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अतिवृष्टि से प्रभावितों के हर पल साथ है सरकार- मुख्यमंत्री डॉ. यादव

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 203

- राहत एवं बचाव के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं
- आपदा राहत दल द्वारा 432 बचाव अभियान चलाकर 3628 नागरिकों को रेस्क्यू किया गया
- प्रभावितों को तेजी से बांटी जा रही है राहत राशि
- अब तक 28.49 करोड़ रूपए राहत राशि प्रभावितों को दी गई
- अतिवृष्टि से प्रभावितों को कोई कठिनाई न होने पाये
- मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी कलेक्टर्स को दिये निर्देश

2 अगस्त 2025। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश के कुछ जिलों में हाल ही में अतिवृष्टि हुई थी। राज्य सरकार ने अतिवृष्टि से प्रभावित लोगों को राहत देने में बेहद तत्परतापूर्ण कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अतिवृष्टि वाले जिलों में अब तक 3628 नागरिकों को सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया गया। उन्होंने बताया कि बारिश थमने के साथ कुछ नागरिक अपने-अपने घरों को चले गए हैं। परंतु अब भी 53 राहत शिविरों में 3065 प्रभावितों को रखकर उन्हें सभी प्रकार की जरूरी मदद जैसे खाना-पीना दवाइयां कपड़े आदि मुहैया कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अतिवृष्टि प्रभावित हर व्यक्ति के साथ पूरी संवेदनशीलता के साथ खड़ी है। उन्होंने सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि अतिवृष्टि या बाढ़ प्रभावितों को कोई भी कठिनाई न आने पाये। जल्द ही जल्द सर्वे पूरा कर पीड़ितों को उनके नुकसान की समुचित भरपाई की जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि अतिवृष्टि वाले जिलों के कलेक्टर्स द्वारा अब तक 28.49 करोड़ रुपए राहत राशि वितरित कर दी गई है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा लगातार यह प्रयास किए गए कि अतिवृष्टि से प्रदेश की जनता को किसी भी स्थिति में परेशानियों का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा है कि शासन संवेदनशील शासन वह सोता है, जो हर समय समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के हित के लिए हमेशा उपलब्‍ध रहे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशों के तहत शासन द्वारा अतिवृष्टि/बाढ़ प्रबंधन की सभी तैयारियां पहले ही प्रारंभ कर दी गई थीं। मुख्य सचिव द्वारा विगत 9 जून को विस्‍तृत समीक्षा की गयी थी। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने भी 22 जुलाई को सभी कलेक्टर्स को बाढ़ की पूर्व तैयारियों के संबंध में और जनता को लाभ पहुंचाने के दिशा-निर्देश दिए थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशों के पालन में शासन द्वारा वृहद स्तर पर तैयारियां की गईं। NDRF की टीमों को भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और धार में तैनात किया गया। SDRF को प्रदेश भर में संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया। पूरे प्रदेश में 259 संवेदनशील क्षेत्र चिन्‍हांकित करते हुए Disaster Response Centre स्थापित किए गए तथा 111 Quick Response Team तैनात की गयी। इन कार्यों में जन सामान्य को जोड़ने के लिए 3300 आपदा मित्रों को भी प्रशिक्षित किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए थे कि आमजन को बाढ़ के खतरों के बारे में समय रहते सूचित किया जाये। इस कार्य के लिए राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के द्वारा लगातार रेड अलर्ट मोबाइल के माध्यम से भेजे गए।

सिंचाई विभाग द्वारा विस्तृत व्यवस्थाएं की गई, ताकि बांधों के जल स्तर एवं छोड़े जाने वाले जल की जानकारी समय रहते कलेक्टर और संबंधित व्यक्तियों तक पहुंचाई जा सके।

मौसम विभाग से मिली जानकारियों को भी सभी संबंधित अधिकारियों तथा बचाव दलों को लगातार उपलब्ध कराया जा रहा है। इन सभी कार्यों की निगरानी के लिए 24 घंटे चलने वाले राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम स्थापित किए गए।

शासन द्वारा यह भी सुनिश्चित किया गया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य शिविरों में आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध रहें तथा 62 स्थानों पर अग्रिम खाद्यान्न का भण्डारण किया गया, जिससे आम जनता को आवश्यकता पड़ने पर किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

