
28 मई 2025। मध्य प्रदेश में इस वर्ष आयोजित राज्य पशुधन गणना कई मायनों में ऐतिहासिक रही। पहली बार इस गणना में पालतू कुत्ते, बिल्ली (फारसी नस्ल सहित) और तोते जैसी घरेलू प्रजातियों को भी औपचारिक रूप से शामिल किया गया। पशु सांख्यिकी प्रभाग के सूत्रों के अनुसार, यह कार्य व्यापक डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के माध्यम से संपन्न हुआ।
इस गणना के अंतर्गत 30 अप्रैल 2025 को राज्यभर में लगभग 1.60 करोड़ घरों का सर्वे किया गया, जिसमें पालतू और आवारा दोनों तरह के जानवरों का डेटा एकत्रित किया गया। इस पहल से न सिर्फ टीकाकरण एवं देखभाल योजनाओं की बेहतर रूपरेखा तैयार होगी, बल्कि पालतू पशु संस्कृति को लेकर भी राज्य में एक नया अध्याय शुरू हुआ है।
इन 16 पशु प्रजातियों की हुई गणना
गणना में कुल 16 नस्लों के पशुओं को शामिल किया गया, जिनमें शामिल हैं —
गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सूअर, मुर्गी, घोड़ा, खच्चर, गधा, खरगोश, आवारा कुत्ते, आवारा मवेशी, तथा पहली बार शामिल किए गए पालतू कुत्ते, बिल्लियाँ और तोते। इसके साथ ही चरागाहों में विचरण करने वाले पशु भी पहली बार गणना में शामिल किए गए हैं।
गणना से मिले प्रमाण-पत्र और भविष्य की योजनाएँ
पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस बार की गणना में जिन पशुपालकों के मवेशी शामिल हुए हैं, उन्हें प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए हैं, जो उन्हें अन्य राज्यों में पशुओं को ले जाने में सहूलियत देंगे। यह प्रमाण-पत्र शुद्ध नस्लों की पहचान में भी सहायक होंगे। अधिकारियों ने यह भी बताया कि शुद्ध नस्लों का जर्मप्लाज्म (आनुवंशिक संसाधन) संरक्षित कर भविष्य में नस्ल सुधार और उत्पादन में उपयोग किया जा सकेगा।
बैल घट रहे, मशीनों ने ली जगह
गणना के दौरान एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है — राज्य में बैलों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आधुनिक कृषि यंत्रों और ट्रैक्टरों की वजह से खेती में बैलों का प्रयोग लगभग खत्म हो गया है। कृत्रिम गर्भाधान की बढ़ती तकनीकों ने भी इस बदलाव को तेज किया है। ऐसे में किसान अब बैल पालने से बचते हैं, क्योंकि इससे आर्थिक बोझ बढ़ता है।
“गणना से नीतिगत योजना में मिलेगी मदद” — डॉ. उमा पार्टे
पशु सांख्यिकी प्रभाग की अतिरिक्त निदेशक डॉ. उमा पार्टे ने बताया, “इस बार की पशुधन गणना में हमने पहली बार कुछ नई प्रजातियों को शामिल किया है, जो योजना निर्माण की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार आगामी महीनों में राष्ट्रीय स्तर पर पशुधन गणना के डेटा को सार्वजनिक करेगी, जिससे पूरे देश में पशुधन नीति को नया आयाम मिलेगा।