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हिंदी की कीमत पर अंग्रेजी नहीं चलेगी - शिवराज

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: PDD                                                                         Views: 18299

Bhopal: -सरकार बनाएगी दुष्यंत कुमार का संग्रहालय



14 सितंबर 2017। हम किसी दूसरी भाषा का विरोध नहीं करते, लेकिन हिंदी की कीमत पर अंग्रेजी नहींचलेगी। यह कहना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का! वह हिन्दी विवि द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर सांसद भोपाल आलोक संजर और विवि के कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि, हिन्दी गजल के प्रख्यात हस्ताक्षर दुष्यंंत कुमार के नाम पर संग्रहालय मप्र सरकार द्वारा बनवाया जाएगा। इसके साथ ही 16-17 दिसंबर को दो दिवसीय राज्य सम्मेलन प्रस्तावित है। जिसमें हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम भी किए जाएंगे।

अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हिन्दी की जरूरत तथा उसके महत्व को बताते हुए उपस्थित समुदाय के समक्ष यह सवाल भी रखा कि हमारी हिंदी इतनी समृद्ध है लेकिन इसके बाद भी भाषा के मामले में हम इतने संकीर्ण कैसे हो गए हैं। हिन्दी दिवस मनाने की जरूरत क्यों? हर दिन हिन्दी दिवस क्यों नहीं।



यहां उनका कहना था, कि सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती है, जब तक कि समाज का सहयोग न मिले और जनता ठान न ले। हिन्दी के लिए सतत जनजागरण की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया में बोली जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी भाषा हिन्दी के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि अब गूगल और माइक्रोसाफ्ट जैसी कंपनियां अंग्रेजी के साथ हिन्दी की ओर रूख कर रही हैं। इसलिए यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि हिन्दी को आगे बढऩे से कोई रोक नहीं पाएगा। यहां उन्होंने बताया कि बतौर मुख्यमंत्री दुनिया के कई देशों में उद्बोधन के लिए गया लेकिन अंग्रेजी के बजाय हिन्दी में अपनी बात को रखने का प्रयास किया। इसके बाद महसूस हुआ कि सम्मान घटा नहीं बल्कि बढ़ा है। अंदाजा इससे भी लगाया जाना चाहिए, कि मैं ठेठ हिन्दी के सरकारी स्कूल में पढ़ा हूं और बीते 27 वर्षों से सांसद विधायक रहते हुए पिछले 12 वर्षों से इस प्रदेश में बतौर मुख्यमंत्री दायित्व का निर्वहन कर रहा हूं। इससे पहले विवि के कुलपति प्रो रामदेव भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा संस्कृतिक प्राणवायु है। हम भाषा के बिना समृद्ध समाज की कल्पना नहीं कर सकते हैं। हिन्दी कोअंग्रेजी भाषा के औपनिवेशवाद तथा धुवीकरण के जबाव का माध्यम बताते हुए हिन्दी के दुर्गति के लिए लोभ व भय को जिम्मेदार ठहराया। हिन्दी विश्वविद्यालय को भाषा के क्षेत्र में पर भाषा के खिलाफ अचूक माध्यम बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके तहत हिन्दी को पुर्नस्थापित करने का प्रयास सरकार ने किया है। जिससे प्रतिकूलताओं से निपटने के लिए अध्ययन अध्यापन के कार्य किए जाएंगे। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदन के बीच दीप प्रज्जवलित कर किया गया।



शिवराज ने यह भी कहा

हिन्दी दिवस पर आयोजित समारोह अब सभागृह में नहीं बल्कि मैदान में आयोजित किए जाएंगे, जिसमें प्रदेश के सभी विवि के कुलपति आवश्यक रूप से शामिल होंगे। वहीं सभी विवि में हिन्दी पढ़ाना और विभाग खोलना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार यह कानून बनाकर सुनिश्चित करेगी, कि दुकानों में लगे ग्लोसाइन बोर्ड अंग्रेजी के साथ हिन्दी में भी बनाकर लगाए जाएं।



मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत हुए हिंदी के विद्वान

समारोह के दौरान हिंदी के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए यहां कई विभुतियों को संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित हिंदी भाषा सम्मान से सम्मानित किया गया। एक लाख रुपए के राशि के साथ शाल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्रिका भेंट की गई। वर्ष 2016-17 के लिए सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान माइक्रो सॉफ्ट को दिया गया। हिंदी भाषा के तहत निर्मल वर्मा सम्मान तेजेन्द्र शर्मा, फादर कामिल बुल्के सम्मान डॉ. हेमराज सुन्दर, गुणाकार मुले सम्मान प्रो. हरिमोहन और हिंदी सेवा सम्मान प्रो. ओकेन लेगो को दिया गया है। इसकेपहले राष्ट्रीय मैथिली शरण गुप्त और शरद जोशीं पुरस्कार वितरित किए गए। दो लाख रूपए की राशि के साथ प्रशस्ति पत्र और शाल श्रीफल के साथ यह सम्मान वर्ष 2013-2014 से लेकर वर्ष 2016-2017 के लिए दिए गए हैं। मैथिली शरण पुरस्कार के लिए मालती जोशी, ललित दुबे, डॉ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, और कमल किशोर गोयनका को दिया गया। जबकि शरद जोशी पुरस्कार के तहत गोपाल चतुर्वेदी, डॉ. सूर्यबाला, प्रेम जन्मेजय और नर्मदा प्रसाद उपाध्याय का चयन किया गया था!







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