Bhopal: 29 अक्टूबर 2018। राज्य शासन ने एट्रोसिटी एक्ट यानि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत प्रदेश के जिला न्यायालयों में गठित विशेष न्यायालयों में शासन की ओर से पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक और विशिष्ट ज्येष्ठ अधिवक्ता पैनल में सम्मिलित अधिवक्ताओं की फीस में चार साल बाद वृध्दि कर दी है।
अब विशेष लोक अभियोजक को 400 रुपये के स्थान पर 500 रुपये प्रतिदिन एक घण्टे से कम कार्य के लिये तथा 800 रुपये के स्थान पर 1000 रुपये प्रतिदिन एक घण्टे से अधिक कार्य के लिये दिया जायेगा। इसी प्रकार, विशिष्ट ज्येष्ठ अधिवक्ता पैनल में सम्मिलित अधिवक्ताओं को अब 350 रुपये के स्थान पर 450 रुपये प्रतिदिन एक घण्टे से कम कार्य के लिये और 650 रुपये के स्थान पर 850 रुपये प्रतिदिन एक घण्टे से अधिक कार्य के लिये दिया जायेगा। पिछली बार 1 अप्रैल, 2014 को यह फीस रिवाईज हुई थी और अब चार साल बाद इसे पुन: रिवाईज किया गया है।
राज्य का विधि विभाग निजी प्रैक्टिस कर रहे वकीलों में से इन अभियोजकों की नियुक्ति करता है। इन अभियोजकों को तीन परिस्थितियों में उक्त शुल्क का भुगतान नहीं करने का भी प्रावधान किया गया है। एक नियत तिथि को अचानक न्यायालयीन कार्यवाही स्थगित होने पर। दो, किसी भी पक्ष द्वारा किसी भी कारण से प्रकरणों की तिथि स्थगित किये जाने हेतु दिये गये आवेदन-पत्र पर। तीन, अभियुक्त/गवाह के अनुपस्थित होने पर।
इस अभिभाषक फीस का भुगतान जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा सरकारी बजट व्यय मांग संख्या 29 के अंतर्गत किया जाता है। फीस वृध्दि के प्रस्ताव को राज्य के वित्त विभाग ने अपनी मंजूरी प्रदान की है।
एक विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि एट्रोसिटी एक्ट के प्रकरणों में पैरवी करने के लिये नियुक्त अभिभाषकों की फीस में वृध्दि की गई है। हांलाकि यह फीस बहुत कम होती है लेकिन हमें अन्य प्रकरणों में भी पैरवी करने की छूट रहती है जिससे हमारा काम चल जाता है।
- डॉ. नवीन जोशी
एट्रोसिटी प्रकरणों की पैरवी की फीस में वृध्दि..
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Bhopal
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