27 सितंबर 2019। राज्य सरकार ने मप्र सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 के नियम 8 एवं 9 के अधीन आने वाले मामलों के निराकरण हेतु गत 18 जून को गठित मंत्रिपरिषद की स्थाई समिति को केबिनेट के अधिकार प्रदान कर दिये हैं। इस हेतु मप्र शासन कार्य नियमों में बदलाव कर दिया है।
अब यह हो गई स्थिति :
उक्त मंत्रिपरिषद समिति को केबिनेट के अधिकार मिलने से उसके द्वारा पेंशन मामलों में लिये जाने वाले फैसले केबिनेट की तरह माने जायेंगे यानि उसके फैसले अंतिम स्वीकृति हेतु अब केबिनेट के समक्ष नहीं जायेंगे। यह मंत्रिपरिषद समिति जो भी निर्णय लेगी उस पर राज्य सरकार सीधे अमल करेगी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 18 जून को यह मंत्रिपरिषद समिति गठित की है जिसके अध्यक्ष सामान्य प्रशासन मंत्री डा. गोविन्द सिंह हैं जबकि वित्त मंत्री तरुण भनोत एवं संबंधित विभाग के मंत्री सदस्य हैं। अपर मुख्य सचिव जीएडी केके सिंह इस समिति के संयोजक हैं।
यह कार्य है समिति का :
उक्त मंत्रिपरिषद समिति मप्र सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 के तहत दो मामलों पर विचार करने के लिये गठित की गई है। इनमें पहला नियम 8 का है जोकि भावी सदाचरण के आधार पर पेंशन का है जबकि दूसरा नियम 9 का है जोकि
पेंशन को रोकने अथवा वापस लेने का राज्यपाल का अधिकार के संबंध में है। इन दोनों मामलों में रिटायरमेंट के बाद सिविल सेवा के व्यक्ति द्वारा गंभीर अपराध या गंभीर कदाचरण पर पेंशन का कुछ अंश रोकने या वापस लेने का प्रावधान है।
अभी इन समितियों को मिल चुका है केबिनेट का अधिकार :
राज्य सरकार इससे पहले आर्थिक मामलों, राजनैतिक मामलों, कृषि और सहबध्द मामलों (कृषि केबिनेट), निवेश संवर्धन, पर्यटन मामलों (पर्यटन केबिनेट) एवं रोजगार मामलों (रोजगार केबिनेट) समितियों को ऐसा अधिकार दे चुकी है यानि ये समितियां जो भी फैसले लेंगी उन्हें अंतिम स्वीकृति हेतु मुख्य केबिनेट के समक्ष नहीं ले जाना पड़ेगा और उसके फैसलों पर सीधे अमल होगा।
(डॉ. नवीन जोशी)
पेंशन मामलों की कमेटी को मिले केबिनेट के अधिकार
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Bhopal 👤By: DD Views: 1179
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