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नीति आयोग की 'थॉट' लीडर नौ साल की मुस्कान

Location: भोपाल                                                 👤Posted By: Admin                                                                         Views: 22539

भोपाल: बुलंद हौसले और कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति ने भोपाल की एक बस्ती में रहने वाली नौ साल की मासूम को नीति आयोग की 'मुस्कान' बना दिया। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली मुस्कान अहिरवार अपने घर के पास एक लाइब्रेरी चलाती है, जिसमें गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। उसकी इस पहल पर खुश होकर नीति आयोग ने शुक्रवार को दिल्ली में मुस्कान को सम्मानित किया। ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने मुस्कान को नीति आयोग का 'थॉट लीडर' अवार्ड सौंपा।



भोपाल के अरेरा हिल्स स्थित दुर्गा नगर बस्ती निवासी मनोहर और माया अहिरवार की बेटी मुस्कान को किताबों से बहुत लगाव है। पिता मनोहर का कहना है कि उसके दिन की शुरुआत किताबों से होती है और स्कूल से आने के बाद वह अपनी लाइब्रेरी में जुट जाती है। मुस्कान आसपास के गरीब और पढ़ाई-लिखाई से वंचित बच्चों को किताब पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। मुस्कान का कहना है कि वह बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है और लोगों की सेवा करेगी। वीमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया के तहत मिलने वाले नीति आयोग के इस पुरस्कार में 12 लोगों को शामिल किया गया था, जिसमें मुस्कान सबसे कम्र उम्र की सदस्य है।



लगन ने मौका दिलाया

किताबों के प्रति मुस्कान की लगन और दूसरों तक शिक्षा की लौ पहुंचाने के विचारों ने उसे सबसे कम उम्र का लाइब्रेरियन बना दिया। दरअसल, पिछले साल दिसंबर में राज्य शिक्षा बोर्ड की एक टीम दुर्गा नगर बस्ती में दौरे पर आई थी। टीम ने वहां के बच्चों को किताबें बांटी और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता रखी। मुस्कान ने इसमे पहली बाजी मारी, जिसके बाद बोर्ड और पाठ्य पुस्तक निगम ने उसे लाइब्रेरी खोलने में मदद की।



बड़ी सोच वाला छोटा पुस्तकालय

सड़क किनारे चलने वाली इस लाइब्रेरी में फिलहाल 121 किताबें हैं। मुस्कान इसे 'बाल पुस्तकालय' कहती है, जिसकी शुरुआत 25 किताबों से हुई थी। इसमें अधिकतर प्रेरक पुस्तकों का संग्रह है, जिसमें पंचतंत्र जैसी किताबें शामिल हैं। इस छोटी सी लाइब्रेरी से निकले बड़े विचारों ने स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ दिल्ली तक अपनी धमक पहुंचाई और नाम रोशन किया।



बच्चों को चार बजने का इंतजार

मुस्कान प्रतिदिन स्कूल से आने के बाद लाइब्रेरी के काम में जुट जाती है। बस्ती के बच्चों को चार बजने का इंतजार रहता है और अब उन्हें भी किताबों का साथ अच्छा लगने लगा है। इस लाइब्रेरी में कई और सदस्य भी हैं, लेकिन उसमें सबसे छोटी मुस्कान ही किताबें जारी करती है और इसे समय पर वापस भी लेती है।

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