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क्या नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2026 में होंगे लोकसभा चुनाव? जानें प्रमुख कारण

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Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 2892

भोपाल: 6 जून 2024। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं और एनडीए ने 292 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 240 सीटें जीती हैं, जिससे यह सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए द्वारा पुनः प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया है। हालांकि, विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों और विशेषज्ञों का मानना है कि एनडीए की यह तीसरी बार बनने वाली सरकार अपने पांच साल पूरे नहीं करेगी।

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की भूमिका:
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का राजनीतिक इतिहास संदेहास्पद रहा है। नीतीश कुमार पहले भी एनडीए छोड़ चुके हैं, और बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए, यह संभावना है कि वे फिर से एनडीए का साथ छोड़ सकते हैं। इसी तरह, चंद्रबाबू नायडू ने भी एनडीए से अलग होने की धमकी दी है और सरकार में महत्वपूर्ण पदों की मांग कर रहे हैं, जिनमें लोकसभा स्पीकर और चार कैबिनेट मंत्रालय शामिल हैं। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो यह संभव है कि वे भी एनडीए से अलग हो जाएं।

वन नेशन वन इलेक्शन और परिसीमन:
2026 में प्रस्तावित परिसीमन और "वन नेशन वन इलेक्शन" की अवधारणा भी सरकार के स्थायित्व पर सवाल खड़े करती है। अगर 2026 में लोकसभा की सीटों की संख्या 543 से बढ़ाकर 753 की जाती है, तो इसके लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके साथ ही, बिहार और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को भी एक साथ कराने की संभावनाएं हैं, जो कि 2026 में वन नेशन वन इलेक्शन के तहत हो सकते हैं।
भारत में आज जो 543 सीटें लोकसभा में हैं यह 1971 की पॉपुलेशन के आधार पर है 1971 में जो देश की आबादी थी उस आबादी को ध्यान में रखते हुए लोकसभा की सीटें निर्धारित हुई उस समय देश की आबादी महज 50 से 55 करोड़ के आसपास थी यानी प्रति 10 लाख पर एक सांसद हुआ करता था हमारे देश ने 1971 से 2024 में आबादी में तीन गुना इजाफा कर लिया है। आज हमारे देश की आबादी 140 करोड़ है 140 करोड़ की आबादी वाला देश आज भी 543 सांसदों द्वारा गवर्न हो रहा है। इसके लिए देश में परिसीमन होना है डीलिमिटेशन होना है आर्टिकल 82 के तहत मेरे प्यारे साथियों भारत में ऑलरेडी 82 कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट के द्वारा 1971 की ही पॉपुलेशन को आधार मानकर 543 सीटें दी जाती रही हैं लेकिन अब जब 543 सीटें पूरे देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रही हैं तो ज्यादा सांसदों की जरूरत है। सांसदों का क्रोनोलॉजिकल टाइम 2026 में पूरा हो रहा है। 82 कांस्टिट्यूशन अमेंडमेंट है जिसके तहत 1971 की आबादी के अनुसार देश के अंदर 543 सीटें होना प्रस्तावित है व 543 सीटें मात्र 2026 तक ही वैलिड हैं 2026 से लोकसभा में 753 सीटें प्रस्तावित हैं मतलब यह समझिए कि लोकसभा में 200 नई सीटें आने वाली हैं।
पिछली एनडीए सरकार ने नई संसद का निर्माण किया और उस नई संसद के अंदर 888 सांसद बैठ सके इतनी बड़ी लोकसभा की इमारत का निर्माण किया जहां आज की संसद में 543 बैठने के लिए भी जगह कम पड़ रही है। नई संसद भवन में संसद के अंदर 2026 के परिसीमन को ध्यान में रखकर नई कुर्सियां लगाई गई हैं।
2026 में परिसीमन होगा तो जनसंख्या कौन सी वाली मानी जाएगी टेक्निकली भारत में हर 10 साल के अंदर चुनाव होते वो मत जनगणना होती है पॉपुलेशन की काउंटिंग होती है सेंसस होता है 2011 में हुआ था उसके बाद 2021 में नहीं हुआ क्योंकि कोरोना था।
जनगणना 2024 में घोषित कि जा सकती है। 2025 में जिसे कंप्लीट किया जा सकता है और उस जनगणना के बाद 2026 में इसी जनगणना को आधार मानकर सीटों का परिसीमन किया जा सकता है। यह संभावना इसलिए प्रबल होती है क्योंकि यह संभावना कानून पर आधारित है 82 कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट के आधार पर 2026 में सीटें बढ़नी ही है।

वुमन रिजर्वेशन बिल:
लोकसभा की यानी 543 के स्थान पर 753 सीटें होनी है। इस बात पर आपको और बल मिलेगा, हाल ही में हुआ वुमन रिजर्वेशन बिल पास 2023 में वुमन रिजर्वेशन बिल जब पास हुआ तो हमारी देश के अंदर लोकसभा में 1 तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व कर दी गई। फिलहाल जो वर्तमान में लोकसभा है इसके अंदर 1 तिहाई सीटें रिजर्व नहीं थी। अब अगर 2026 में चुनाव होते हैं तो 2026 में वुमन रिजर्वेशन जो 1 थर्ड सीटें हैं, क्योंकि आप ध्यान से समझिए 750 में से अगर 1 तिहाई सीटें यानी कि लगभग 250 सीटों के आसपास महिलाओं को दे दिया जाए तो यह वुमन रिजर्वेशन को सेटल कर सकता है इसका मतलब यह हुआ कि 2026 के परिसीमन के बाद में महिलाओं का वुमन रिजर्वेशन अप्लाई कर दिया जाए। हालांकि सरकार ने जब रिजर्वेशन पारित किया तब कहा कि 2029 से लागू होगा लेकिन अभी उसका कोई भी कानूनी प्रस्ताव तो है नहीं। संभव है कि 753 को अकोमोडेटिव 2026 में लागू कर दिया जाए। यह भी एक कारण है कि सरकार पांच साल पूरे नहीं करें।

नरेंद्र मोदी का उम्र संबंधी कारक:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर 2025 में 75 वर्ष के हो जाएंगे। आम तौर पर भाजपा ने अपने 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को सक्रिय राजनीति से हटाकर मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया है। यदि इस परंपरा का पालन किया जाता है, तो नरेंद्र मोदी को भी 2025 में सक्रिय राजनीति से हटना पड़ सकता है।

इन सभी परिस्थितियों के मद्देनजर, यह सवाल उठता है कि क्या एनडीए की तीसरी बार बनने वाली सरकार अपने पांच साल पूरे कर पाएगी। समय ही बताएगा कि राजनीतिक परिदृश्य कैसे बदलता है, लेकिन फिलहाल, अनेक चुनौतियों के बीच सरकार की स्थिरता पर संदेह बना हुआ है।

- दीपक शर्मा
प्रतिवाद

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