
27 मई 2025। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में आयोजित मंत्रि-परिषद की बैठक में वित्तीय अधिकार पुस्तिका 2025 (भाग-1) को अनुमोदित किया गया। इसके साथ ही वित्त विभाग को पुस्तिका में लिपिकीय त्रुटियों को सुधारने तथा भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधन करने की अनुमति भी दी गई है। इस पुस्तिका का हिंदी अनुवाद जारी करने की भी स्वीकृति प्रदान की गई है। अनुमोदित वित्तीय अधिकार 1 जुलाई 2025 से लागू होंगे।
संशोधन की प्रमुख वजहें
वित्तीय अधिकार पुस्तिका 2012 (भाग-1) में संशोधन की आवश्यकता विभिन्न कारणों से उत्पन्न हुई। पिछले 13 वर्षों में विभिन्न मदों की लागत में वृद्धि हुई है और कार्यालय संचालन से जुड़े कई नए व्यय स्वरूप सामने आए हैं। इस अवधि में अप्रासंगिक हो चुकी मदों एवं उपकरणों को हटाने तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक नए मदों को सम्मिलित करने की आवश्यकता महसूस की गई।
इसके साथ ही, अधिकारों के विकेंद्रीकरण को गति देने, बजट प्रावधानों के समयबद्ध उपयोग और 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के सिद्धांतों के अनुरूप कार्यों को सुगम बनाने की दिशा में यह संशोधन अहम कदम है।
नए प्रावधानों के अंतर्गत:
प्रशासकीय विभागों को बजट नियंत्रण अधिकारी घोषित करने का अधिकार।
कंसल्टेंसी फर्म/एजेंसी से कार्य कराने की स्वीकृति देने का अधिकार।
इंटर्न्स की नियुक्ति हेतु स्वीकृति का अधिकार।
मूलभूत नियम 46 के अंतर्गत मानदेय स्वीकृति का अधिकार।
पेंशन/उपदान की अधिक राशि के भुगतान को 'राइट ऑफ' करने का अधिकार।
अन्य प्रमुख बिंदु: विभागीय भवन को तोड़ने की अनुमति संबंधित विभाग स्वयं देगा।
80 प्रतिशत मेडिकल एडवांस देने का अधिकार भी विभागों को प्रदान किया गया है, जिसके लिए अब स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग की अनुमति या परामर्श की आवश्यकता नहीं होगी।