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प्रधानमंत्री ने कहा जीवन के आनंद के लिए डिजिटल फास्टिंग करें

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 1612

Bhopal: 28 जनवरी 2023। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल आज राजभवन भोपाल से आभासी माध्यम से शामिल हुए। राज्यपाल ने कार्यक्रम में सहभागिता के लिए श्रमोदय विद्यालय भोपाल के कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं को राजभवन आमंत्रित किया था। उन्होंने प्रत्येक बच्चे का परिचय प्राप्त किया। उनके आस-पास के परिवेश के प्रति अभिरूचि और सामान्य ज्ञान के संबंध में जानकारी भी ली। बच्चों से पूछा कि वर्तमान मौसम का कृषि फसलों पर क्या प्रभाव होगा। बच्चों ने बताया कि खेत में लगी फसल के आधार पर ही नुकसान और फायदे का निर्णय किया जा सकता है। राज्यपाल को विद्यालय की छात्रा लक्ष्मी अहिरवार ने छत्तीसगढ़ की डोगरा कला की मूर्ति दिखाई। बताया कि उसके द्वारा निर्मित मूर्ति का ताल कटोरा स्टेडियम में लगी प्रदर्शनी के टेबल क्रमांक दो में प्रदर्शन किया गया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज परीक्षा पे चर्चा के 6वें संस्करण में ताल कटोरा स्टेडियम नई दिल्ली में उपस्थित और आभासी माध्यम से जुड़े 150 देशो के छात्र-छात्राओं, 51 देशों के शिक्षकों और 50 देशों के अभिभावकों से चर्चा कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन के आनंद के लिए डिजिटल फास्टिंग की जानी चाहिए। सप्ताह में कुछ दिन अथवा कुछ घंटे डिजिटल फास्टिंग और घर में नो टेक्नोलॉजी जोन बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बौद्धिकता का दायरा बहुत व्यापक है। जरूरी है कि गैजेट्स का उपयोग अपनी क्षमता और रचनात्मकता को खोए बिना किया जाये। तकनीक पर आश्रित होने के प्रति सचेत करते हुए व्यक्तित्व क्षमताओं की परीक्षा करते रहने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने यह बात शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोहेफिजा भोपाल के छात्र दीपेश अहिरवार के प्रश्‍न के उत्तर में कही है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चर्चा में विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावको के प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्होंने अभिभावकों की अपेक्षाओं का सामना करने के संबंध में बच्चों से कहा कि हो सकता है आप स्वयं की क्षमता का आंकलन कम कर रहे हो। परिवार की अपेक्षाओं को बेहतर के लिए प्रेरणा के रूप में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टेडियम के दर्शकों की मांग से प्रभावित हुए बिना खेल पर ध्यान केन्द्रित कर खेलने वाले खिलाड़ी के समान व्यवहार करते हुए आसानी से अपेक्षाओं के संकट को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समय प्रबंधन के लिए सप्ताह भर की गतिविधियों को नोट करने और उसके आधार पर सबसे कम और सबसे अधिक पसंद के अनुसार अध्ययन को क्रमबद्ध कर व्यवस्थित करें। मेंहनत से थकान नहीं संतोष मिलता है। प्रयास नहीं करने पर, इतना काम करना है, का भाव बनता है। यही थकान का कारण बनता है। समस्याओं का समाधान बलपूर्वक नहीं, सहजभाव के साथ प्रयासों से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता के लिए बाहरी तत्वों पर नहीं, भीतर की ताकत पर विश्वास जरूरी है। एक परीक्षा की सफलता, विफलता से जीवन नहीं बनता। सफल जिंदगी के लिए परिस्थितियों को समझकर कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सार्मथ्य को पहचानना ही सार्मथ्यवान बनना है। ऐसे सामान्य लोगों के द्वारा किए गए असामान्य कार्य ही विशिष्ट उपलब्धि बनते हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आलोचना और आरोप में बड़ी खाई है। आलोचना के लिए बहुत मेंहनत और प्रयास लगते है। इसलिए उनको कभी हलके में नहीं लें। आरोप शार्टकट है, इस से प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने पालकों से भी कहा कि टोक कर बच्चों के व्यक्तित्व को आकार नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने शासकीय सुभाष उच्चतर माध्यमिक उत्कृष्ट विद्यालय भोपाल की कार्यक्रम में उपस्थित छात्रा श्रुति घोड़गे के प्रश्न के उत्तर में कहा कि मातृभाषा के साथ ही एक-दो अन्य भाषाओं के अध्ययन को शौक की तरह से लेना चाहिए। उन्होंने दुनिया की सबसे प्राचीन बोली जाने वाली भाषा तमिल का उल्लेख करते हुए कहा कि यह हमारी विरासत और गर्व का विषय है। अन्य भाषा का ज्ञान अपने साथ हजारों वर्षों के अनुभव की धारा लाता है। ज्ञान के नये द्वार खोलता है। उन्होंने शिक्षको से कहा कि वह विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को प्रोत्साहित करें। पालक बच्चों के सामाजिक दायरे को घर-परिवार से बाहर विस्तारित करें। उन्हें विभिन्न वर्गों के साथ मेंल-जोल का अवसर दें। विभिन्न क्षेत्रों के भ्रमण के लिए प्रेरित करें। बच्चों को बंधन मुक्त रख कर ईश्वर की अमानत के रूप में उनका संरक्षण करें।

प्रारंभ में केन्द्रीय मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि कोमल मनोवृत्ति की दुविधाओ को समझकर उनके समाधान की पहल परीक्षा पे चर्चा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि वैश्विक चुनौतियों के समाधान में भारतीय युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास है। परीक्षा पे चर्चा आयोजन स्थल पर छात्र-छात्राओं द्वारा निर्मित मॉडल, कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। राजभवन भोपाल में राज्यपाल के उप सचिव श्री स्वरोचिष सोमवंशी, संयुक्त संचालक शिक्षा श्री ए.के. चौरगढ़े प्राचार्य विजय सिंह महोबिया, शिक्षिका सीमा कुशवाह, खुशबु पान्डे भी मौजूद थे।


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