
27 दिसंबर 2024। बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के उद्देश्य से बनाए गए पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) अधिनियम में सख्त सजा का प्रावधान है। केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा लागू इस कानून के तहत यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी और छेड़छाड़ जैसे अपराधों पर कार्रवाई की जाती है। यह अधिनियम पूरे देश में लागू है और इसके तहत मामलों की सुनवाई विशेष न्यायालय में कैमरे के सामने की जाती है।
सजा का दायरा बढ़ा
2012 में लागू पॉक्सो अधिनियम में 2020 के संशोधनों के बाद सजा को और कठोर बनाया गया है। अब गंभीर अपराधों के लिए आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक का प्रावधान है।
धारा 3 और 4: प्रवेशन लैंगिक हमला पर कम से कम 10 वर्ष का कारावास, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
धारा 5 और 6: गंभीर लैंगिक हमले पर 20 वर्ष से लेकर मृत्युदंड तक की सजा।
धारा 7 और 8: लैंगिक हमले के लिए 3 से 5 वर्ष का कारावास।
धारा 11 और 12: लैंगिक उत्पीड़न पर 3 वर्ष तक की सजा और जुर्माना।
अश्लील सामग्री पर सख्त कार्रवाई
बच्चों का अश्लील उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने पर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है:
धारा 13 और 14(1): पोर्नोग्राफी के लिए इस्तेमाल करने पर 5 से 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना।
धारा 14(2) और 14(3): गंभीर मामलों में आजीवन कारावास और मृत्युदंड।
धारा 15: अश्लील सामग्री रखने पर 3 वर्ष का कारावास, जुर्माना या दोनों।
अपराध के लिए उकसाने पर दंड
पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध के लिए उकसाने को भी अपराध माना गया है।
धारा 16: बच्चों के यौन उत्पीड़न के लिए अवैध खरीद-फरोख्त पर कार्रवाई।
रिपोर्ट दर्ज न करने पर दंड
पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध की रिपोर्ट दर्ज न करने पर भी सजा का प्रावधान है।
धारा 21(1): रिपोर्ट दर्ज न करने पर 6 माह तक का कारावास, जुर्माना या दोनों।
यह अधिनियम बच्चों को यौन अपराधों से बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है।