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राज्य एवं जिला उपभोक्ता आयोगों के सदस्यों को अब मानदेय नहीं नियमित वेतनमान दिया जायेगा

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 852

Bhopal: भोपाल 16 सितंबर 2021। प्रदेश में खाद्य विभाग के अधीन गठित राज्य एवं जिला उपभोक्ता आयोगों के सदस्यों को अब प्रति बैठक मानदेय नहीं बल्कि प्रति माह नियमित वेतनमान और अन्य जरुरी सुविधायें दी जायेंगी। ऐसा हुआ है केंद्र सरकार के वर्ष 2019 में प्रभावशील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत राज्य सरकार बनाये मप्र उपभोक्ता संरक्षण राज्य आयोग एवं जिला आयोग के अध्यक्ष आर सदस्यों का वेतन,भत्ते एवं सेवा शर्तें नियम 2021 के जारी होने से।
उल्लेखनीय है कि राज्य आयोग में उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस एवं जिला आयोगों में जिला न्यायालयों के रिटायर्ड जस्टिस अध्यक्ष बनाये जाते हैं। इन्हें पूर्व भी पेंशन काटकर नियमित वेतनमान मिल रहा था लेकिन राज्य आयोग के सदस्यों को प्रति बैठक 1500 रुपये एवं जिला आयोग के सदस्यों को एक हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा था। लेकिन नये नियम प्रभावी होने से अब राज्य आयोग के सदस्य को मंत्रालय के उप सचिव पद के अनुरुप तथा जिला आयोग के सदस्य को अवर सचिव के पद के अनुरुप नियमित प्रति माह वेतनमान दिया जायेगा। यदि ये सदस्य सरकारी सेवा में रहे हैं तो उन्हें पेंशन काटकर वेतनमान दिया जायेगा। यही नहीं, दोनों आयोगों के सदस्यों के वेतनमान में प्रत्येक वर्ष 3 प्रतिशत की दर से वेतनवृध्दि भी दी जायेगी।
नये नियमों में दोनों आयोगों के अध्यक्षों एवं सदस्यों को मकान किराया भत्ता, परिवहन भत्ता, अवकाश, चिकित्सा उपचार एवं अस्पताल सुविधायें भी दी जायेंगी। अध्यक्षों एवं सदस्यों को पदभार ग्रहण करने से पहले अपना सम्पत्ति विवरण एवं वित्तीय लाभों की भी जानकारी देनी होगी। कार्यकाल खत्म होने पर अध्यक्ष एवं सदस्य राष्ट्रीय, राज्य या जिला आयोग में वकालत भी नहीं कर सकेंगे। पदभार ग्रहण करने के समय अध्यक्ष एवं सदस्यों को गोपनीयता की शपथ भी लेनी होगी।
आयोग के रजिस्ट्रार ने बताया कि राज्य आयोग में अभी दो सदस्य हैं जबकि एक सदस्य का पद रिक्त है जबकि प्रदेश में 22 जिला आयोग एवं तीन शहरों जबलपुर, इंदौर एवं भोपाल में तीन अतिरिक्त जिला आयोग हैं तथा इन सभी जिला आयोगों में सदस्यों के 11 पद रिक्त हैं। सदस्यों को पहले प्रति बैठक मानदेय दिया जाता था परन्तु अब नये नियमों के अनुसार नियमित वेतनमान प्रदान किया जायेगा क्योंकि आयोग भी न्यायिक कार्य करते हैं तथा इन्हें बहुत कम मानदेय मिल रहा था।



डॉ. नवीन जोशी

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