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'अमिताभ काम करना कम कर दें, तो मेरा फ़ायदा होगा'

Location: Mumbai                                                 👤Posted By: Digital Desk                                                                         Views: 18420

Mumbai: अपनी दमदार आवाज़ और बेहतरीन अभिनय के दम पर ओम पुरी ने भारतीय सिनेमा में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है. उन्होंने अपनी अदाकारी से हॉलीवुड में भी जगह बनाई है.



मंगलवार को ओम पुरी अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं और इस ख़ास मौके पर उन्होंने यही माना कि उनके पास इन दिनों काम है लेकिन और ज़्यादा काम करने के प्रति उनकी चाहत बनी हुई है.



उन्होंने ये बातें अपने ख़ास अंदाज़ में मुस्कुराते हुए कहीं, "अगर अमिताभ बच्चन थोड़ा काम करना कम कर देंगे तो मुझे, नसीर (नसीरुद्दीन शाह) और अनुपम (अनुपम खेर) को फ़ायदा हो जाएगा."



ज़ाहिर है ओम पुरी ये मानते हैं कि बढ़ती उम्र के बावजूद अमिताभ का कोई सानी नहीं हैं, इसकी वजह भी वे ख़ुद बताते हैं, "अमिताभ कमाल के आदमी हैं और उतने ही अनुशासित अभिनेता."



पद्मश्री से सम्मानित ओम राजेश पुरी का जन्म 18 अक्टूबर, 1950 को अंबाला में हुआ था. उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्ट्टियूट ऑफ इंडिया से अभिनय की विधा में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद 1976 में मराठी फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से फिल्मो में कदम रखा था.



इस मराठी फिल्म को एफटीआईआई के ही 16 छात्रों ने मिलकर बनाया था. जिसमें अमरीश पुरी, नसीरूद्दीन शाह, शबाना आज़मी और स्मिता पाटिल शामिल थे. ओम पुरी को फ़िल्मों में पहचान 1980 में प्रदर्शित 'आक्रोश' से मिली. उनके बाद शुरू हुआ उनका फ़िल्मी सफ़र आज भी जारी है.



ओम ने हाल ही में आई फ़िल्म 'मिर्ज़या' में छोटी सी भूमिका निभाई है.

इस छोटी भूमिका पर उन्होंने शिकायती लहज़े में कहा, "आप लोग राकेश को कहिए कि वो मुझे बड़ा रोल दें. और उनसे ये भी पूछें की मेरा नैरेशन और किरदार छोटा क्यों है मिर्ज़या में."



ओम पुरी आगे कहते हैं, "राकेश हमेशा मुश्किल फ़िल्म बनाते हैं. मिर्ज़या में मुझे अपने छोटे रोल से कोई ऐतराज़ नहीं, अच्छी फिल्म में मैं एक छोटा किरदार भी निभाना चाहूंगा."



ओम पुरी के फ़िल्मी करियर के दौरान कई कलाकारों ने उन्हें ख़ूब प्रभावित किया है. इन कलाकारों के बारे में वे बताते हैं, "फिल्म इंडस्ट्री के कुछ दिग्गज कलाकार हैं जिनके काम को देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ उनमें दिलीप कुमार, बलराज साहनी, मोतीलाल, नूतन जी और वहीदा रहमान हैं. इनकी फिल्में देखकर ही प्रभावित होता था."



अपनी पसंदीदा फ़िल्मों के बारे में वे बताते हैं, "क़ानून, इत्तेफाक, ऊँचे लोग और दूर गगन की छाँव में जैसी फिल्में उस समय की कलात्मक फिल्में थी और ये दौर सिनेमा का गोल्डन पीरियड था. उस समय विमल रॉय, वी शांताराम, गुरुदत्त और राजकपूर जैसे महान फिल्मकारों ने बेहद सार्थक फिल्में बनाई जिनका डांस, मनोरंजन और संगीत कुछ कहता था."





-बीबीसी

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