
प्रतिवाद डेस्क | वॉशिंगटन, 2 जुलाई 2025
मेटा (Meta) के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए Meta Superintelligence Labs (MSL) के गठन की घोषणा की है। यह नई लैब मानव क्षमताओं से आगे निकलने वाले AI सिस्टम विकसित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है — यानी ऐसी एआई जो सोचने, समझने और निर्णय लेने में इंसानों से कहीं अधिक सक्षम हो।
MSL का मिशन:
"सभी के लिए व्यक्तिगत सुपरइंटेलिजेंस" — मेटा की इस महत्वाकांक्षी पहल का यही उद्देश्य है। कंपनी की मौजूदा एआई शोध और उत्पाद टीमें अब एक ही बैनर के अंतर्गत काम करेंगी, जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग और तेजी से तकनीकी विकास संभव हो सकेगा।
लीडरशिप में एआई जगत के दिग्गज:
इस नई सुपरइंटेलिजेंस लैब की कमान मिली है एलेक्जेंडर वांग को, जो स्केल एआई के 28 वर्षीय संस्थापक हैं। हाल ही में मेटा ने उनकी डेटा-लेबलिंग कंपनी में $14 बिलियन का बड़ा निवेश किया है, जिसके बाद वांग को Meta का मुख्य AI अधिकारी बनाया गया है। उनके साथ पूर्व GitHub सीईओ नैट फ्राइडमैन, और ओपनएआई, डीपमाइंड व एंथ्रोपिक जैसी कंपनियों के वरिष्ठ इंजीनियरों की एक विशेष टीम भी जुड़ी है।
जुकरबर्ग का विजन:
मार्क जुकरबर्ग ने एक आंतरिक ज्ञापन में इस कदम को "मानवता के लिए नए युग की शुरुआत" करार दिया। उनका दावा है कि मेटा की क्षमताएं — खासकर विशाल GPU क्लस्टर्स और मौजूदा मॉडल जैसे Llama 4.1 और 4.2 — अगली पीढ़ी के AI सिस्टम को प्रशिक्षित करने में उसे वैश्विक लीडर बना सकती हैं।
"मेटा को दुनिया को सुपरइंटेलिजेंस देने के लिए अद्वितीय स्थिति में रखा गया है।"
– मार्क ज़ुकरबर्ग
वैश्विक टेक युद्ध में अमेरिका की नई चालें:
MSL की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका और चीन के बीच एआई वर्चस्व को लेकर प्रतियोगिता तेज हो रही है। हाल ही में चीनी AI स्टार्टअप DeepSeek के उभार ने पश्चिमी तकनीकी हलकों में हलचल मचा दी थी।
इस बीच, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने $500 बिलियन की StarGate पहल का अनावरण किया है, जिसका मकसद अमेरिका को AI क्षेत्र में चीन से आगे बनाए रखना है। ट्रंप के सहयोगी इसे “हमारी पीढ़ी का मैनहट्टन प्रोजेक्ट” बता रहे हैं।
अमेरिकी तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में मेटा की बड़ी छलांग
ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन पहले ही अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर "लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा" के लिए एआई में अमेरिकी बढ़त बनाए रखने की बात कर चुके हैं। मेटा अब उसी दौड़ में ओपनएआई और गूगल डीपमाइंड से पीछे रह गई जमीन को वापस लेने के लिए आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रही है।
विश्लेषण | प्रतिवाद की टिप्पणी:
मार्क ज़ुकरबर्ग का यह कदम केवल एक तकनीकी प्रयोग नहीं, बल्कि भविष्य की वैश्विक नेतृत्व की लड़ाई में दावेदारी है। सुपरइंटेलिजेंस की दिशा में उठाया गया यह प्रयास अमेरिका की तकनीकी और रणनीतिक प्राथमिकताओं को भी रेखांकित करता है।
क्या भारत इस तकनीकी रेस में खुद को स्थापित कर पाएगा?
यह सवाल अब और अधिक गंभीर हो गया है, क्योंकि जहां अमेरिका और चीन AI की दौड़ में अरबों डॉलर निवेश कर रहे हैं, वहीं भारत को अभी भी नीतिगत स्पष्टता और संसाधनों की रफ्तार पकड़नी है।