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कान्हा टाइगर रिजर्व को मिली देश की सबसे बड़ी मान्यता, मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रयास लाए रंग

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 408

🐯 बाघों का सबसे बेहतरीन आवास बना कान्हा, शाकाहारी वन्य-जीवों की संख्या में भी नंबर वन

15 जून 2025। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पर्यावरण और वन्य-जीव संरक्षण के लिए की जा रही दूरदर्शी पहलों का असर अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिखाई देने लगा है। कान्हा टाइगर रिजर्व को बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके साथ ही यह देश में शाकाहारी वन्य-जीवों की सर्वाधिक जनसंख्या वाला अभयारण्य भी बन गया है।

भारतीय वन्य-जीव संस्थान, देहरादून द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस उपलब्धि पर पूरे वन विभाग को बधाई देते हुए कहा कि अन्य टाइगर रिजर्व भी इसी तरह संरक्षण और प्रबंधन के नए मानदंड स्थापित करें।

🐯 शाकाहारी वन्य-जीवों की संख्या में कान्हा अव्वल
रिपोर्ट के अनुसार, कान्हा टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्य-प्राणियों की कुल संख्या 1,02,485 दर्ज की गई है, जो देश में सर्वाधिक है। प्रति वर्ग किलोमीटर इनका घनत्व 69.86 है। रिजर्व का कुल बायोमास 12.6 लाख किलोग्राम आँका गया है। प्रमुख प्रजातियों में चीतल, सांभर, गौर, जंगली सुअर, बार्किंग डियर, नीलगाय और हॉग डियर शामिल हैं।

इनकी संतुलित उपस्थिति और लगातार बढ़ती संख्या के चलते यह क्षेत्र बाघों के लिए आदर्श प्राकृतिक आवास बन गया है।

🌳 प्रबंधन की स्मार्ट रणनीतियाँ बनी सफलता की कुंजी
कान्हा में बाघ संरक्षण की सफलता का श्रेय इसकी सुदृढ़ प्रबंधन नीतियों को दिया गया है। इसमें शामिल हैं:
घास-भूमियों का नियमित रखरखाव
जल स्रोतों का निर्माण और साफ-सफाई
लांटाना जैसी अवांछित वनस्पतियों का उन्मूलन
गर्मियों में जल संकट से निपटने के लिए सोलर बोरवेल्स और जलकुंडों का विकास
एम-STRiPES ऐप से निरंतर निगरानी
अप्रैल 2025 में 88,600 किलोमीटर गश्ती निगरानी – देश में सर्वाधिक

🐯 पुनर्स्थापित घास-भूमियों से बना बाघों के लिए स्वर्ग
कोर क्षेत्र से गाँवों के पुनर्वास के बाद विकसित हुई नई घास-भूमियों ने वन्य-जीवों को मानव हस्तक्षेप से मुक्त प्राकृतिक परिवेश दिया।
चीतल और बारहसिंगा जैसी प्रजातियों को बेहतर आबादी प्रबंधन हेतु कम घनत्व वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया। विभिन्न घास-भूमियों को जोड़ने वाले वन्य-जीव गलियारों के निर्माण से गौर और बारहसिंगा को निर्बाध विचरण का अवसर मिला।

🐯 प्रशिक्षण और वैज्ञानिक मार्गदर्शन का लाभ
वनकर्मियों को नियमित प्रशिक्षण और भारतीय वन्य-जीव संस्थान से मिले तकनीकी मार्गदर्शन ने संरक्षण प्रयासों को वैज्ञानिक और प्रमाणिक आधार दिया है। बंजर घाटी में अधिक घनत्व होने पर हालन घाटी में नई घास-भूमि विकसित की गई, जिससे शाकाहारी वन्य-प्रजातियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई।

🐯 कान्हा बना देश के टाइगर रिजर्व का मॉडल
मध्यप्रदेश के मण्डला जिले में स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व 2074 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें 917.43 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया और 1134 वर्ग किलोमीटर बफर जोन है।
यहाँ की विविध जैव-विविधता, मजबूत प्रबंधन और मानव-वन्य-जीव संघर्ष का न्यूनतम स्तर इसे देश के अन्य अभयारण्यों के लिए मॉडल बनाता है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को मध्यप्रदेश की पर्यावरणीय सोच और संरक्षण संस्कृति की जीत बताया है। उनकी पहल पर वन विभाग की सक्रिय भूमिका से प्रदेश अब वन्य-जीव संरक्षण की दिशा में राष्ट्रीय नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है।

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