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राज्यपाल ने रोके कमलनाथ सरकार के दो विधेयक

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 995

Bhopal: आम चुनाव के बाद होगा इन पर विचार

18 मई 2019। प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कमलनाथ सरकार द्वारा विधानसभा में पारित दो विधेयकों को रोक दिया है। इन पर वे 23 मई को लोकसभा आम चुनावों की मतगणना होने के बाद ही विचार करेंगी।

ज्ञातव्य है कि कमलनाथ सरकार ने गत विधानसभा सत्र में 21 फरवरी 2019 को मप्र नगरपालिका संशोधन विधेयक पारित किया था। इस विधेयक में प्रावधान है कि प्रदेश की नगरपालिकाओं एवं नगर परिषदों में अध्यक्ष एवं पार्षद पद का चुनाव कुष्ठ रोगी भी लड़ सकेंगे। पहले इन पर चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध था। इस विधेयक को पारित करने के समय नगरीय प्रशासन मंत्री जयवध्र्दन सिंह ने तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2017 से विधि सेंटर फार लीगल पालिसी विरुध्द भारत संघ एवं अन्य की एक रिट याचिका लंबित है जिसमें मुद्दा है कि विभिन्न राज्यों एवं केंद्रीय अधिनियमों में कुष्ठ रोग पीडि़त व्यक्तियों के लिये विभेदकारी व्यवहार का प्रावधान है तथा इन्हें अब समाप्त किया जाना चाहिये क्योंकि कुष्ठ रोग अब एक असाध्य न होकर साध्य रोग है। प्रदेश में 58 साल पुराने मप्र नगरपालिका अधिनियम 1961 में प्रावधान था कि कुष्ठ रोगी नगर पालिका एवं नगर परिषद के अध्यक्ष एवं पार्षद परद का चुनाव नहीं लड़ सकता है। इसीलिये इस विभेदकारी प्रावधान को समाप्त करने के लिये यह विधेयक लाया गया।

इसी प्रकार, विधानसभा के गत सत्र में ही 21 फरवरी 2019 को एक और विधयेक पारित हुआ था जोकि मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन विधेयक था। इसमें पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने प्रावधान किया है कि ग्राम पंचायत, जिला एवं जनपद पंचायत के पदाधिकारी यदि नगरीय निकायों के पदाधिकारी बन जाते हैं तो उनका पंचायत से पद स्वमेव रिक्त माना जायेगा। इस संशोधन विधेयक में नया प्रावधान यह भी जोड़ा गया है कि गौशाला तथा कांजी हाऊस स्थापित करना तथा उसका प्रबंध करना और भटके हुये पशुओं की उचित देखरेख करना। इस विधेयक में पंचायत क्षेत्रों के परिसीमन का भी प्रावधान किया गया है।

उक्त दोनों विधेयकों को राज्यपाल ने पिछले करीब तीन माह से मंजूरी प्रदान नहीं की है। इससे दोनों ही विधेयक अब तक अमल में नहीं आ सके हैं। इसके पीछे कारण लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होना बताया जाता है। जबकि राज्यपाल ने गत विधानसभा सत्र में ही 21 फरवरी 2019 को पारित अन्य विधेयक यथा मप्र आधार वित्तीय और अन्य सहायिकायों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्षित परिदान विधेयक को लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद 13 मार्च 2019 को मंजूरी प्रदान की थी। उल्लेखनीय है कि इस साल के अंत में प्रदेश के त्रिस्तरीय नगरीय एवं पंचायत राज संस्थाओं के आम चुनाव होने हैं।

विभागीय अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल के पास नगरीय एवं पंचायत विभाग के दो विधेयक स्वीकृति हेतु लंबित हैं। संभवतया ये दोनों लोकसभा आम चुनाव की आचार संहिता के बाद मंजूर होंगे। मंजूरी के बाद इनका अधिनियम के रुप में प्रकाशन किया जायेगा।







चुनाव परिणामों पर टिकी पोस्टिंग

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है अब तक के छह माह के उसके शासनकाल में कुछेक नेताओं व कार्यकत्र्ताओं छोडक़र किसी को भी सरकार के निगम-मण्डलों सहित अन्य स्थानों पर पोस्टिंग नहीं मिली है। उन्हें लोकसभा चुनाव की आचार संहिता कारण बताया गया है। लेकिन अब इनकी पोस्टिंग लोकसभा चुनावों के परिणामों पर टिक गई है तथा जिन क्षेत्रों में कांग्रेस को बढ़त मिलेगी वहां के नेता एवं कार्यकत्र्ता ही पोस्टिंग के लिये दावेदार हो सकेंगे। इन दावेदारों में कांग्रेस के विधायक एवं समर्थक विधायक भी शामिल हैं।





- डॉ. नवीन जोशी

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