×

डिजिटल मीडिया पर अब झूठ फैलाना नहीं होगा आसान! नियम को मिली मंजूरी

Location: नई दिल्ली                                                 👤Posted By: नई दिल्ली                                                                         Views: 7893

नई दिल्ली: वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे आर्टिकल्स या कोई अन्य सामग्री, जिन्हें पीआईबी यानी प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की ओर से 'फेक न्यूज' घोषित किया गया हो, तत्काल प्रभाव से हटा लिए जाएं. ऐसी पोस्ट के लिए पीआईबी की ओर से संबंधित प्लेटफॉर्म्स को अलर्ट किया जाएगा. आईटी मंत्रालय ने गुरुवार को नए नियमों को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत PIB फेसबुक, ट्विटर, गूगल को केंद्र सरकार के खिलाफ चल रहीं झूठी, गलत या भ्रामक खबरों का फैक्ट चेक करके उन्हें हटाने के लिए बोल सकता है. ऐसा नहीं करने पर उन्हें नियमों के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

'सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023' के जरिए आईटी नियम, 2021 में यह बदलाव किया गया है. मंत्रालय की ओर से 6 अप्रैल, 2023 की शाम इन परिवर्तनों को अधिसूचित भी कर दिया गया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पीआईबी की फैक्ट चेक टीम संबंधित सरकारी विभागों से संपर्क करेगी, ताकि उनका विचार प्राप्त किया जा सके कि समाचार फेक है या नहीं, और तदनुसार आगे का निर्णय लेगी. अगर कंपनियां 'पीआईबी फैक्ट-चेक टीम' के आदेश का पालन करने से इनकार करती हैं तो वे अपनी ?सेफ हार्बर इम्यूनिटी? खो देंगी, जो उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर यूजर्स द्वारा पोस्ट की गई किसी भी फ्रॉड या झूठे कॉन्टेंट के खिलाफ सुरक्षा की गारंटी देता है.

आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस बारे में गुरुवार को प्रेस ब्रीफिंग कर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस कदम के पीछे का मकसद मीडिया को सेंसर करना नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी नकली या गुमराह करने वाली जानकारी के प्रसार को रोकना है. केंद्रीय मंत्री के मुताबिक पीआईबी में फिलहाल कोई फैक्ट चेकिंग यूनिट नहीं है और नए नियमों के अनुसार इसे बनाने की जरूरत होगी. राजीव चंद्रशेखर के मुताबिक, पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट की जवाबदेही भी तय की जाएगी और इसके कामकाज की प्रक्रिया तैयार होगी. उन्होंने कहा कि गलत सूचना से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से यह एक स्पष्ट और ईमानदार प्रयास है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ?मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यह पहले से कुछ ज्यादा अलग नहीं होगा, जहां पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट सरकारी विभाग प्रकार का संगठन होगा. हम निश्चित रूप से एक विश्वसनीय तरीके से तथ्यों की जांच करना चाहते हैं. और यह न केवल सरकार के लिए बल्कि उस इंटरमिडियरी के लिए भी फायदेमंद है, जो उस विशेष फैक्ट चेक पर निर्भर होने वाला है.? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस साल जनवरी में जब इस संबंध में प्रस्ताव आया था तो, एडिटर्स गिल्ड ने इसका विरोध किया था. एडिटर्स गिल्ड का कहना था कि 'फेक न्यूज' को निर्धारित करने का फैसला सरकार के हाथों में नहीं हो सकता है, अगर ऐसा होता है तो इसका परिणाम प्रेस की सेंसरशिप होगी.



Related News

Latest News

Global News