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महाकाल के प्रसाद पैकेट का मामला पहुंचा कोर्ट, इंदौर हाईकोर्ट ने डिजाइन सुधारने मंदिर समिति को दिया 3 माह का समय

Location: Bhopal                                                 👤Posted By: Admin                                                                         Views: 143572

Bhopal: उज्जैन। प्रसिद्ध महाकाल मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. भक्त दर्शन के बाद महाकाल के भोग का प्रसाद घर लेकर जाते हैं, जिसके पैकेट पर बने डिजाइन को लेकर आपत्ति जताई गई है. बताया गया कि भक्त प्रसाद ग्रहण करने के बाद पैकेट को डस्टबिन या कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं. ये आस्था के साथ खिलवाड़ है. इसे लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.

मंदिर समिति से कोर्ट ने मांगा सॉल्यूशन

महाकाल के प्रसाद पैकेट्स पर बने मंदिर के शिखर, ओम, नागचंद्रेश्वर और ओम्कारेश्वर मंदिर के डिज़ाइन को लेकर याचिका लगाई गई. इंदौर हाईकोर्ट में 19 अप्रैल 2024 को याचिका दायर की गई थी. भारत वर्ष के जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़े के महंत सुखदेवा नंद ब्रह्मचारी श्री शंभु, पंच अग्नि अखाड़ा छत्रीबाग इंदौर के स्वामी राधकांताचार्य महाराज और महू के दुर्गाशक्तिपीठ बगलामुखी उपासक शरद कुमार मिश्र सहित कई अन्य ने मिलकर याचिका दर्ज कराई. वकील अभीष्ट मिश्र के माध्यम से याचिका दायर की गई, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले के निराकरण के लिए मंदिर समिति को 3 महीने का समय दिया है.

लोगों की भावना हुई आहत

याचिका दायर करते हुए वकील अभीष्ट मिश्र ने कोर्ट में बताया कि यह विषय सनातन धर्म के अपमान से जुड़ा है. श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रसाद पैकेट्स के उपयोग के बाद लोग उसे डस्टबिन में डाल देते हैं. ऐसे में याचिका दायर करने वालों के साथ अन्य लोगों की भी भावनाएं आहत हुई है. वकील ने न्यायाधीश से यह भी कहा कि माता वैष्णो देवी मंदिर या गोल्डन टेंपल के प्रसाद पैकेट्स पर इस तरह के कोई डिजाइन नहीं हैं, सिर्फ नाम है. महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम में इस तरह के प्रसाद के पैकेट पर डिजाइन लगाने का भी कोई उल्लेख नहीं है.

पीएम मोदी को भी की गई शिकायत

वकील अभीष्ट मिश्र ने बताया कि पहले दो बार इस विषय में मंदिर समिति को अवगत करवाया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. 11 अप्रैल को याचिकाकर्ता मंदिर समिति प्रशासक और अध्यक्ष से मिले, लेकिन केवल आश्वासन ही मिला. इस मामले को लेकर पीएम मोदी को भी शिकायत की गई. जिसके बाद पीएमओ कार्यालय से सीएम हेल्पलाइन तक शिकायत पहुंचाई गई. शिकायत के निवारण को लेकर हर बार केवल आश्वासन ही मिला. उन्होंने बताया कि मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. कोर्ट में 24 अप्रैल को सुनवाई हुई और इसके सॉल्यूशन के लिए मंदिर समिति को 3 माह का समय दिया गया है.

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