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"प्रमोशन की राह में 'प्रतिनियुक्ति' बनी दीवार, 9 साल से इंतजार कर रहे कर्मचारियों में रोष"

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 346

6 जून 2025। मध्य प्रदेश सरकार के हजारों कर्मचारी पिछले 9 वर्षों से पदोन्नति की राह देख रहे हैं, लेकिन अब एक नई अड़चन उनके रास्ते में खड़ी हो गई है—प्रतिनियुक्ति। मंत्रालय में खाली पदों को प्रमोशन के जरिए भरने की बजाय अब बाहर से अफसर लाकर उन्हें भरा जा रहा है, जिससे कर्मचारियों में भारी नाराजगी है।

मंत्रालय के वित्त विभाग में सेक्शन ऑफिसर के 15 पदों को ऑडिट विभाग के सहायक लेखा अधिकारियों और लेखा अधिकारियों से प्रतिनियुक्ति के जरिये भरे जाने की तैयारी है। विभाग का तर्क है कि इससे मंत्रालय को वित्तीय मामलों में दक्ष अधिकारी मिलेंगे और वित्तीय कार्यों में गुणवत्ता बढ़ेगी। लेकिन इससे सबसे बड़ा नुकसान उन कर्मचारियों को होगा जो सालों से पदोन्नति की आस लगाए बैठे हैं।

👉 प्रमोशन की बजाय शॉर्टकट!
मंत्रालय के भीतर प्रमोशन की पूरी प्रक्रिया आरक्षण विवाद के कारण वर्षों से अटकी पड़ी है। ऐसे में जब कर्मचारियों को उम्मीद थी कि अब शायद पदोन्नति की राह खुलेगी, सरकार ने प्रतिनियुक्ति के जरिए पद भरने का फैसला ले लिया। इससे सीधे 49 पद प्रभावित होंगे, क्योंकि सहायक ग्रेड-1 से सेक्शन ऑफिसर और ग्रेड-2 से ग्रेड-1 में प्रमोशन का यही मार्ग है।

👉 सीएम की सहमति के बाद मिली मंजूरी
जानकारी के मुताबिक, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव ने प्रतिनियुक्ति से पद भरने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास भेजा था, जिसे उन्होंने मंजूरी दे दी। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने भी हरी झंडी दे दी है।

👉 कर्मचारी संगठनों का विरोध
इस निर्णय से आक्रोशित मंत्रालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कहा,
"अगर वित्त विभाग में इस तरह से पद भरे गए तो अन्य विभाग भी यही रास्ता अपनाएंगे। इससे निचले स्तर के कर्मचारियों की पदोन्नति की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। सरकार को सोचना चाहिए कि वर्षों से इंतजार कर रहे कर्मचारियों के हितों का क्या होगा?"

एक ओर सरकार प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के नाम पर बाहरी अधिकारियों को लाने का फैसला कर रही है, वहीं दूसरी ओर वर्षों से सेवा दे रहे कर्मचारी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। प्रमोशन में आरक्षण की पेचीदगियों के बीच यह फैसला कहीं हजारों कर्मचारियों की उम्मीदों को पूरी तरह से न कुचल दे?

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