Bhopal: 8 मई, 2017, मध्यप्रदेश विधान सभा के मानसरोवर सभागार में आज प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के वरिष्ठ राजयोगी बी. के. सूरज भाई ने खुशनुमा जीवन जीने की कला पर प्रभावी और व्यावहारिक व्याख्यान दिया।
राजयोगी सूरज भाई ने अपने उदबोधन में कहा कि आज मनुष्य अपने सुख को साधनों में खोज रहा है। सुख-दु:ख, शांति-अशांति का कारण वस्तुत: हमारा चिंतन होता है । हमें अपने चिंतन को सदैव स्वस्थ और सकारात्मक रखना चाहिए। सूरज भाई ने कहा कि मन की ऊहापोह और द्वंद से मुक्ति के लिए हमें प्रतिदिन स्वयं से भी मिलने के लिए थोड़ा समय निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि दरअसल बातें बड़ी नहीं होतीं, हम सोच-सोचकर बातों को बड़ा बना देते हैं। बातों को पकड़कर रखने की प्रवृति स्वस्थ मनोदशा के लिए घातक होती है। हमारा प्रत्येक विचार और चिंतन शुभ-संकल्प से परिपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक समस्या कमजोर मन की रचना है, दरअसल समस्या को समस्या मानना ही सबसे बड़ी समस्या है। मजबूत मन:स्थिति से बड़े-बड़े रोगों से मुक्ति पायी जा सकती है।
प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सुश्री नीता बहन ने इस अवसर पर कहा कि हमें मन की दौलत कमाना चाहिए। मन ही मन क्षमादान करने से मन का बोझ कम होता है और खुशियां उभरकर बाहर आती हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सोच सकारात्मक होना चाहिए तथा व्यर्थ और अनुपयोगी सोच से सदैव बचना चाहिए। इस मौके पर प्रजापिता ब्रम्हकुमारी विश्वविद्यालय की बहन सुश्री गीता द्वारा ध्यान का अभ्यास कराया गया एवं जीवन की दशा और दिशा बदलने के महत्वपूर्ण सूत्र बताए गए।
इस अवसर पर विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री अवधेश प्रताप सिंह ने कहा कि हमारा मूलस्वरूप शांति चाहता है। आज के परिवेश मे अधिकांशत: हमारा शरीर मालिक हो गया है और शरीर का संचालन करने वाली आत्मा गौण हो गई है। श्री सिंह ने कहा कि पूजा-ध्यान के साथ-साथ सदभावना और सत्कर्म से शांति मिलती है।
इस अवसर पर विधान सभा के अपर सचिव द्वय पी.एन. विश्वकर्मा, बी.डी. सिंह, विधान सभा अध्यक्ष के सचिव महेश शर्मा सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।
समस्या को समस्या मानना ही समस्या : राजयोगी सूरज भाई
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Bhopal
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