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दक्षिण पूर्व एशिया में हजारों भारतीय 'साइबर गुलाम' के रूप में फंसे: रिपोर्ट

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Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 4021

भोपाल: 1 अक्टूबर 2024। भारत सरकार दक्षिण पूर्व एशिया में फंसे उन भारतीय नागरिकों की पहचान कर रही है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और "डेटिंग स्कैम" जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल किए जा रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि हजारों भारतीय विभिन्न दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में फंसे हुए हैं, जहां उन्हें 'साइबर गुलाम' के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

कथित तौर पर इन लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग, क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी और कंबोडिया, थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम जैसे देशों में 'डेटिंग या लव स्कैम' में धकेला जा रहा है। भारतीय आव्रजन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 से मई 2024 तक इन देशों में यात्री वीजा पर गए 73,138 भारतीयों में से लगभग 30,000 अभी तक अपने वतन वापस नहीं लौटे हैं।

रिपोर्ट बताती है कि भारत के विभिन्न राज्यों से लोगों को धोखेबाज गिरोह फंसाकर उन सोशल मीडिया अकाउंट्स का उपयोग करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिनमें अक्सर महिलाओं की फर्जी तस्वीरें इस्तेमाल की जाती हैं। इन अकाउंट्स के जरिए लोगों को पैसा निवेश करने के लिए धोखे से फंसाया जाता है। इस साल की शुरुआत में, भारतीय सरकार ने कुछ फंसे हुए पुरुषों को बचाया, जिनमें से कई ने बताया कि एजेंटों ने उन्हें आकर्षक नौकरियों का झांसा देकर इन देशों में भेजा, जहां पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए।

फंसे हुए भारतीयों में ज्यादातर 20 से 30 वर्ष के युवा हैं, जिनमें एक तिहाई से अधिक पंजाब, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से आते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग वापस नहीं लौटे हैं, उनमें से लगभग 70% थाईलैंड गए थे।

इस गंभीर समस्या पर देश का ध्यान तब गया, जब पिछले साल ओडिशा पुलिस ने कंबोडिया से जुड़े एक साइबर अपराध सिंडिकेट पर कार्रवाई की थी। एनडीटीवी के अनुसार, एक सरकारी कर्मचारी ने इस साइबर धोखाधड़ी की जानकारी दी थी, जिसके बाद कई लोगों को बचाया गया।

अप्रैल में, भारत सरकार ने कंबोडिया से 250 भारतीय नागरिकों को बचाने की घोषणा की, जो साइबर गिरोहों द्वारा धोखाधड़ी योजनाओं में फंसाए गए थे। इसके बाद मई में, नई दिल्ली ने इस मुद्दे से निपटने के लिए एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयीय पैनल का गठन किया। इस पैनल का उद्देश्य सिस्टम की खामियों की पहचान करना और फंसे हुए भारतीयों की सही जानकारी जुटाना है।

इसके साथ ही, दूरसंचार ऑपरेटरों को भी हांगकांग, कंबोडिया, लाओस, फिलीपींस और म्यांमार में भारतीय मोबाइल नंबरों की रोमिंग सेवाओं के डेटा साझा करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय "स्पूफ्ड कॉल्स" को रोकने के लिए भी दूरसंचार कंपनियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि ये कॉल भारत में आने वाले कुल अंतर्राष्ट्रीय संचार का 35% हिस्सा हैं।

सरकार इस समस्या को हल करने के लिए गंभीरता से कदम उठा रही है ताकि भारतीय नागरिकों को इस खतरनाक जाल से मुक्त कराया जा सके।

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