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भोपाल में कैंसर से लड़ने के लिए 77 प्रतिशत लोगों के पास किसी तरह की वित्‍तीय तैयारी नहीं

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: Admin                                                                         Views: 2908

Bhopal: भोपाल में कैंसर से लड़ने के लिए 77 प्रतिशत लोगों के पास किसी तरह की वित्‍तीय तैयारी नहीं, फ्यूचर जनरली के 'कैंसर फाइनेंशियल प्रिपेयर्डनेस सर्वे' में हुआ इन चिंताजनक आंकड़ों का खुलासा



ज्यादातर उत्तरदाता इलाज के खर्च को पूरा करने के लिए या तो निजी बचत की ओर देखते हैं या फिर पर्सनल लोन लेते हैं कैंसर विशेषज्ञ मानते हैं कि तीन में से दो कैंसर मरीजों में बीमारी का पता तीसरे या चौथे चरण में ही चल पाता है, इस तरह इलाज का खर्च बहुत अधिक आता है



20 दिसंबर 2017। फ्यूचर जनरली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस (एफजीआईएलआई) ने दुनिया की एक बड़े शोध कंपनी आईपीएसओएस के साथ मिलकर देश भर में किए गए सर्वे- 'कैंसर फाइनेंशियल प्रीपेयर्डनेस सर्वे' के आंकड़ों का खुलासा किया। इस विशिष्ट और बहुआयामी अध्ययन के तहत दो जन-समूहों के बीच सर्वे किया गया- (1) 11 बड़े शहरों में 25 और इससे ज्यादा आयु-वर्ग के नागरिकों के बीच और (2) मेट्रो शहरों में 40 अनुभवी कैंसर विशेषज्ञों के बीच। इस अनुसंधान का मुख्य मकसद जागरूकता-स्तर का मूल्यांकन करना, वित्तीय तैयारी पर नजर रखना और कैंसर के विषय में उत्तरदाताओं की धारणा और वित्‍तीय जटिलता की वास्‍तविकता के बीच के अंतर का पता लगाना था।



कैंसर के प्रति पर्याप्त जागरूकता की कमी



फ्यूचर जनरली के 'कैंसर फाइनेंशियल प्रीपेयर्डनेस सर्वे' के नतीजे इस तथ्य को उजागर करते हैं कि भोपाल में लोगों के बीच कैंसर के मामलों, चरणों, प्रकारों, इलाज के खर्चों को लेकर जागरूकता का स्तर कम है। नीचे दिए गए तथ्यों से यह बात एकदम साफ हो जाती है



मामले- उत्तरदाताओं में आधे से अधिक (58 प्रतिशत) अपने परिवार और दोस्तों के बीच कैंसर के होने को लेकर अनभिज्ञ थे। यह खतरे की घंटी है, खास कर इसको देखते हुए कि कैंसर चिकित्सकों ने यह अनुमान लगाया है कि साल 2020 तक हर 10 भारतीयों में से 3 लोग कैंसर से पीड़ित हो सकते हैं।



राष्‍ट्रीय स्‍तर पर आंकोलॉजिस्‍ट के साथ किये गये सर्वे में खुलासा किया गया है कि 65.7 प्रतिशत (लगभग हर तीन में से दो) कैंसर मरीजों में बीमारी का पता तीसरे या चौथे चरण में जाकर होता है।



चरणः शहर के 38 फीसदी उत्तरदाताओं ने खुद को कैंसर के विभिन्न चरणों के बारे में "पूरी तरह से जागरुक" होने का दावा किया। वहीं 30 प्रतिशत उत्‍तरदाताओं ने 'कुछ न कुछ' जानकारी होने का दावा किया, वहीं 32 प्रतिशत उत्तरदाता कैंसर के चरणों को लेकर खुद को गैरजागरुक मानते हैं। इसके ठीक विपरीत कैंसर विशेषज्ञों के सर्वे से पता चलता है कि सिर्फ 7 प्रतिशत मरीज कैंसर के विभिन्न चरणों के बारे में 'पूरी तरह से जागरूक' हैं, जबकि 30 प्रतिशत इसके बारे में 'ठीक जानकारी' रखते हैं।



प्रकारः सभी उत्तरदाताओं ने दावा किया कि वे कैंसर के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानते हैं (स्तन कैंसर और फेफड़े के कैंसर को लेकर 45 प्रतिशत और 36 प्रतिशत क्रमशः लोगों के बीच जागरूकता देखी गई), लेकिन कैंसर विशेषज्ञों ने बताया कि उनके पास आने वाले मरीजों में सिर्फ एक-चौथाई को कैंसर के अलग-अलग प्रकारों के बारे में मालूम है। (आंकड़े राष्‍ट्रीय स्‍तर पर खोज का संकेत करते हैं)

