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समान नागरिक संहिता पर संघ का दृष्टिकोण अपरिवर्तनीय

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 4641

Bhopal: कृष्णमोहन झा/
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारकों ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌की चित्रकूट में संपन्न वार्षिक बैठक में यूं तो अनेक महत्वपूर्ण ‌‌‌‌‌‌‌‌‌फैसले ‌‌‌‌कि‌ए‌ गए‌ परंतु बैठक के समापन अवसर पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण के संबंध को जो‌ विचार व्यक्त किए उनकी निश्चित रूप से विशेष अहमियत ‌‌‌‌‌है। संघ प्रमुख ने इन दोनों विषयों पर संघ के दृष्टिकोण की विस्तार से चर्चा की जिसमें कहीं कोई छुपाव और दुराव‌ नहीं था । मोहन भागवत ने कहा कि समान नागरिक संहिता और जनसंख्या ‌ नियंत्रण के मुद्दों पर संघ के दृष्टिकोण में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। संघ का हमेशा से ही यह मानना रहा है कि ये ‌राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दे हैं जिन पर दृढ़ता से आगे बढ़ने की आवश्यकता है। इन्हें किसी धर्म से जोड़ कर देखना उचित नहीं होगा। गौरतलब है कि ‌‌‌‌मोहन भागवत हमेशा से ही देश में सभी धर्मों के लिए समान‌ नागरिक संहिता और जन संख्या नियंत्रण कानून लागू किए जाने के न केवल पक्षधर रहे हैं बल्कि उनका स्पष्ट मानना है कि ऐसे कानूनों का कठोरता से पालन भी होना चाहिए। इन दोनों मुद्दों पर संघ की विचारधारा को उन्होंने हमेशा ही विभिन्न मंचों से बिना किसी लाग-लपेट के प्रस्तुत किया है। संघ प्रमुख ने चित्रकूट बैठक के बाद प्रश्नोत्तर शैली में व्यक्त अपने विचारों में धर्मांतरण को भी हतोत्साहित करने के लिए अपनत्व को बढ़ावा देने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि हम समाज में अपनत्व को बढ़ाकर धर्मांतरण के ख़तरों का बेहतर तरीके से सामना कर सकते हैं। अपने संबोधनों‌ में हमेशा ही सामाजिक समरसता ‌‌पर अपने जोर देने वाले मोहन भागवत ने ‌अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि मनुष्य का व्यवहार मनुष्यवत होना चाहिए। मनुष्यता के अभाव में मनुष्य होने का कोई मूल्य नहीं है। संघ प्रमुख ने संघ प्रमुख ने अपने बौद्धिक में हिंदुत्व के बारे में संघ की अवधारणा को लेकर व्याप्त रही सारी शंकाओं को निराधार बताते हुए कहा कि हिंदुत्व का स्वरूप विराट और विस्तृत है जिसमें कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। संघ प्रमुख ने हिंदुइज्म शब्द से अपनी ‌असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदुत्व को सीमित दायरे में बांध कर देखना उचित नहीं होगा। यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि संघ प्रमुख ने विभिन्न ‌अवसरों पर‌ और विभिन्न मंचों से हमेशा ही हिंदुत्व को एक पूजा पद्धति के रूप में परिभाषित किया है ‌‌। संघ द्वारा नई‌ दिल्ली में लगभग तीन वर्ष पूर्व आयोजित भविष्य का भारत कार्यक्रम में उन्होंने हिंदुत्व के बारे में महात्मा गांधी के इस कथन की विशेष रूप से चर्चा की थी कि सत्य की अनवरत खोज का नाम हिंदुत्व है। संघ प्रमुख ने चित्रकूट में प्रांत प्रचारकों की बैठक के बाद अपने बौद्धिक में जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता के संबंध में जो विचार व्यक्त किए उन्हें वर्तमान परिस्थितियों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि हाल में ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की दिशा में पहल करते हुए एक विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दी है। संसद के प्रस्तावित मानसून सत्र में इसी मुद्दे पर उच्च सदन में एक गैर सरकारी विधेयक पर चर्चा हो सकती है‌। इसलिए इन मुद्दों पर सरसंघचालक मोहन भागवत के बयान की देश में उत्सुकता से प्रतीक्षा की जा रही थी। संघ सभी धर्मों के लोगों ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌के लिए समान नागरिक संहिता लागू किए जाने पर जोर देता रहा है। इसलिए यह तो तो तय है कि कोई राज्य सरकार अथवा केंद्र की मोदी सरकार अगर जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता लागू करने करने के लिए कानून बनाने की दिशा में पहल करती है तो सरकार की उस पहल को संघ अपना पूरा समर्थन प्रदान करेगा।