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मध्य प्रदेश में 5 लाख कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन, मोहन सरकार ने दी हरी झंडी — बाबू बनेंगे अफसर

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 2989

25 मई 2025। मध्य प्रदेश के सरकारी महकमे में वर्षों से प्रमोशन की प्रतीक्षा कर रहे करीब 4.75 लाख से अधिक तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को अब बड़ी राहत मिलने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में राज्य सरकार ने प्रमोशन प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यह प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। इससे लगभग 5 लाख कर्मचारी, जिनमें पटवारी, शिक्षक, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और अन्य विभागों के कर्मचारी शामिल हैं, को जल्द ही उनके योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर लंबित पदोन्नति मिलने की संभावना है।

9 वर्षों से प्रमोशन प्रक्रिया पर था विराम
प्रदेश में वर्ष 2014 से प्रमोशन प्रक्रिया बाधित थी। इसका मुख्य कारण पदोन्नति में आरक्षण को लेकर कानूनी विवाद रहा। वर्ष 2002 में मध्य प्रदेश सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का नियम लागू किया था, लेकिन इसे लेकर न्यायिक विवाद खड़े हो गए। हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लंबा खिंचता रहा। कोर्ट ने जब तक स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए, तब तक राज्य सरकार ने प्रमोशन की प्रक्रिया स्थगित रखी। इस अवधि में एक लाख से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिन्हें पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया।

सरकार की नई पहल: सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार होगी पदोन्नति
अब मोहन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को आधार बनाकर एक नया प्रारूप तैयार किया है, जिसके तहत कर्मचारियों को वर्टिकल रिजर्वेशन (अनुपातिक आरक्षण) के आधार पर पदोन्नत किया जाएगा। इस प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित क्रीमी लेयर के प्रावधानों को भी शामिल किया गया है।

सपाक्स के प्रदेश अध्यक्ष केएस तोमर ने कहा, "पदोन्नति में आरक्षण तब तक न्यायसंगत नहीं हो सकता जब तक क्रीमी लेयर को स्पष्ट रूप से अलग न किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कई निर्णयों में दिशा-निर्देश दिए हैं। यदि बिना क्रीमी लेयर को हटाए आरक्षण दिया गया तो यह अदालत की अवमानना होगी।"

किन कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन का लाभ?
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने स्पष्ट किया कि, "पूर्व की गलत नीतियों के चलते कई कर्मचारियों को दो या उससे अधिक बार प्रमोशन मिल चुका है, जबकि कुछ योग्य कर्मचारियों को एक बार भी अवसर नहीं मिला। अब सरकार हाई कोर्ट के आदेशों के अनुरूप उचित पात्रता वाले कर्मचारियों को प्रमोशन देगी। आरक्षित वर्ग के केवल वे कर्मचारी जो सीधी भर्ती से पहले पद पर नियुक्त हुए हैं, उन्हें पदोन्नति से वंचित रखा जाएगा।"

राजनीतिक रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है फैसला
मोहन सरकार का यह फैसला केवल प्रशासनिक सुधार ही नहीं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव 2028 और निकाय चुनावों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रदेश में लाखों कर्मचारी और उनके परिजन एक बड़ा मतदाता वर्ग हैं। बीते वर्षों में प्रमोशन नहीं मिलने से यह वर्ग सरकार से नाराज़ था। अब उन्हें साधने और विश्वास में लेने के लिए यह निर्णय एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

एक बड़ा वर्ग होगा लाभान्वित
सरकार के इस निर्णय से न केवल वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे कर्मचारियों को राहत मिलेगी, बल्कि इससे विभागों में कार्य कुशलता भी बढ़ेगी। लंबे समय से एक ही पद पर जमे कर्मचारियों को पदोन्नति मिलने से नई ऊर्जा का संचार होगा और प्रशासनिक व्यवस्था को भी गति मिलेगी।

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