20 अगस्त 2018। प्रदेश के शासकीय विश्वविद्यालयों में भी रिटायरमेंट का उम्र 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है। इसके लिये मप्र राज्य विश्वविद्यालय सेवा नियम 1983 में संशोधन कर दिया गया है जिसे 31 जुलाई, 2018 से लागू किया गया है।
राज्य विश्वविद्यालयीन सेवा के अंतर्गत कुल सचिव के 13, परीक्षा नियंत्रक के 7, उप कुल सचिव के 26, सहायक कुल सचिव के 45, नियंत्रक सूचना प्रौद्योगिकी का एक, उप नियंत्रक सूचना प्रौद्योगिकी के 4, वित्त नियंत्रक के 8, वित्त अधिकारी के 4 तथा विश्वविद्यालय इंजीनियर के 8 पद हैं। अब इन सभी की रिटायरमेंट उम्र 62 हो गई है।
हटाया पदोन्नति शब्द :
नियमों में पदोन्नति शब्द हटा दिया गया है। दरअसल राज्य शासन ने गत 13 दिसम्बर, 2017 को विश्वविद्यालय सेवा नियमों में संशोधन किया था जिसमें कहा गया था कि महाविद्यालयीन सेवा के प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक को सीधी भर्ती अथवा पदोन्नति से पद पूर्ति होने तक, जैसा राज्य शासन उचित समझे, कुल सचिव एवं सहायक कुल सचिव के पद पर प्रतिनियुक्ति पर रख सकेगी। लेकिन नियमों में ताजा संशोधन के जरिये पदोन्नति शब्द हटा दिया गया है। नियमों में कुल सचिव, उप कुल सचिव तथा सहायक कुल सचिव के कुल पदों में से 25 प्रतिशत पद महाविद्यालयीन सेवा के प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक को प्रतिनियुक्ति देकर भरे जाने का प्रावधान है। पदोन्नति शब्द हटाने से अब यह हो गया है कि महाविद्यालयीन सेवा के प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक कुल सचिव, उप कुल सचिव तथा सहायक कुल सचिव के पद पर बने रहेंगे तथा उन्हें विवि सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि विवि नियमों में संशोधन कर रिटायरमेंट की उम्र 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है। पदोन्नति शब्द इसलिये हटाया गया है क्योंकि इससे भ्रांति हो रही थी क्योंकि विवि में कुल सचिव, उप कुल सचिव तथा सहायक कुल सचिव के कुल पदों में से 25 प्रतिशत पद पर प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक को पहले से ही आरक्षण मिला हुआ है। वैसे भी महाविद्यालयीन सेवा के प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक की रिटायरमेंट उम्र पहले से ही 65 वर्ष है।
- डॉ नवीन जोशी
विश्वविद्यालयों में भी रिटायरमेंट उम्र 62 हुई
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