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आईएनएफ़ संधि: क्या दुनिया हथियारों की होड़ में झोंक दी जाएगी

Location: New Delhi                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 11278

New Delhi: अमरीका ने शीत युद्ध के दौर के प्रमुख परमाणु ​हथियार समझौते इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फ़ोर्स यानी आईएनएफ़ संधि को स्थगित कर दिया है.



अमरीका का कहना है कि रूस के क्रूज़ मिसाइल विकसित करने से संधि की शर्तों का उल्लंघन हुआ है.



हालांकि, रूस अमरीका के इस आरोप से लगातार इनकार करता रहा है.



दोनों ही पक्ष सं​धि का पालन न करने को लेकर एक-दूसरे को लंबे समय से आरोपी ठहराते आए हैं.



फिलहाल अमरीका ने संधि को छह महीनों के लिए स्थगित कर दिया है और अगर रूस के साथ मतभेद हल नहीं होते हैं तो अमरीका संधि से बाहर निकल जाएगा.



रूस और अमरीका के बीच तनातनी की वजह बनने वाली ये आईएनएफ संधि है क्या और इस टकराव के क्या परिणाम होंगे.



आईएनएफ क्या है?

यह संधि एक महत्वपूर्ण हथियार नियंत्रण समझौता है जिस पर अमरीका और सोवियत संघ ने 1987 में हस्ताक्षर किए थे.



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दुनिया की महाशक्तियों ने संधि के तहत ज़मीन से मार करने वाली 500 से लेकर 5,500 किलोमीटर की रेंज वाली मध्यम दूरी की मिसाइलों और क्रूज़ मिसाइलों को नष्ट करने और प्रतिबंधित करने पर सहमति जताई थी. इसमें परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह की मिसाइलें शामिल हैं.



1970 में सोवियत रूस ने पश्चिमी यूरोप में एसएस-20 मिसाइल भेजी थी जिनसे नेटो में शामिल देशों की चिंताएं बढ़ गई थीं.



आईएनएफ़ महत्वपूर्ण क्यों है

अमरीका आधारित संस्थान आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के मुताबिक़ इस संधि में पहली बार दोनों ​महा​शक्तियों ने अपने परमाणु शस्त्रागार कम करने, परमाणु हथियारों की पूरी श्रेणी ख़त्म करने और साइट पर व्यापक निरीक्षण की अनुमति देने पर सहमति जताई थी.



आईएनएफ संधि के परिणामस्वरूप, अमरीका और सोवियत संघ ने जून 1991 तक 2,692 छोटी, मध्यम और मध्यवर्ती दूरी की मिसाइलों को नष्ट कर दिया था.



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क्यों हुआ टकराव?

अमरीका साल 2014 से रूस पर मध्यम दूरी की नोवाटोर 9एम729 मिसाइल बनाकर संधि के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है.



कुछ रिपोर्टों के अनुसार, रूस के पास संधि को तोड़ने वाली क़रीब 100 मिसाइलें हैं.



अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "सालों से रूस बिना किसी पछतावे के आईएनएफ संधि की शर्तों को तोड़ता आ रहा है. एक पक्ष के समझौते का पालन न करने की स्थिति में उसमें बने रहना अच्छा नहीं है."



वहीं, रूस कहता है कि उसकी मिसाइल 500 किमी से कम की रेंज में है और आरोप लगाता है कि अमरीका का पोलैंड और रोमानिया में ज़मीन से मार करने वाला बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस पर हमले के लिए प्रतिबंधित मिसाइलों के इस्तेमाल में लाया जा सकता है.



जबकी अमरीका का कहना है कि उसका मिसाइल डिफेंस सिस्टम पूरी तरह से आईएनएफ की शर्तों के अनुरूप है.



रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रिएटकोफ ने कहा कि अमरीका का आईएनएफ की संधि से पीछे हटना अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा है. उन्होंने ये बात माइक पोम्पियो की घोषणा से पहले कही थी.



