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कलाकारों के सम्मान मामले में भारत का रिकॉर्ड पाकिस्तान से बेहतर

Location: नई दिल्ली                                                 👤Posted By: admin                                                                         Views: 19502

नई दिल्ली: मशहूर शायर जावेद अख़्तर का मानना है कि भारत में पाकिस्तानी कलाकारों को जो इज्ज़त दी जाती है, पाकिस्तान में भारतीय फ़नकारों को वह सम्मान नहीं मिलता है.

उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत का रिकॉर्ड पाकिस्तान से बेहतर है.



जावेद अख़्तर ने इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि उन्हें पाकिस्तानी अवाम से कोई शिकायत नहीं है. पाकिस्तानी जनता भारतीय कलाकरों से बेपनाह मुहब्बत करती है, उन्हें पूरी इज्ज़त देती है.

जावेद मानते हैं कि पाकिस्तानी निज़ाम इस मामले में भारत की तरह दरियादिली नहीं दिखाता. इसके उलट, वह भारतीय फ़नकारों को सम्मान देने की कोशिशों को सीमित करता है. इस मामले में भारत का रिकॉर्ड निश्चित रूप से पाकिस्तान से बेहतर है.



उन्होंने कहा कि भारत में पाकिस्तानी अभिनेता, गायक, हास्य कलाकार और हर तरह के दूसरे कलाकारों को पूरा सम्मान मिलता है, काम मिलता है. ग़ुलाम अली, मेंहदी हसन या राहत फ़तेह अली या कोई दूसरा कलाकार हो, भारत में काफ़ी लोकप्रिय हैं, पर पाकिस्तान में भारतीयों के साथ ऐसा नहीं होता.



ग़ौरतलब है कि पिछले साल कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों के विरोध के बाद मुंबई में ग़ज़ल गायक ग़ुलाम अली का कॉनसर्ट रद्द हो गया था. लेकिन उसके बाद दिल्ली की 'आप' सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार ने ग़ुलाम अली से दिल्ली और कोलकाता में कार्यक्रम करने को आमंत्रित किया था.



जावेद अख़्तर की पत्नी और मशहूर अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा कि पाकिस्तान में लता मंगेशकर के फ़ैन्स की बहुत बड़ी तादाद है, पर वहां आज तक उनका एक भी शो नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा कि यदि आज भी लता मंगेशकर पाकिस्तान जाएं तो वहां उन्हें उसी तरह सिर आंखों पर बिठाया जाएगा, जिस तरह पाकिस्तानी गायिका नूरजहां के भारत आने पर उनके साथ किया गया था.



शबाना ने कहा कि दोनों मुल्कों के बीच तनाव होने के बावजूद पाकिस्तान में भारतीय कलाकारों को चाहने वाले बड़ी तादाद में हैं, उन्हें इस पर कोई शक नहीं पड़ता है.

जावेद अख़्तर ने यह माना कि भारत में असहमति के लिए जगह सिकुड़ रही है. लेकिन उनके मुताबिक़, ऐसा सिर्फ़ भारत में नहीं हो रहा है. अमरीका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देश, खाड़ी के देशों समेत तमाम जगहों पर ऐसा हो रहा है. यह एक तरह का अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड है जो चिंता का सबब है.



- बीबीसी

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