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यौन शोषण पीडि़तों को विधिक सहायता की जानकारी अब एफआईआर में भी दर्ज होगी

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 1135

Bhopal: 24 जनवरी 2020। यौन शोषण के पीडि़तों को सरकार द्वारा दी जाने वाली विधिक सहायता की जानकारी अब पुलिस थानों की एफआईआर, रोजनामचों एवं केस डायरी में भी दर्ज होगी। इस संबंध में पुलिस महानिदेशक ने प्रदेश के सभी डीआईजी और एसपी को निर्देश जारी कर दिये हैं।
इसलिये जारी हुये निर्देश :
ये निर्देश इसलिये जारी करने पड़े हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि यौन उत्पीडऩ के अपराधों से पीडि़त को प्राथमिक कार्यवाही प्रारंभ होने से प्रकरण के न्यायालय में निर्णय तक विभिन्न स्तरों पर विधिक सहायता प्राप्त करने का वैधानिक अधिकार है।
अब यह करना होगा :
डीजीपी के निर्देशों में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार अब पुलिस थाने में आने पर पीडि़त को सरकारी विधिक सहायता के अधिकार के विषय में सूचित किया जाना चाहिये और प्रकरण में जिला विधिक सहायता प्राधिकरण के पैनल पर उपलब्ध विधिक अधिकारी/अधिवक्ता की जानकारी उपलब्ध कराना थाना प्रभारी का दायित्व होगा। थाना प्रभारी के लिये एफआईआर एवं विवेचना के समय पीडि़त को दी गई विधिक सहायता के बारे में रोजनामचे एवं केस डायरी में विवरण लेख किया जाना बाध्यकारी होगा।
यह परेशानी आ रही थी सामने :
डीजीपी के निर्देशों में बताया गया है कि ये बातें संज्ञान में आई हैं कि अधिकांश प्रकरणों में यौन शोषण पीडि़त को विधिक सहायता उपलब्ध नहीं हो रही है। ऐसे प्रकरण भी सामने आये हैं जिसमें पीडि़त को विधिक सहायता मिलने पर न्यायालय में प्रति परीक्षण में प्रश्न कर पीडि़त की विश्वसनीयता को कमजोर कर यह सिध्द करने का प्रयास किया जाता है कि पीडि़त को कानूनी सलाह के माध्यम से सिखाया-पढ़ाया गया है। इस प्रकार, प्रकरण में अभियोजन पक्ष के विरुध्द विपरीत धारणा बनाने का प्रयास किया जाता है।
अब न्यायालय को भी बताना होगा :
निर्देशों में कहा गया है कि न्यायालय में केस के विचारण के दौरान सरकारी अभियोजन अधिकारी द्वारा यह प्रस्तुत किया जाना चाहिये कि पीडि़त ने विधिक सहायता सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर प्राप्त की है। सरकारी अभियोजक द्वारा न्यायालय में यह स्थापित किया जाना चाहिये कि विधिक सहायता प्राप्त करना पीडि़त का विधिक अधिकार है और इस अधिकार के प्रयोग पर उसके साक्ष्य की विश्वसनीयता पर विपरीत धारणा नहीं बनाई जा सकती है। डीजीपी ने ये निर्देश समस्त थाना प्रभारियों, थानों के विवचकों, पर्यवेक्षक अधिकारियों एवं जिले के अभियोजन अधिकारियों के संज्ञान में लाकर इन्हें क्रियान्वित करने के आदेश दिये हैं।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि यौन शोषण का शिकार सबसे पहले पुलिस के पास ही पहुंचता है। इसलिये थाना प्रभारियों काक दायित्व दिया गया है कि वे पीडि़त को उसके विधिक अधिकारों के बारे में जानकारी दें और इसका जिक्र एफआईआर, रोजनामचे एवं केस डायरी में भी करें। डीजीपी के अनुमोदन पर इस संबंध में निर्देश जारी कर दिये गये हैं।


- डॉ. नवीन जोशी

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