
पीवी सिंधु रियो ओलंपिक के फ़ाइनल में पहुंच चुकी है. कमाल की बात है कि यह पीवी सिंधु का पहला ही ओलंपिक है.
पूरा भारत आश्चर्य से उन पर नज़र गड़ाए हुए है.
वो शुक्रवार को रियो में नंबर एक रैंकिंग वाली स्पेन की कैरोलिना मारिन के ख़िलाफ बैडमिंटन में महिला एकल वर्ग का फ़ाइनल खेलेंगी.
पांच जुलाई 1995 को तेलंगाना में जन्मी पांच फुट साढ़े 10 इंच लम्बी पीवी सिंधु तब सुर्खियों में आई जब उन्होंने साल 2013 में ग्वांग्झू चीन में आयोजित विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. पीवी सिंधु के पिता पीवी रमन्ना और मां पी विजया ख़ुद वॉलीबाल खिलाड़ी रह चुके है, शायद यही कुछ सिंधु को भी खेल में ही खींच लाया.
सिंधु के खेल को सजाने-संवारने का काम किया आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियन रह चुके पुलेला गोपीचंद.
उल्लेखनीय है कि पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन ऐकेडमी हैदराबाद में ही है.विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली सिंधु भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनी.
इसके बाद सिंधु ने इसी कामयाबी को अगले ही साल 2014 में कोपेनहागेन में भी दोहरा दिया.
उन्होंने लगातार दूसरे साल विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर बैडमिंटन पंडितों का ध्यान अपनी तरफ खींचा.
साल 2013 में ही उन्होंने मलेशिया ओपन और मकाऊ ओपन का ख़िताब जीता.
मकाऊ ओपन के फाइनल में उन्होंने कनाडा की मिशैल ली को 21-15, 21-12 से मात दी.
उन्हीं मिशैल ली को उन्होंने रियो में ग्रुप मैच में कड़े संघर्ष के बाद 19-21, 21-15, 21-17 से हराकर प्री क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई.
वैसे पीवी सिंधु अभी तक छह ख़िताब जीत चुकी है.इसके अलावा पांच टूर्नामेंट में वह उपविजेता रही है.
साल 2014 में सय्यद मोदी अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट के फाइनल में वह साइना नेहवाल से 21-14, 21-17 से हारीं.
साइना नेहवाल से अपनी प्रतिद्वंद्विता की बात को लेकर वह विनम्रता से कहती है कि कोर्ट पर साइना उनसे बेहतर है.
कोर्ट के बाहर साइना नेहवाल से मिलने वाले सहयोग को वह नहीं भूलतीं.
पीवी सिंधु ने अभी तक दुनिया की हर बड़ी खिलाड़ी को हराया है.
उनके बारे में भारत के पूर्व एशियन चैंपियन दिनेश खन्ना दिलचस्प बात कहते है कि सिंधु हमेशा बड़े खिलाड़ियों के लिए ख़तरा पैदा करती है.
लेकिन जैसे ही उनका सामना कम रैंकिंग या कमज़ोर खिलाड़ी से होता है उनका खेल भी कमज़ोर पड जाता है.