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विदेशी शराब बनाने वाले डिस्टिलरियों का बकाया तीन सौ करोड़ रु. का भुगतान होगा

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: DD                                                                         Views: 2133

Bhopal: 23 जुलाई 2021। शिवराज सरकार ने विदेशी मदिरा बनाने वाली डिस्टिलरियों का बकाया तीन सौ करोड़ रुपयों का भुगतान करने के आदेश जारी कर दिये हैं। यह बकाया पिछले साल का था। इस संबंध में राज्य के वित्त विभाग ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
दरअसल पिछले वित्तीय वर्ष तक प्रावधान था कि आबकारी विभाग विदेशी शराब निर्माताओं से मदिरा खरीद कर उसे अपने गोदाम में पहुंचाये और गोदाम से लायसेंसी विदेशी मदिरा दुकानदार यह मदिरा खरीद कर उसका विक्रय करें। आबकारी विभाग मूल दर पर यह मदिरा खरीदता था और दुकानदार गोदाम से बढ़ी हुई निर्धारित दर पर क्रय करता था। पिछले वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग ने विदेशी शराब निर्माताओं से उधार में मदिरा खरीद ली थी और वह 31 मार्च 2021 तक करीब तीन सौ करोड़ रुपयों का भुगतान नहीं कर पाई थी।
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस बकाया राशि के भुगतान के लिये बजट में तीन सौ करोड़ रुपयों का प्रावधान कर दिया गया था परन्तु वित्त विभाग ने सीलिंग लगा दी थी कि इस तीन सौ करोड़ रुपयों के बजट में से 55 प्रतिशत पहले छह में व्यय किये जा सकेंगे तथा शेष 45 प्रतिशत अगली छह माही में। इस पर विदेशी शराब निर्माताओं पे आपत्ति की थी। इसी कारण से अब यह सीलिंग हटा दी गई है। इससे आबकारी विभाग एक साथ पूरी राशि निकाल कर विदेशी शराब निर्माताओं को भुगतान कर सकेगा।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग ने व्यवस्था बदल दी है। अब लायसेंसी विदेशी शराब दुकानदार को एडवांस राशि बैंक में रखना होती है तथा इसी आधार पर उसे गोदाम से शराब प्रदाय होती है और बैंक सीधे निर्माताओं को उनकी निर्धारित मूल राशि का भुगतान कर देता है। इससे अब आबकारी विभाग को निर्माताओं से मदिरा क्रय नहीं करना होती है।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि विदेशी शराब निर्माताओं का पिछले वित्तीय वर्ष का तीन सौ करोड़ रुपये बकाया था जिसका वर्तमान वित्त वर्ष में प्रावधान किया गया है। इस राशि को निकालने के लिये वित्त विभाग की सीलिंग थी जिसे अब वित्त विभाग ने खत्म कर दिया है जिससे एक बार में ही सारी राशि निकाल कर निर्माताओं को भुगतान किया जा सकेगा।



- डॉ. नवीन जोशी

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