×

अयोध्या मस्जिद निर्माण में हिन्दू जन भी मदद करें !

Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 3283

भोपाल: के. विक्रम राव Twitter ID: Kvikram Rao

उदारमना हिंदुओं का कर्तव्य है कि धन्नीपुर मस्जिद (अयोध्या) के लिए तुरंत मदद करें। दरियादिली से दान दें। दानशील कभी भी निर्धन नहीं होता है, कहा था, ईसाई (स्विट्जरलैंड) के धर्मशास्त्री जॉन कैस्वी लावोटर ने। आज (18 मई 2023) के वामपंथी दैनिक "दि हिन्दू" (चेन्नई) के पृष्ठ 11, कालम 6-7 पर खबर छपी है कि मस्जिद निर्माण का कार्य ठप हो गया है। अकीदतमंद मुसलमान धनराशि उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। हालांकि इसके निर्माता ट्रस्ट (इस्लामी फाउंडेशन) के सचिव अतहर हुसैन तो योगी सरकार का आभार मानते हैं कि भू-कानून में संशोधन कर केवल एक ही दिन में मस्जिद का नक्शा पास हो गया था। विकास निगम के सचिव सत्येंद्र सिंह ने तत्काल स्वीकृत कर दिया था। यूं तो इस इस्लामी फाउंडेशन ने दो साल पूर्व बड़े गरूर से दावा किया था कि मस्जिद भी राम मंदिर के दिन ही तैयार हो जाएगी। दिसम्बर 2023 तक। यह बहुसंख्यकों की उदारता है कि मस्जिद हेतु भूमि दे दी गई। मगर चार वर्ष गुजर गए अभी तक एक ईंट भी नहीं जड़ी गई। सिरमिंट तो पड़ा ही नहीं। दस्तावेजी सबूत पर आधारित रपट है कि मस्जिद बनने के आसार अभी तक नहीं दिख रहे हैं। मस्जिद तथा अन्य सुविधाओं के लिए अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल गया था। मगर आवेदन पर हुई पड़ताल के दौरान विभाग ने मस्जिद की ओर जाने वाला रास्ता कम चौड़ा होने को लेकर आपत्ति की गई थी। प्रशासन ने इस पर तत्काल कदम उठाते हुए रास्ता चौड़ा करने के लिए दी जाने वाली अतिरिक्त जमीन की नाप-जोख की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया था कि "हमें अयोध्या विकास प्राधिकरण से मस्जिद, अस्पताल, सामुदायिक रसोई, पुस्तकालय और रिसर्च सेंटर का नक्शा मिल जाने की उम्मीद है। उसके फौरन बाद हम मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू कर देंगे।" बाकी चीजों का भी निर्माण शुरू कराएगी। चूंकि मस्जिद छोटी है इसलिए उसके जल्द बनकर तैयार हो जाने की संभावना है। हालांकि इसके निर्माण की कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। इसी साल के अंदर (दिसंबर 2023 तक) मस्जिद का ढांचा तैयार हो जाना था।
गौरतलब है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण दिसंबर 2023 तक तैयार हो जाने की बात कही है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने संवाददाताओं को बताया था कि मंदिर का निर्माण दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद मंदिर में विधिवत दर्शन-पूजन शुरू कर दिए जाएंगे।
फिलहाल विवाद जो भी हो मस्जिद का नाम एक बड़े राष्ट्रवादी व्यक्ति पर रखा गया है : अहमदुल्लाह शाह भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए थे। उनके पुरखे मैसूर की सेना मैं अफसर थे जो ब्रिटिश सेना से लड़े थे। अयोध्या में अहमदुल्लाह ने जनता को ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध जगाया था। वे स्वयं रूस, ईरान, इराक गए थे तथा हज भी किया था।
याद रहे कि मस्जिद निर्माण विषय पर कभी भी मुसलमानों मे एक मत नहीं बन पाया। सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद के वकील जनाब जन्नतनशीन जफरयाब जिलानी का मानना था कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय वक्फ बोर्ड के नियमों के विपरीत है। शरियत कानून की भी अवहेलना है। फिलहाल मंदिर तो निर्माण के शिखर पर है। मस्जिद अभी भी कच्छ्प गति से है, आधे अधूरे दौर में ही। शायद खुदा की कृपा की आस में।
यहां सनातन मतावलंबियों को स्मरण कराना होगा कि उन्हें प्राचीन धार्मिक आदेश दिया गया था कि समस्त धरती को अपना ही परिवार माने। वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है जो महा उपनिषद सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एव कुटुम्बकम्)। यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है। उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम् ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ६, मंत्र ७१)
इतिहास गवाह है कि हिंदू हमेशा सहिष्णु रहा है, रहम दिलवाला है। विनम्रता उसका स्वभाव है। वह गजवाये हिन्द को पाप समझता है। मतांतरण के विरोधी रहे हैं। आस्था के नाम पर उसने जुल्म नहीं ढाये हैं। दूसरे का देश कब्जियाया नहीं है। हिंदुओं की सहनशीलता के बारे में प्रथम ब्रिटिश साम्राज्यवादी गवर्नर लार्ड राबर्ट क्लाइव ने लिखा था कि : ?लाल रंग से ही हिंदुओं को भय होता है। अतः हम यहां सदियों तक राज कर सकते हैं।? यही नजारा था मुगलराज में भी जब अयोध्या, काशी और मथुरा में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी।
क्या दुखद दृश्य है कि ब्रिटिश कानून पर संचालित अदालतें इस शाश्वत सच को सिद्ध करने के लिए सबूत मांगते हैं। इस्तांबुल का उदाहरण दे दें। चर्च था हागिया का, तुर्कों ने मस्जिद बना दिया। मगर सेकुलर मुस्तफा कमाल ने उस संग्रहालय बनाया। गत वर्ष कट्टर मुसलमान एडोर्गन ने फिर उसे मस्जिद बना डाला। क्या भारत में कहीं ऐसा उदाहरण मिला ? दूसरे के आस्थास्थल को ध्वंस कर मंदिर बना हो ? अर्थात भारतीयों को कोर्ट में सिद्ध करना पड़ रहा है कि राम अयोध्या में जन्मे थे। कृष्ण मथुरा में अवतरित हुये थे और काशी में शिवलिंग मिला था।
सवाल उठ सकता है कि धन्नीपुर मस्जिद के लिए हिंदू क्यों मदद करें ? मात्र कारण यह है कि भारत की गौरवशाली परंपरा रही। हमने कोई आस्था केंद्र कभी नहीं तोड़ा। छत्रपति शिवाजी ने तो औरंगजेब की बेटी तक को सादर, सही सलामत भिजवा दिया था। सूरत पर हमले के दौरान मराठों ने कभी भी मस्जिद नहीं खंडित की।
यदि हिंदुओं की मदद से अयोध्या में (धन्नीपुर) में मस्जिद बन जाती है तो विश्व भर के इस्लामिस्टों को तब प्रायश्चित होगा कि भारतीय उदार हैं, भले ही उन पर इतिहास में जुल्म हुआ है। दूसरे के मजहब का भी सम्मान करते हैं। ध्वंस नहीं करते जो उजबेकी का डाकू बाबर और उसके वंशज औरंगजेब ने किया था। राम तो रहमदिल रहे हैं। अतः रामभक्तों को भी फराखदिली से काम करना चाहिए।


K Vikram Rao
Mobile : 9415000909
E-mail: k.vikramrao@gmail.com

Related News

Latest News

Global News