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अब छत्तीसगढ़ ने पेंशनर्स की महंगाई राहत चार फीसदी बढ़ाने के लिए मप्र से सहमति मांगी

Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 444

भोपाल: 10 अगस्त 2023। प्रदेश के साढ़े चार लाख पेंशनरों की महंगाई राहत में एक बार और वृद्धि हो सकती है। छत्तीसगढ़ सरकार ने मध्य प्रदेश से महंगाई राहत 38 से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने यानी चार प्रतिशत की वृद्धि जुलाई 2023 से करने की सहमति मांगी है। यदि दोनों राज्यों में सहमति बन जाती है तो पेंशनरों को जुलाई से नौ प्रतिशत महंगाई राहत बढ़कर मिलेगी। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पत्र देखने के बाद इस मामले में निर्णय सरकार के स्तर पर लिया जाएगा।

पेंशनरों की महंगाई राहत में वृद्धि के लिए राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 के अनुसार दोनों राज्य के बीच सहमति चाहिए। यही कारण है कि जब प्रदेश सरकार कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाती है तो छत्तीसगढ़ सरकार को महंगाई राहत में वृद्धि के लिए सहमति देने संबंधी पत्र भी लिखती है। वित्त विभाग ने जनवरी से पांच प्रतिशत महंगाई राहत में पांच प्रतिशत की वृद्धि के लिए पत्र लिखा था लेकिन सहमति नहीं मिली।

दो अगस्त को छत्तीसगढ़ के वित्त विभाग ने अपने यहां जुलाई से महंगाई राहत 33 से बढ़ाकर 38 प्रतिशत करने का निर्णय लेते हुए सहमति दी। जबकि, प्रदेश के कर्मचारियों को जनवरी से चार प्रतिशत की वृद्धि के साथ 42 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता देने का निर्णय लिया गया है।

यह सहमति भी कई बार स्मरण पत्र लिखने के बाद दी गई।इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के वित्त विभाग के अवर सचिव इन्द्राप्रकाश रात्रे द्वारा एक पत्र और सातवें वेतनमान में चार और छठवें वेतनमान में 221 प्रतिशत की दर से महंगाई राहत देने की सहमति के लिए भेजा है।

पेंशनर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी ने पत्र भेजे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने महंगाई राहत 42 प्रतिशत करने का निर्णय ले लिया है। अभी तक कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के साथ महंगाई राहत इसलिए नहीं बढ़ती थी क्योंकि छत्तीसगढ़ से सहमति नहीं मिलती थी।

अब स्थिति अलग है। छत्तीसगढ़ ने आगे होकर सहमति मांगी है। उन्होंने सरकार से जल्द सहमति देने के साथ ही इस व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की। वहीं, वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पत्र देखने के बाद इस बारे में सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।



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