प्रदेश में अब तक लगातार 711.3 MM वर्षा हो चुकी है, जो सामान्य से 59 प्रतिशत अधिक है। यह सामान्य से अधिक वर्षा भी कम समय में तेजी से हुई है। मंडला में 1107 MM बारिश में से लगभग 51 प्रतिशत बारिश केवल 4 दिनों में हो गई है। प्रदेश के कुल 40 जिलों में सामान्‍य से अधिक वर्षा हुई है, शेष 9 जिलों में सामान्य वर्षा एवं 2 जिलों में सामान्‍य से कम वर्षा हुई है।

इस अतिवृष्टि के कारण प्रदेश के प्रभावित लगभग 254 ग्रामीण सड़कों जिनमें से 212 सड़कों में तत्‍काल सुधार कार्य किया गया है। बैरीकेड्स के जरिए ये सुनिश्चित किया गया कि इसके कारण कोई मृत्‍यु न हो और प्रदेश के सभी छोटे-बड़े बांधों में जलभराव में तो वृद्धि हुई है, किंतु समय रहते हुई गेट ऐसे खोले और बंद किए गए, ताकि कहीं भी कोई जन-हानि न हो एवं भविष्‍य में सिंचाई के पानी की उपलब्‍धता बनी रहे। प्रदेश के सभी बांधों की सतत् रूप से नियमित निगरानी की जा रही है। बाढ़ के बचाव के लिए आवश्यकतानुसार सेना की मदद ली जा रही है। भारत सरकार से भी पूरा सहयोग मिल रहा है। प्रदेश में दवाईयों, खाद्य सामग्रियों की पूर्ति सुनिश्चित कर दी गयी है। सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है।

बाढ़ आपदा में मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव के निर्देशानुसार शासन ने बेहद संवेदनशीलता और तत्परता से राहत एवं बचाव अभियान चलाकर रेस्क्यू कार्यवाहियां की है। प्रदेश में अतिवृष्टि प्रभावित 2325 लोगों के लिए राहत शिविर अभियान चलाकर उन्हें सभी प्रकार की सुविधायें/राहतें प्रदान की जा रही है। इन राहत शिविरों में दवाइयां, भोजन तथा पेयजल त्‍वरित रूप से उपलब्‍ध कराया जा रहा है। इसके अलावा राजमार्ग एवं मुख्‍य मार्ग में 94 पुलियां क्षतिग्रस्‍त हुई थीं, लेकिन वैकल्पिक मार्ग तत्‍काल उपलब्‍ध कराये गए, ताकि आवागमन में कोई व्‍यवधान उत्‍पन्‍न न हो। प्रदेश में तैनात मोचन दलों/बचाव राहत दलों द्वारा 432 बचाव अभियान चलाए गए हैं, जिसमें 3628 नागरिकों तथा 94 मवेशियों को जीवित बचाया गया है। अतिवृष्टि से 47, नदी-नाले में दुघर्टनावश डूबने से 132, आकाशीय बिजली से 60 तथा दीवार/मकान/पेड़ गिरने से 13 लोगों की मृत्‍यु दर्ज हुई है। साथ ही 432 पशु हानि एवं 1200 मुर्गियां की मृत्‍यु हुई है और 128 मकानों को पूर्ण एवं 2333 मकानों को आंशिक क्षति हुई है।

जिला कलेक्‍टर्स द्वारा प्रभावित व्‍यक्तियों को 28.49 करोड़ रुपए की राहत राशि वितरित कर दी गई है। शासन द्वारा लगभग 3600 करोड़ रूपए की व्‍यवस्‍था राहत मद में की गई है, ताकि राहत कार्यों में किसी प्रकार का वित्तीय व्यवधान न आए।

मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव द्वारा विगत 30 जुलाई को ही स्‍वयं बाढ़ आपदा नियंत्रण कक्ष (स्टेट कमांड सेंटर) पहुंचकर राहत कार्यों के लाईव आपरेशन्स और आपदा प्रबंधन कार्य का मुआयना किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्‍होंने बड़ी बारीकी से बचाव कार्यों का अवलोकन किया। बचाव दलों का मनोबल बढ़ाया और अतिवृष्टि से पीड़ित लोगों से चर्चा कर उनका हौसला बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश में अतिवृष्टि से प्रभावित लोगों की मदद करना मध्‍यप्रदेश शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके अतिरिक्त अतिवृष्टि एवं बाढ़ से राहत बचाव कार्यों के संबंध में आवश्‍यक सभी कदम उठाए जाएं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि यह भी सुनिश्चित कर लिया जाए कि अतिवृष्टि से जनता को किसी भी प्रकार की समस्‍या न हो पाए।

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