इलाज में खर्चः भोपाल के उत्तरदाताओं के एक बड़े भाग का सोचना है कि कैंसर के इलाज का औसतन खर्च 3.9 लाख रुपये हैं। कैंसर विशेषज्ञ यह बताते हैं कि कैंसर के प्रकार और पहचान के चरण को देखते हुए इलाज का औसतन खर्च 4.7 लाख रुपये से ऊपर चला जाता है।



इसके अतिरिक्त, कैंसर विशेषज्ञों का मानना है कि सभी मरीजों (राष्‍ट्रीय स्‍तर पर) में से औसतन सिर्फ एक-चौथाई को ही कैंसर के लक्षणों के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी है।



कैंसर के इलाज के लिए वित्तीय तैयारी का बहुत खराब होना



कैंसर के चरण, मरीज की अस्थिरता और जरूरी दवाइयां संबंधी सुविधाओं के स्तर को देखते हुए, कैंसर का इलाज 5 लाख से 20 लाख रुपये के बीच चला जाता है। एक महत्वपूर्ण चीज यह भी पता चली है कि इलाज के लिए आए मरीजों के वित्तीय सलाहकार के रूप में डॉक्टर अनजाने में ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके बावजूद, सर्वे यह भी बताता है कि हममें से ज्यादातर कैंसर से लड़ने के लिए वित्तीय रूप से तैयार नहीं होते। ज्यादा से ज्यादा लोग इस विपत्ति की अति गंभीरता को समझने में नाकाम होते हैं और इसके विरुद्ध वित्तीय ढाल तैयार करने में एक बड़ा अंतर पैदा कर लेते हैं। नीचे दिये गये सर्वे के नतीजे इसकी पुष्टि करते हैं :



77 प्रतिशत उत्‍तरदाताओं का कहना है कि उनकेपास कैंसर से निपटने के लिए किसी प्रकार की कोई वित्‍तीय सहायता नहीं है। इनमें से;

27 प्रतिशत प्रतिसादियों ने कहा कि वे उपचार के खर्च को पूरा करने के लिए लोन लेने का विकल्‍प अपनायेंगे।

37 प्रतिशत उत्‍तरदाताओं ने कैंसर से लड़ने के लिए वित्तीय योजना की जरूरत पर विचार-विमर्श भी नहीं किया है। शेष 13 प्रतिशत प्रतिसादियों ने कहा कि उन्‍होंने परिवार और दोस्‍तों से मदद मांगी महज 27 प्रतिशत प्रतिसादियों के पास अपने चिकित्‍सा खर्चों के लिए विशिष्‍ट 'कैंसर' बीमा कवर है।



देश भर में करीब 63 प्रतिशत कैंसर रोगियों ने इलाज और इससे जुड़े अन्य खर्चों को कवर करने के लिए कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लेने की बात कबूली है। कैंसर की वित्‍तीय जटिलताओं को समझने में ग्राहक की धारणा और वास्‍तविकता के बीच भारी अंतर है



फ्‍यूचर जनरली का 'कैंसर फाइनेंशियल प्रीपेयर्डनेस सर्वे' दर्शाता है कि इस बीमारी की वित्‍तीय जटिलताओं की धारणा और वास्‍तविकता के बीच काफी अंतर है। कैंसर के इलाज के खर्च के दौरान, अधिकतर लोग अतिरिक्‍त वित्‍तीय बोझ पर विचार करने में नाकाम रहते हैं। सर्वे में पता चला है कि उत्‍तरदाता स्‍थायी वित्‍तीय चुनौतियों को लेकर अनजान थे जिन्‍हें मरीज और उनके परिवार वाले आय के नुकसान, कमाई की क्षमता कम होना, फॉलोअप इलाज आदि के खर्च के लिहाज से झेल सकते हैं। इससे परिवार गहरे आर्थिक संकट में आ जाता है।



फ्यूचर जनरली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के सीईओ और एमडी मुनीष शारदा जोर डालते हैं कि 'हमने यह शोध कराया क्योंकि देश में कैंसर से जुड़ी जागरूकता के तथ्यों को जानने की साफ जरूरत है और यह भी जानने की जरूरत है कि इस जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए लोगों ने क्या वित्तीय तैयारियां की हैं। एक बीमाकर्ता के रूप में हमारा मानना है कि इससे संबंधित जागरूकता और तैयारी के दोनों मसले जन-समुदाय तक ले जाने में हमें एक महत्वपूर्ण योगदान निभाना है। हम उन्‍हें किफायती दामों में सरल उत्‍पादों की पेशकश करते हैं। फ्यूचर जनरली कैंसर प्रोटेक्ट प्लान एक व्‍यापक कैंसर बीमा है जिसे सादगी, सहूलियत और गति के सिद्धांतों पर तैयार किया गया है। यह ग्राहकों को इलाज के बाद की वित्‍तीय जरूरतों का ख्‍याल रखने के लिए आय का एक विकल्‍प भी प्रदान करता है।"



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