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मेरा लेखन मेरे संघर्ष का प्रतिबिम्‍ब : कैलाश सत्यार्थी

Location: नई दिल्‍ली                                                 👤Posted By: Admin                                                                         Views: 4256

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई ने नोबेल शांति पुरस्‍कार विजेता

कैलाश सत्‍यार्थी की पुस्‍तक का किया लोकार्पण मेरा लेखन मेरे संघर्ष का प्रतिबिम्‍ब : कैलाश सत्यार्थी प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित "एवरी चाइल्ड मैटर्स" का हुआ विमोचन कांस्‍टिट्यूशन क्‍लब में कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक "एवरी चाइल्ड मैटर्स" का हुआ विमोचन



सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायाधीश माननीय रंजन गोगोई ने नोबेल शांति पुरस्‍कार विजेता कैलाश सत्‍यार्थी की प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्‍तक "एवरी चाइल्‍ड मैटर्स" का रफ़ी मार्ग स्थित कांस्‍टिट्यूशन क्‍लब के स्‍पीकर हॉल में लोकार्पण किया। पुस्‍तक लोकार्पण के बाद पत्रकार शेखर गुप्ता ने सत्यार्थी से पुस्‍तक की रचना प्रक्रिया पर बातचीत की। गौरतलब है कि सुरक्षित बचपन बनाने के उद्देश्‍य से सत्‍यार्थी द्वारा विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में लिखे आलेखों और साक्षात्कारों को इस पुस्‍तक में संकलित किया गया है, जो दुनियाभर के बच्‍चों के वर्तमान हालात पर पाठकों को गंभीरतापूर्वक सोचने के लिए विवश करते हैं।



इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायाधीश माननीय रंजन गोगोई ने कहा कि यह किताब एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण सवाल उठाती है कि क्‍या हरेक बच्‍चा हमारे लिए मायने रखता है। इसका जवाब हां में है। यह बात अब किसी से छुपी हुई नहीं है कि हमारी न्‍यायिक प्रक्रिया काफी लंबी चलती है। लेकिन बच्‍चों को जल्‍द से जल्‍द न्‍याय दिलाने की जरूरत होती है और अब हम इसके लिए इंतजार नहीं कर सकते हैं।



बाल दुर्व्‍यापार को खत्‍म करने के लिए सामाजिक और राजनीतिक इच्‍छाशक्ति की बहुत ही जरूरत है। यह इच्‍छाशक्ति जितनी ज्‍यादा होगी हमारे बच्‍चे उतनी ही जल्‍दी स्‍वतंत्र होंगे।लोकार्पण समारोह के दौरान कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा, "अगर हम सत्‍य, अहिंसा, न्‍याय और शांति के साथ जीना चाहते हैं तो हमारे लिए हर एक बच्‍चा और हर एक शब्‍द मायने रखता है। लेकिन आज हमें यह देखने को मिल रहा है कि मानवीयता और करुणा के अभाव में शब्‍द अपने अर्थ खोते जा रहे हैं और बचपन सिसक रहा है। बच्‍चों के लिए मैं जब लिखता हूं, तो चाहता हूं कि उस पर अमल की कार्रवाई भी हो। इसीलिए मेरे आलेख जल्‍द से जल्‍द कार्रवाई की जरूरत पर बल देते हैं और ये उसी की अभिव्‍यक्ति हैं। मेरा लेखन मेरे संघर्ष का प्रतिबिम्‍ब है। चारों ओर जो एक उदासीनता व्‍याप्‍त है उस पर गुस्‍सा है।



आयोजक प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने कहा, "हमें इस बात का गर्व है कि हमने कैलाश सत्‍यार्थी की किताब को प्रकाशित किया है। बच्‍चों के अधिकारों के लिए सतत् संघर्ष करने वाले वे हमारे समय के चैम्पियन हैं।"

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