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रचना करो कि अब काँटों में फूल खिलें

Place: Patna                                                👤By: DD                                                                Views: 21088

रचना करो कि अब काँटों में फूल खिलें

हे कवि! कलम को तलवार अब बनाओ तुम

बीत गया समय अब विनम्र निवेदन का

अग्नि बरसाये कलम क्रांति गीत गाओ तुम



पुकारती मानवता तड़पती धर्म-द्वार पे

एकटक आश लिए देखो है निहार रही

वक्त की आवाज़ सुनो परिवर्तन साकार हो

अंधकार-ज्वाला में विहान बन जाओ तुम



दबे-कुचलों के अब सोये भाग्य जग जाएँ

तड़पती मानवता की आवाज़ बन जाओ तुम

गीत गाओ कुत्सित विचारों के विनाश का

धर्म-युद्ध आह्वाहन में कृष्ण बन जाओ तुम



- रमेश कुमार मिश्र





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