली इंडियन नोट तीन प्राइवेट सेक्टर बैंकों- HDFC, ICICI और एक्सिस बैंक ने पकड़े हैं। स्टडी के अनुसार, 'दूसरे फाइनैंशल इंस्टिट्यूशंस की रिपोर्टिंग में सुधार के लिए तत्काल उपाय किए जाने चाहिए।' स्टडी में एनबीएफसी की पहचान बड़े लूपहोल की तरह की गई थी जहां बड़ी संख्या में कैश हैंडलिंग होती है, लेकिन यह डिटेक्शन सिस्टम से बाहर रहता है।

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