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सीएम हेल्प लाईन में शिकायतों के निराकरण की प्रक्रिया में हुआ बदलाव

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: डिजिटल डेस्क                                                                         Views: 1550

Bhopal: लेवल चार की शिकायतें लेवल तीन पर भी निराकृत हो सकेंगी

17 सितंबर 2018। राज्य शासन ने ऐन विधानसभा आम चुनावों के पूर्व सीएम हेल्प लाईन में शिकायतों के निराकरण की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है। अब लेवल चार की शिकायतों का लेवल तीन के अधिकारियों द्वारा निराकरण किया जा सकेगा।



ज्ञातव्य है कि सीएम हेल्प लाईन में आने वाली शिकायतों के निराकरण हेतु चार लेवल बनाये गये हैं। जब शिकायत दर्ज होती है तो यह वह संबंधित अधिकारी के पास निराकरण हेतु भेजी जाती है जिसे लेवल एक कहा जाता है। यदि यहां शिकायत का निराकरण नहीं होता है तो यह शिकायत लेवल दो पर पहुंचा दी जाती है जिसे जिला स्तर का अधिकारी निराकृत करता है। इस लेवल पर भी शिकायत का समाधान नहीं होने पर यह लेवल तीन पर चली जाती है जहां संभाग स्तर का अधिकारी इसका निराकरण करता है। यहां भी शिकायत का निपटारा नहीं होने पर इसे लेवल चार पर भेजा जाता है जिसे राज्य स्तरीय अधिकारी निराकृत करता है।



लेकिन अब सीएम हेल्प लाईन में आने वाली शिकायतों के निराकरण की नई प्रक्रिया स्थापित कर दी है। अब लेवल चार स्तर पर लंबित शिकायतों को लेवल तीन अधिकारी द्वारा स्पेशल क्लोजर किया जा सकेगा। पहले शासकीय प्रावधान नहीं होने पर शिकायत को फोर्स क्लोजर द्वारा नस्तीबध्द किया जाता था परन्तु अब इसे स्पेशल क्लोजर नाम दिया गया है। इसी प्रकार, लेवल चार स्तर पर मान्य/अमान्य हेतु लंबित शिकायतों को लेवल तीन स्तर का अधिकारी मान्य या अमान्य कर सकेगा अर्थात राज्य स्तरीय अधिकारी के निराकरण का इंतजार नहीं करना होगा। इसके अलावा अब लेवल एक एवं लेवल दो अधिकारी द्वारा स्पेशल क्लोजर योग्य शिकायत पर स्पष्ट कारण का उल्लेख करते हुये प्रस्ताव लेवल तीन एवं लेवल 4 स्तर के अधिकारी को प्रेषित किये जाने की भी सुविधा भी दी गई है।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि सीएम हेल्प लाईन में आने वाली शिकायतों का निराकरण उपलब्ध शासकीय प्रावधानों के अनुसार ही किया जा सकता है। लेवल चार नीतिगत निर्णयों के लिये होता है। जब आवेदक अपनी शिकायत के निराकरण से संतुष्ट नहीं होता है तो यह शिकायत अगले लेवल पर ट्रांसफर होती जाती है। लेकिन जब शासकीय प्रावधान उपलब्ध ही नहीं है तो शिकायत में क्लोजर डालना ही पड़ता है।







- डॉ. नवीन जोशी

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