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एक ऐसी संस्कृति जहां शादी के बाद भी महिलाएं को संबंध बनाने की होती हैं आजादी

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Place: bhopal                                                👤By: prativad                                                                Views: 2073

23 नवंबर 2024। भारत एक विविधताओं से भरा देश है जहां हर कोने में अलग-अलग संस्कृतियां और रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं। इनमें से कुछ रीति-रिवाज तो इतने अनोखे होते हैं कि वे हमें हैरान कर देते हैं। आज हम बात करेंगे भारत की नागा जाति के एक ऐसे ही अनोखे रीति-रिवाज की जो शायद ही कहीं और देखने को मिले।

नागा जाति का अनोखा कानून
नागा जाति की लड़कियों को एक अनोखी आजादी दी जाती है। उन्हें ससुराल और पीहर दोनों जगह अपने मनपसंद लड़कों के साथ शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति होती है। यह रीति-रिवाज भारत के अधिकांश हिस्सों में तो दूर की बात है, कुछ छोटे-छोटे गांवों में भी अजीब लग सकता है। लेकिन नागा समाज में यह एक स्वीकार्य प्रथा है।

शादी और उसके बाद
जब एक नागा लड़की गर्भवती हो जाती है, तब उसका विवाह उस पुरुष से कर दिया जाता है जिसके साथ उसने संबंध बनाए थे। यदि पुरुष शादी से इनकार करता है तो उसे समाज द्वारा दंडित किया जाता है। शादी के बाद जब तक लड़की ससुराल में रहती है, तब तक उसे अन्य पुरुषों के साथ संबंध बनाने की अनुमति नहीं होती है। लेकिन ससुराल से वापस आने के बाद वह स्वतंत्र होती है और किसी भी पुरुष के साथ संबंध बना सकती है।

पति की स्वतंत्रता
इसी तरह, लड़की के पति भी अपनी पत्नी के ससुराल जाने के बाद किसी भी कुंवारी लड़की के साथ संबंध बना सकते हैं। यह प्रथा नागा समाज में सदियों से चली आ रही है और इसे एक सामान्य बात माना जाता है।

यह प्रथा क्यों है?
इस प्रथा के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हो सकता है कि यह प्रथा नागा समाज के पारंपरिक विश्वासों और मूल्यों से जुड़ी हो। या फिर यह प्रथा समाज में महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता देने का एक तरीका हो।

यह प्रथा आधुनिक समाज के नजरिए से काफी अलग और विवादास्पद लग सकती है। यह प्रथा महिलाओं के अधिकारों, लैंगिक समानता और पारिवारिक मूल्यों जैसे कई मुद्दों पर सवाल उठाती है।

महिलाओं के अधिकार: एक तरफ जहां इस प्रथा में महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने की आजादी दी जाती है, वहीं दूसरी तरफ यह प्रथा महिलाओं को पुरुषों के अधीन रखने वाली भी लग सकती है।
लैंगिक समानता: यह प्रथा पुरुषों और महिलाओं के बीच लैंगिक समानता के सिद्धांत के विरुद्ध भी लग सकती है।
पारिवारिक मूल्य: यह प्रथा पारिवारिक मूल्यों और संस्था को भी चुनौती देती है।

नागा जाति का यह अनोखा रीति-रिवाज हमें यह समझने में मदद करता है कि दुनिया में कितनी विविधताएं हैं। यह हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि हमारी अपनी संस्कृति और रीति-रिवाज कितने सही हैं।

यह लेख सिर्फ सूचना के उद्देश्य से है। इसका उद्देश्य किसी भी संस्कृति या रीति-रिवाज का समर्थन या विरोध करना नहीं है।

नोट: इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए आप नागा जाति के इतिहास और संस्कृति के बारे में अध्ययन कर सकते हैं।

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