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विजन-2035 : 20 साल में क्या होना चाहेंगे हम?

Location: New Delhi                                                 👤Posted By: PDD                                                                         Views: 18224

New Delhi: देश के प्रौद्योगिकी थिंक टैंक ने तैयार किया टेक्नोलॉजी विजन-2035



पानी की लीकेज हमारे पेयजल आपूर्ति की एक बड़ी समस्या है। काश कि पानी की पाइपलाइनें भी हमारे शरीर की नसों की तरह होतीं। जैसे हमारे शरीर में कट लगने पर निकलने वाले खून को रोकने के लिए खून खुद ही थक्का जमा लेता है, वैसे ही पाइप खुद की मरम्मत कर ले तो कितना अच्छा रहे। इसी तरह सड़क पर दरार व गड्ढे बन जाएं तो वे खुद ही उसे ठीक कर लें जैसे कोई घाव भर जाता है। आपको भूख लगी है और शरीर को जिस पोषक तत्व की जरूरत है और जैसा स्वाद आप चाहते हैं वही आपको आहार में मिले तो कितना अच्छा हो। सड़क पर जाम मिले तो कार हवा में उड़ने लगे, रास्ते में पानी भरा मिले तो तैरने लगे।



हमारी चाहतों की ये कुछेक मिसालें हैं जिन्हें देश के टेक्नोलॉजी विजन-2035 में शामिल किया गया है। इसके लिए सेल्फ हीलिंग पाइप्स, सेल्फ हीलिंग रोड्स, इंटरएक्टिव स्मार्ट फूड और एंफिबियन फ्लाईंग कार जैसी प्रौद्योगिकी के विकल्प भी विजन में पेश किए गए हैं। आज से दो दशक बाद भारतीय क्या होना चाहेंगे? इस सोच को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाली संस्था टेक्नोलॉजी इंफोर्मेशन फारकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल (टाईफैक) ने 'टेक्नोलॉजी विजन-2035' दस्तावेज तैयार किया है। पिछले साल मैसूर में हुए इंडियन साइंस कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जारी किया था। टाईफैक के चेयरमैन व न्यूक्लियर साइंटिस्ट प्रो. अनिल काकोडकर के निर्देशन में तैयार हुए इस दस्तावेज में देश की आकांक्षाओं की पहचान करने के साथ ही उन्हें पूरा करने वाले प्रौद्योगिकी विकल्पों का खाका पेश किया गया है। इससे पहले 1996 में टाईफैक ने विजन-2020 तैयार किया था, तब डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टाईफैक के चेयरमैन थे।



प्रो. काकोडकर के मुताबिक विजन-2035 देश के बारे में भविष्यवाणी, दूरदर्शी परिकल्पनाओं और मनसूबों का दस्तावेज नहीं है, यह दस्तावेज बताता है कि अभी हम कहां है? अगले दो दशक में हम कहां जाना चाहते हैं? यहां से वहां पहुंचने का श्रेष्ठ तरीका क्या है? कौन-सी तकनीक हमें लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद कर सकती है? इस रास्ते में क्या-क्या चुनौतियां हैं और क्या-क्या तकनीकी बाधाएं आ सकती हैं? इस दस्तावेज का विजन स्टेटमेंट ही 'प्रौद्योगिकी के जरिए हर भारतीय की सुरक्षा सुनिश्चित करना, समृद्धि बढ़ाना और पहचान को मजबूत करना है।'



टाईफैक के मुताबिक डॉ. कलाम के निर्देशन में तैयार हुए टेक्नोलॉजी विजन-2020 में 1996 का दृष्टिकोण था और विजन 2035 में 2014-15 का दृष्टिकोण है। विजन को 2035 को तैयार करने में करीब तीन वर्ष लगे और 5000 से ज्यादा विशेषज्ञों का परामर्श लिया गया। यह विजन दस्तावेज देश के 12 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ध्यान में रखकर तैयार हुआ है।



साफ हवा व शुद्ध पीने का पानी



ड्यू हार्वेंस्टिंग : वाटर हार्वेस्टिंग तो आपने सुना होगा, विज्ञानी अब ड्यू (ओस) हार्वेस्टिंग की तकनीक लैब से फील्ड तक लाने में जुटे हैं। हालांकि अभी इसमें टारगेट रिसर्च की जरूरत है।



सेल्फ हीलिंग पाइप्स : पाइप में टूटफूट को पानी में पॉलीमैरिक व इलास्टोमैरिक पदार्थ की मदद से मरम्मत करने की तकनीक की परिकल्पना की जा रही है।



इन-सीटू वाटर प्यूरिफिकेशन इन पाइपलाइन : बहते पानी को ही उपचारित करने की तकनीक के सिलसिले में टारगेटेड रिसर्च की बात की जा रही है।



खाद्य व पोषण सुरक्षा



इंटरएक्टिव व स्मार्ट फूड : शरीर को जिस पोषक तत्व की जरूरत है और आप जो स्वाद पसंद करते हैं, उसके मुताबिक ऑन डिमांड फूड भोजन की परिकल्पना नैनो-कैप्सूल में मौजूद फ्लैवर व विटामिन के आधार पर की जा रही है।



ई-सेंसिंग : किसी भी आहार की गंध व स्वाद ई-नोज व ई-टंग के जरिए महसूस करने की तकनीक भी भविष्य की प्रौद्योगिकी है।



यूनीवर्सल हेल्थकेयर एंड पब्लिक हाइजिन



नैनो-रोबोट्स : कोशिका के आकार के रोबोट्स जो शरीर में अकेले या वैसे ही हजारों रोबोट की मदद से तय काम करें।



मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट वैक्सीन : मलेरिया व टीबी जैसी बीमारियां मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट होने के चलते फिर से फैल रही है, उनके लिए नई वैक्सीन के लिए शोध होगा।



रीजेनरेटिव थैरेपी : छिपकली की पूंछ कट जाती है तो फिर से पैदा होती है। लेकिन मनुष्य के शरीर में ऐसा नहीं होता। अब ऐसे उपचार परिकल्पना की जा रही है कि अंग कटने पर वह अंग फिर से उग आए।



सातों दिन चौबीस घंटे बिजली



माइक्रोबियल फ्यूल सेल : इस सेल में गंदे पानी को इस्तेमाल करके इलेक्ट्रोकैमिकली एक्टिव बैक्टिरिया के मेटाबोलिक गतिविधि के जरिए बिजली पैदा की जाती है।



थोरियम से बिजली : फास्ट ब्रीडर रिएक्टर के जरिए थोरियम से बिजली बनाने के लिए टारगेटेड रिसर्च की जरूरत बताई गई है।



गैस हाइड्रेट : बर्फ-पानी का एक पिंजड़े जैसी जाली जिसके अंदर मीथेन के अणु फंसे हो जो गर्म होने या दबाव कम होने पर पानी व प्राकृतिक गैस में बदल जाएं।



पर्यावास



एंटीग्रेविटी डिवाइस : गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत काम करने वाले ऐसे उपकरण जो निर्माण में मददगार हो सकें। यह प्रौद्योगिकी अभी परिकल्पना के स्तर पर है।



बायो कंक्रीट : सेल्फ हीलिंग कंक्रीट खुद ब खुद दरारों को भर सकते हैं यह इनमें मौजूद एक खास किस्म के बैक्टिरिया के जरिए होता है। इस पर रिसर्च भी चल रहा है और परिकल्पनाएं भी।



शिक्षा



ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस : ऐसी प्रौद्योगिकी जिसमें दिमागी तरंगों से ही कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नियंत्रित किया जाता है।



रियल टाइम ट्रांसलेशन : शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने के लिए जरूरी होगा कि वह हर भारतीय भाषा में तत्काल उपलब्ध हो।



सुरक्षित व तेज आवागमन



एंफिबियन एंड फ्लाइंग व्हीकल : शहर के जाम को देखते हुए ऐसे उभयवाहनों के शोध को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।



इंटेलीजेंट व सेल्फ हीलिंग रोड्स : सड़क पर दरारें व गड्ढों को भरने के लिए सेल्फ हीलिंग रोड्स की परिकल्पना की गई है।



जे-पोड, हाइपर लूप : यह आवागमन के लिए हाई स्पीड प्रेशर ट्यूब की तकनीक है।



मैगलेव : रेल ट्रैक को बिना छुए मैग्नेट की मदद से दौड़ती ट्रेन की तकनीक है।



2035 में भारतीयों का जीवन



-शून्य ड्रापआउट, शत-प्रतिशत साक्षरता, उपकरणों व मशीनों के इस्तेमाल की कुशलता।

-हर घर को पाइप से पीने के पानी की आपूर्ति।

-हर ग्राम पंचायत में प्राइमरी हेल्थ सेंटर, हर जिले में एयर एंबूलैंस व ट्रामा केयर की सुविधा के साथ मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल।

-कोई भी भारतीय कुपोषण का शिकार नहीं, महिला व बच्चे एनिमिया मुक्त।

-बच्चे को जन्म देते समय माता की मृत्युदर प्रति एक लाख में 15 से भी कम।

-पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्युदर प्रति एक हजार में 6 से कम।

-भोजन की शून्य बर्बादी।

-शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व सेवा से जुड़ी हर नागरिक की डिजिटल पहचान।

-हर पंचायत में हैलीपेड।

-देश के किसी भी स्थान की राष्ट्रीय राजधानी से दूरी आठ घंटे, प्रादेशिक राजधानी से दूरी 5 घंटे और जिला मुख्यालय से दूरी तीन घंटे से ज्यादा नहीं हो। किसी भी मेट्रोपॉलिटन में दो स्थान की दूरी महज एक घंटे।

-पैदल यात्रियों के शून्य सड़क हादसे।

-घर से एक किलोमीटर की दूरी पर सार्वजनिक परिवहन की उपलब्धता।

-तेज व त्रुटिहीन क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन।

-देश में सर्वत्र इंटरनेट की उपलब्धता।

-राष्ट्रीय स्तर पर 1000 गीगावाट बिजली का उत्पादन, इसमें से 50 फीसदी रिन्युअल (पानी, हवा व सौर) संसाधनों से।

-ट्रांसमिशन व वितरण की हानि 3 फीसदी से भी कम।

-30 फीसदी इवारे में वन क्षेत्र।

-शून्य झोपड़पट्टी।

-चुनाव में सुनिश्चित सहभागिता।







2035 के लिए महाचुनौतियां



-पोषण सुरक्षा गारंटी

-सभी नदियों व जलाशयों में पानी की मात्रा व गुणवत्ता सुनिश्चित करना

-तेजी से घट रहे संसाधनों की सुरक्षा

-लर्नर सेंट्रिक, लैंग्वेज न्यूट्रल और सबके लिए उपलब्ध समग्र शिक्षा

-क्लाइमेंट पैटर्न के अनुकूल होना

-कोयला, तेल व गैस ईंधनों के बिना मेक इन इंडिया

-लेह व तवांग तक रेलवे लाइन बिछाना

-इको-फ्रेंडली कचरा प्रबंधन







- अनिरुद्ध शर्मा

लेखक दिल्ली से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय समाचार पत्र में वरिष्ठ पत्रकार और विज्ञान विषयों के जानकार हैं।

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