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने चित्रकूट में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले , पांच सहकार्यवाह सहित लगभग 40 शीर्ष पदाधिकारियों के साथ जिन ज्वलंत मुद्दों पर गंभीर विचार विमर्श किया उनमें राम जन्मभूमि और कोरोना की तीसरी लहर में संघ के स्वयंसेवकों के दायित्व तय करने के बारे में विशद चर्चा हुई। जिसमें मोहन भागवत ने देश के विभिन्न भागों में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान कोरोना पीड़ितों की सहायता के लिए संघ के द्वारा प्रारंभ किए गए सेवा कार्यों पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्हें आगे जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया। गौरतलब है कि देश में कोरोना संकट की शुरुआत होने के बाद से ही संघ के स्वयंसेवक अन्य समाज सेवी संगठनों के द्वारा जारी राहत कार्यों में भी सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहे हैं ।अनेक स्थानों पर संघ द्वारा अपनी ओर से भी राहत कार्य चलाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि प्रमुख ने समय समय पर दिए गए अपने संदेशों में कोरोना संक्रमण से प्रभावित लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने के लिए संघ के स्वयंसेवकों को निर्देशित किया था। देश के वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों के द्वारा कुछ सप्ताहों के अंदर ही देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की जो आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं उसे ध्यान में रखते हुए संघ ने अपनी चित्रकूट बैठक में अनेक महत्वपूर्ण फैसले किए हैं। संघ ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर का बेहतर तरीके से सामना करने के लिए स्वयंसेवकों के माध्यम से लोगों को प्रशिक्षित करने का अभियान प्रारंभ करने का फैसला किया है। इस काम में कोरोना की दूसरी लहर में सेवा कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले समाज के अन्य लोगों को भी शामिल किया जाएगा। कोरोना की तीसरी लहर से लोग खुद को सुरक्षित रख सकते हैं , उन्हें यह जानकारी देने के लिए संघ पहले कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ करेगा। फिर ये प्रशिक्षित कार्यकर्ता संघ के जन जागरण अभियान के अंतर्गत महिलाओं और बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के कारगर उपायों से अवगत कराएंगे। संघ ने सेवा कार्यों से जुड़े लोगों और संस्थाओं को भी जनजागरण अभियान से जोड़ने का फैसला किया है । इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना काल में संघ प्रमुख ने अपने प्रेरणास्पद संदेशों के माध्यम से संघ के स्वयंसेवकों का जो उत्साह वर्धन किया उसने उसने उन्हें समर्पित भाव से कोरोना पीड़ितों की सेवा के कार्यों में जुटे रहने के लिए प्रेरित किया। कोरोना संक्रमण की भयावहता ‌‌‌‌‌को‌ नियंत्रित करने के लिए लागू‌ किए गए लाक डाउन के कारण यद्यपि संघ की नियमित शाखाओं का संचालन अवश्य बाधित ‌‌‌‌‌हुआ परंतु संघ के स्वयंसेवक इस दौरान द्विगुणित उत्साह और ऊर्जा के साथ ‌सेवा कार्यों में जुटे रहे और यह सिलसिला निरंतर जारी है।कोरोना की दूसरी लहर मंद पड़ने ‌‌के बाद देश में अनेक स्थानों पर संघ की नियमित शाखाओं का संचालन पुनः प्रारंभ हो चुका है जिनमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने चित्रकूट में अपने बौद्धिक में देश में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण के लिए जल्द ही प्रभावी कानून बनाने और उनका कठोरता से पालन किए जाने पर विशेष जोर दिया तो संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने भोपाल में आयोजित विद्या भारती के नवनिर्मित भवन अक्षरा के उद्घाटन समारोह में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ऐसी जननीति के रूप में परिभाषित किया जिसे जनता के सुझावों को भी पर्याप्त महत्व प्रदान किया गया है। यह शिक्षा नीति समकालीन चुनौतियों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। सरकार्यवाह ने कहा कि कोरोना की महामारी ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को भी कुंठित कर दिया था परन्तु संक्रमण की रफ्तार पर काबू पा लिए जाने के बाद स्थितियां सामान्य होती जा रही हैं । दत्तात्रेय होसबोले ने विश्वास व्यक्त किया कि विद्या भारती का नया भवन शिक्षा, अनुसंधान ‌‌‌‌‌‌और प्रशिक्षण के क्षेत्र में पूरे देश के लिए मार्गदर्शन का अभिनव केंद्र बनने में समर्थ होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस कार्यक्रम में प्रदेश में शीघ्र ही
नई शिक्षा नीति लाने की घोषणा की ।
(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है)

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