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महाकाल लोक में कोई भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं, कांग्रेस कर रही गंदी राजनीति: मंत्री भूपेंद्र सिंह

Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 795

भोपाल: 30 मई 2023। उज्जैन के महाकाल लोक में 6 मूर्तियां गिरने के मामले में सरकार ने खुद को क्लीनचिट दे दी है। कांग्रेस के भ्रष्टाचार के आरोपों पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भोपाल में कहा कि महाकाल लोक में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। उज्जैन कमिश्नर की रिपोर्ट मिल गई है। आंधी-तूफान की वजह से मूर्तियां गिरी हैं। एक सप्ताह में फिर मूर्तियां लगाएंगे। महाकाल लोक पर कांग्रेस गंदी राजनीति कर रही है।

महाकाल लोक परिसर, जिसे मृदा परियोजना का नाम दिया गया है जसकी कुल लागत 96.97 करोड़ की थी जिसमें से जिसमें से एफ.आर.पी. (Fibre Reinforced Polymer) की 100 मूर्तियों के कार्य की लागत 7.75 करोड थी।
जिसका कार्यादेश कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के समय दिनांक 07.03.2019 को किया गया था। 23 अगस्त 2019 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार के माननीय मंत्री गण सज्जन सिंह वर्मा, पी.सी. शर्मा तथा जयवर्द्धन सिंह की संयुक्त बैठक में महाकाल लोक परिसर के कार्यों का प्रस्तुतीकरण हुआ था। जिसमें तत्कालीन मुख्य सचिव भी उपस्थित थे जिनमें इन मूर्तियों को लगाये जाने का उल्लेख भी बैठक में किया गया था। मेसर्स एम.पी. बाबरिया के साथ डी. एच. पटेल एवं गायत्री इलेक्ट्रिकल के साथ अनुबंध तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल में ही दिनांक 7 मार्च 2019 को सम्पादित किया गया।

रविवार को​ इन 7 मूर्तियों में से 6 मूर्तियां पेडस्टल से नीचे गिर गईं। इसके बाद सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस ने महाकाल लोक पर भ्रष्टाचार होने के आरोप लगाए हैं।

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि उज्जैन में महाकाल लोक बनाने का निर्णय शिवराज सरकार ने साल 2017 में लिया था। उसके लिए 100 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। उसमें से अतिक्रमण भी शिवराज सरकार ने ही हटाया था। 200 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया था। महाकाल लोक में टेंडर भी हमारे समय हुआ। फिर कांग्रेस की सरकार आ गई। वर्क ऑर्डर और सवा साल का काम कांग्रेस की सरकार के दौरान हुआ। तब मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री कांग्रेस के ही थे।

मंत्री ने बताया कि शिवराज सरकार ने फिर काम को आगे बढ़ाया। आंधी-तूफान के कारण छह मूर्तियां प्रभावित हुई हैं। कंट्रक्शन एजेंसी से हुए एग्रीमेंट में 3 साल का मेंटेनेंस है। वह कंपनी ही कर रही है। कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। गुणवत्ता के साथ ही पूरा काम किया है। आरोप निराधार है। कांग्रेस गंदी राजनीति कर रही है और लोगों की धार्मिक भावना को आहत कर रही है। कांग्रेस ने ऐसा कोई काम नहीं किया। हमारी सरकार ने महाकाल लोक बनाया है तो कांग्रेस गलतियां ढूंढ रही हैं।

महाकाल लोक के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखा
मंत्री सिंह ने बताया कि महाकाल लोक का सारा काम गुणवत्ता के हिसाब से हुआ है। दिल्ली की संस्था सिपेट ने तकनीकी परीक्षण भी किया है। टेक्नीकल टीम ने मूल्यांकन किया। एफआरपी (फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक) की 100 मूर्तियां पूरे परिसर में लगी है। जिसकी लागत साढ़े 7 करोड़ रुपए है। ये आर्ट एफआरपी पर ही संभव है। पत्थर पर बहुत समय लगता है। उसके बाद भी कलां निखरकर नहीं आती है। इसलिए देश के कई स्थानों पर एफआरपी की मूर्तियां लगाई गई है। इनमें महाराष्ट्र के पंढरपुर शेगांव, दिल्ली के किंगडम ऑफ ड्रीम, अक्षरधाम मंदिर समेत कुरुक्षेत्र, सिक्किम के मंदिरों के साथ ही बाली-इंडोनेशिया के धार्मिक स्थल भी शामिल हैं।

उज्जैन कमिश्नर की रिपोर्ट मिली
उन्होंने बताया कि 28 मई की दोपहर में तेज बारिश और आंधी के साथ बवंडर की स्थिति महाकाल मंदिर क्षेत्र और उसके आसपास बनी थी। सप्त ऋषियों की मूर्तियां रुद्रसागर, त्रिवेणी मंडपम और कमल कुंड के बीच में स्थित होने से संभवत: बवंडर अधिक निर्मित हुआ। यहां आंधी का प्रभाव ज्यादा होने के कारण मूर्तियां पेडस्टल से अलग होकर नीचे गिर गई। 10 फीट ऊंचाई से गिरने और करीब 3 क्विंटल वजनी होने के कारण मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गई। इस क्षेत्र में स्थापित अन्य एफआरपी की मूर्तियों पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ा।
इस मामले में उज्जैन कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट सौंपी है। जिसमें आंधी-तूफान के कारण मूर्तियां प्रभावित होना बताया है। गुणवत्ता के अनुसार काम हो, इसका ध्यान रखेंगे। सरकार एक्शन लेगी। एक सप्ताह के अंदर नई मूर्तियां लगाएंगे।


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