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पीटा ने मध्यान्ह भोजन में अण्डा व दूध वितरण को बताया हानिकारक

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 956

Bhopal: पौध आधारित भोजन देने का किया आग्रह, मप्र सरकार ने लिया संज्ञान
1 जून 2020। पीपुल फार द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स इण्डिया यानि पीटा संगठन ने प्रदेश के स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के अंतर्गत अण्डा एवं दूध का प्रदाय करने का विरोध किया है तथा कहा है कि इसके स्थान पर पौध आधारित भोजन उपलब्ध कराया जाये। इस पर राज्य सरकार ने संज्ञान लिया है तथा राज्य शिक्षा केंद्र एवं राज्य समन्वयक मध्यान्ह भोजन भोपाल को मामले का परीक्षण कर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं।
यह कहा है पीटा ने :
पीटा इण्डिया की ओर से उसकी समन्वयक डा. किरण आहूजा ने राज्य सरकार को अर्ध शासकीय पत्र लिखा है। पत्र में कहा है कि खाद्य जनित बीमारियां, एंटीबायोटिक के अवशेष एवं अन्य बीमारियां मांस, अण्डा और डेयरी उत्पादों के उपभोग से जुड़ी हैं। बच्चों को खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी में अण्डा एवं दूध सबसे ऊपर है। अण्डे बच्चों को खराब स्वास्थ्य की ओर ले जा सकता है क्योंकि मधुमेह और हृदय रोग अण्डे के सेवन से जुड़े हैं। इसी प्रकार, डेयरी उत्पादों के सेवन से मनुष्यों में दिल की बीमारी, टाइप-2 मधुमेह, स्वपप्रतिरक्षित रोग, ओवरी, स्तन और प्रोटेस्ट कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। भारतीयों सहित दुनिया की अधिकांश आबादी के लिये लैक्टोज पाचन हेतु उपयुक्त नहीं है, इसलिये दूध को ठीक से पचाया नहीं जा सकता है। भारत में बेचे जाने वाला दूध अक्सर मिलावटी होता है। पीटा के पन्द्रह चिकित्सकों एवं पोषण विशेषज्ञों ने यह बात अपने अध्ययन में बताई है।
पौध आधारित भोजन अच्छा :
पीटा ने पत्र में कहा है कि मध्यान्ह भोजन में पौध आधारित भोजन युवाओं को सही वजन बनाये रखने में सहायक है। फल, सब्जियां, साबूत अनाज और दालें- फाईबर, विटामिन तथा खनिजों से भरपूर होने के साथ-साथ कोलेस्ट्राल मुक्त होती हैं एवं इनमें संतृप्त वसा भी कम होती है।
सोया दूध की सिफारिश :
पीटा ने कहा है कि मिड डे मिल योजनाओं में बच्चों को अक्सर प्रति सप्ताह केवल एक अण्डा दिया जाता है। एक अण्डे से बच्चे को 6 ग्राम प्रोटीन और 23 मिलीग्राम कैल्शियम मिलता है जबकि इसके विपरीत सौ ग्राम सोयाबीन से बच्चे को 52 ग्राम प्रोटीन और 350 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता है। छत्तीसगढ़ राज्य के दो जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्कूलों में डेयरी दूध की जगह सप्ताह में दो बार प्राथमिक कक्षा के बच्चों को सौ मिलीमीटर और जूनियर कक्षा के बच्चों को दो सौ मिलीमीटर सोया दूध दिया जा रहा है तथा नाश्ते में उन्हें सोया मूंगफली की चिक्की प्रदान की जाती है।
कमलनाथ सरकार ने की थी अण्डा वितरण की कवायद :
राज्य में पिछली कमलनाथ सरकार ने आंगनवाडिय़ों में अण्डा वितरण की कवायद की थी। उस समय महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी थीं तथा उन्होंने भी अण्डा वितरण का समर्थन किया था। लेकिन अब वे भाजपा में शामिल हो चुकी हैं।
पीटा इण्डिया की डा. किरण आहूजा ने बताया कि हमने मध्यान्ह भोजन में पौध आधारित भोजन देने का मप्र सरकार से आग्रह किया है। देश के अन्य कई राज्यों में भी पौध आधारित भोजन बच्चों को दिया जा रहा है। इस संबंध में नीति बने इसके लिये हम आगे भी मप्र सरकार से चर्चा करेंगे।



- डॉ. नवीन जोशी

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