उन्होंने कहा, "यह अंतरराष्ट्रीय हथियार नियंत्रण प्रणाली और सामूहिक विनाश के हथियारों के अप्रसार की प्रणाली के लिए एक गंभीर झटका होगा. एक पक्ष का इसे तोड़ना गैरजिम्मेदाराना रवैया होगा."



नेटो ने अमरीका के दावे का समर्थन किया है और एक बयान जारी कर रूस को पूरी तरह इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया है.



नेटो ने कहा, "अगर रूस अपनी 9एमएस729 प्रणाली को नष्ट करके आईएनएफ संधि का सम्मान नहीं करता और अमरीका के संधि से निकलने से पहले पूरी तरह संधि का पालन नहीं करता तो रूस इस संधि के ख़त्म होने के लिए अकेला ज़िम्मेदार होगा."



परमाणु हथियारों की दौड़ की शुरू?

बीबीसी डिप्लोमेट कॉरस्पॉन्डेंट जॉनाथन मार्कस इसका जवाब हां में देते हैं.



मार्कस कहते हैं, "आईएनएफ संधि को स्थगित करने और उससे निकलने की प्र​क्रिया शुरू करने के फैसले ने परमाणु हथियारों की दौड़ की अशंकाएं पैदा कर दी हैं. वहीं, ये हथियार नियंत्रण संधियां उस वक्त टूटने की स्थिति में हैं जब रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है."



आईएनएफ़ का टूटना एसटीएआरटी संधि के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है. साल 2010 में हुई यह संधि लंबी दूरी की रणनीतिक मिसाइलों के लिए सीमा निर्धारित करती है. यह संधि 2021 में खत्म हो रही है.



अगर अमरीका और रूस दोनों तैयार होते हैं तो ये संधि पांच साल के लिए आगे बढ़ाई जा सकती है. लेकिन, कई विश्लेषकों की चिंताएं हैं कि वर्तमान में बिगड़ते राजनीतिक हालात में इस महत्वपूर्ण संधि को खतरा हो सकता है.



चीन और दूसरे देश

अमरीका में ऐसा धड़ा भी है जो कहता है कि आईएनएफ़ समझौते के बाद से अब तक हालात काफ़ी बदल गए हैं.



जोनाथन मार्कस कहते हैं, "हो सकता है कि सिर्फ़ अमरीका और रूस के लिए द्विपक्षीय ​हथियारों पर नियंत्रण का दौर ख़त्म होने जा रहा है.​ अब चीन भी महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है. अमरीका और रूस के अलावा दस और ऐसे देश हैं जिन्होंने मध्यवर्ती दूरी की परमाणु मिसाइल बनाई हैं."



ये देश कभी आईएनएफ़ का हिस्सा नहीं रहे और इसलिए इस संधि के तहत आनी वाले हथियारों को बनाते रहे हैं.



साल 2002 में अमरीका एंटी बैलिस्टिक मिसाइल संधि (एबीएम) से बाहर आ गया था. ये फैसला लंबी दूरी की ईरानी या उत्तर कोरियाई मिसाइलों से उत्पन्न ख़तरे के कारण किया गया था.



जोनाथन मार्कस कहते हैं, "लेकिन आईएनएफ़ के साथ इस तरह के हालात नहीं हैं. यूरोप में अमरीकी सहयोगियों को डराने वाली एक नई रूसी मिसाइल की तैनाती इस समझौते के महत्व और रूस से समझौते का अनुपालन कराने की ज़रूरत को दिखाता है."



इससे पता चलता है कि कई नेटो देश मानते हैं कि अमरीका के इस संधि से निकलने से कुछ फायदा नहीं होगा. मार्कस कहते हैं कि अगर हथियारों की होड़ शुरू होती है तो यूरोपीय देश ही सबसे पहले इस ख़तरे के दायरे में आएंगे.



- बीबीसी हिन्दी











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